खाद्य पदार्थो में मिलावट पकड़ने को एक साल में पड़े 257 छापे
Deoria News - देवरिया में खाद्य सुरक्षा विभाग ने मिलावट खोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। पिछले वित्तीय वर्ष में 257 प्रतिष्ठानों पर छापे मारे गए, जिनमें से 381 नमूने जांच के लिए भेजे गए। 194 नमूने अस्वास्थ्यकर...

देवरिया, निज संवाददाता। मिलावट खोरी और अस्वास्थ्यकर पदाथों का प्रयोग कर खाद्य पदार्थों को आकर्षक बनाकर बेचने के अनेक मामले हर साल पकड़े जाते हैं। यह मिलावट कई बार लोगों की जान पर बन आती है। इस मिलावटखोरी के विरुद्व खाद्य सुरक्षा विभाग नियमित निगरानी के अलावा समय समय पर विशेष अभियान संचालित कर मिलावट पर नियंत्रण पाने का प्रयास करता है। विगत वित्तीय वर्ष में खाद्य सुरक्षा विभाग ने 257 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी कर 381 नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे थे। इनमें से 194 नमूने फेल हो गए। खाद्य सुरक्षा विभाग के सहायक आयुक्त विनय कुमार सहाय के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजीव मिश्र की टीम ने विगत वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक जिले के विभिन्न प्रतिष्ठानों पर 257 छापे मारे गए।
इनमें से खाद्य पदार्थों के 381 नमूने संग्रहित कर जांच के भेजे गए। इसमें से 318 नमूनों की रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में 194 नमूने फेल हो गए। इसमें 25 नमूनों असुरक्षित पाए गए हैं। इन खाद्य पदार्थोँ में जीवन को क्षति पहुंचाने वाली हानिकारक चीजों की मिलावट पाई गई है। 28 मामले मिसब्रांडिंग के मिले है। इसमें से 12 मामलों में कार्रवाई के लिए विभागीय अधिकारियों ने एसीजेएम प्रथम के न्यायालय में वाद दाखिल किया गया। बाकी में कार्रवाई जारी है। बाकी के अधोमानक मिले 141 नमूनों में से 126 के विरुद्ध एडीएम कोर्ट में मुकदमे दाखिल किए गए। इसमें 60 मुकदमों में निर्णय आ गया है। वहीं सात मुकदमे 2025-26 के हैं। इन 67 मुकदमों को मिलाकर कुल 11.61 लाख रुपये का जुर्माना एडीएम कोर्ट से लगाया गया है। अप्रैल 2025 से अब तक डाले गाए 58 छापे मिलावटखोरी के खिलाफ नए वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2025 से अब तक 58 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की जा चुकी है। इसमें 111 नमूने एकत्रित कर जांच के लिए भेजे गए हैं। इसमें से 27 की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें 13 नमूने फेल हो गए। इस अवधि में पुराने और नए प्रकरणों को मिलाकर 31 मुकदमें एडीएम कोर्ट में दाखिल किए गए हैं। आठ मुकदमे एसीजेएम कोर्ट में दाखिल हुए। छ: मुकदमों में निर्णय हुआ। इसमें 56 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। नमूने फेल होने पर जुर्माना और कैद की सजा का प्राविधान मिलावट खोरी को रोकने के लिए सरकार ने कड़ा कानून बनाया है। सहायक आयुक्त विनय कुमार सहाय ने बताया कि खाद्य पदार्थ अधोमानक मिलने पर पांच लाख रुपये तक जुर्माना का प्राविधान है। इस प्रकरण को एडीएम कोर्ट में दाखिल किया जाता है। वहीं अगर मिलावट में जीवन के लिए हानिकारक तत्व पाए जाते हैं तो छ: माह से छ: साल तक की सजा हो सकती है। अगर किसी खाद्य पदार्थ के सेवन से किसी की मृत्यु हो जाती है तो सात साल तक की सजा व 10 लाख रुपये तक जुर्माना का प्राविधान है। मिसब्रांडेड सामान जिसमें खाद्य पदार्थ के बारे में अधूरी जानकारी दी गई है, इस दशा में तीन लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं मिस लीडिंग जिसमें खाद्य पदार्थ के बारे में गलत और बढ़ा चढ़ाकर जानकारी दी जाती है, इसमें 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाने का प्राविधान है। गंभीर प्रकृति के मामलों में नहीं हुआ निर्णय खाद्य सुरक्षा विभाग ने अधिनियम लागू होने से अब तक लगभग 13 वर्ष में गंभीर प्रकृति की मिलावट के सौ मुकदमे न्यायालय में दाखिल कर चुका है। इन मुकदमों में से अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मिलावटखोरी सिद्ध होने के बावजूद सजा नहीं होने से इनके खिलाफ लोगों को जागरुक करना या शासन की मंशानुरूप सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाना संभव नहीं है। गंभीर प्रकृति के मामलों में नहीं हुआ निर्णय खाद्य सुरक्षा विभाग ने अधिनियम लागू होने से अब तक लगभग 13 वर्ष में गंभीर प्रकृति की मिलावट के सौ मुकदमे न्यायालय में दाखिल कर चुका है। इन मुकदमों में से अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। मिलावटखोरी सिद्ध होने के बावजूद सजा नहीं होने से इनके खिलाफ लोगों को जागरुक करना या शासन की मंशानुरूप सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाना संभव नहीं है। बोले विशेषज्ञ खाद्य पदार्थों पर मिलावट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं। अधोमानक खाद्य पदार्थों पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्राविधान है। वहीं जीवन के लिए असुरक्षित खाद्य पदार्थों के खिलाफ छ: माह से छ: साल तक की कैद और एक लाख से पांच लाख रुपये तक जुर्माना के नियम है। अगर मिलावटी खाद्य पदार्थ से किसी की मृत्यु हो जाती है। साल साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं मिसब्रांडिंग के केस में तीन लाख रुपये व मिसलीडिंग के केस में 10 लाख रुपये तक जुर्माना का प्राविधान है। विनय कुमार सहाय, सहायक आयुक्त खाद्य द्वितीय, देवरिया। बोले डॉक्टर खाद्य पदार्थ में हानिकारक पदार्थों की मिलावट जानलेवा हो सकती है। रासायनिक रंगों का प्रयोग, फलों के रस की जगह फ्लेवर का प्रयोग कर जूस तैयार करना समेत अन्य मिलावट पाचन तंत्र पर असर डालते हैं। इससे लीवर खराब हो सकता है। इसके चलते जान भी जा सकती है। लोगों को मिलावटी खाद्य पदार्थों से सचेत रहना चाहिए। डॉ. एचके मिश्र, सीएमएस महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय।
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