Delhi High Court orders demolition of all jhuggis at Govindpuri Bhoomiheen Camp in Kalkaji कालकाजी में गोविंदपुरी भूमिहीन कैंप की सभी झुग्गियों पर चलेंगे बुलडोजर, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी, Ncr Hindi News - Hindustan
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कालकाजी में गोविंदपुरी भूमिहीन कैंप की सभी झुग्गियों पर चलेंगे बुलडोजर, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर बनी झुग्गी-झोपड़ियों (जेजे क्लस्टर) पर बुलडोजर चलाने का रास्ता साफ कर दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में कालकाजी के पास गोविंदपुरी में बने भूमिहीन कैंप के सिर्फ एक निवासी के पुनर्वास को मंजूरी दी है। वहीं, 1,355 निवासियों की पुनर्वास याचिका खारिज कर दी।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हेमलता कौशिकSun, 8 June 2025 06:45 AM
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कालकाजी में गोविंदपुरी भूमिहीन कैंप की सभी झुग्गियों पर चलेंगे बुलडोजर, दिल्ली हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर बनी झुग्गी-झोपड़ियों (जेजे क्लस्टर) पर बुलडोजर चलाने का रास्ता साफ कर दिया है। हाईकोर्ट ने फैसले में कालकाजी के पास गोविंदपुरी में बने भूमिहीन कैंप के सिर्फ एक निवासी के पुनर्वास को मंजूरी दी है। वहीं, 1,355 निवासियों की पुनर्वास याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस धर्मेश शर्मा की ग्रीष्मकालीन बेंच ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को कहा है कि वह भूमिहीन कैंप को तोड़ने के लिए स्वतंत्र है। याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि वह वर्ष 1990 से यहां रह रहे हैं। ऐसे में सरकार को उन्हें पुर्नस्थापित करने के निर्देश दिए जाएं। बेंच ने आदेश में स्पष्ट किया कि संबंधित विभाग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाले परिवार ही पुनर्वास नीति का लाभ पाने के हकदार हैं।

एक निवासी को छोड़कर बाकी अन्य याचिकाकर्ता निवासियों का दावा तय मानकों पर खरा नहीं उतरा है, इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती। बेंच ने यह भी कहा कि राज्य अथवा केन्द्र सरकार की किसी तय नीति में बदलाव का अधिकार न्यायिक प्रणाली को नहीं है।

बेंच ने कहा कि किसी भी याचिकाकर्ता को जेजे क्लस्टर पर लगातार कब्जा जारी रखने का कानूनी अधिकार नहीं है। हालांकि, बेंच ने जिस याचिकाकर्ता निवासी के पुर्नवास की याचिका को स्वीकार किया है, उसकी हर्जाना मांगने की दलील को खारिज कर दिया है। बेंच ने डीडीए से कहा कि वह छह सप्ताह के भीतर राहत पाने वाले याचिकाकर्ता के लिए वैकल्पिक निवास की व्यवस्था करे।

वर्ष 2015 और 2019 में हुआ था सर्वे : झुग्गी-झोपड़ी को राजधानी से हटाने व उनके पुनर्वास के लिए वर्ष 2015 में एक नीति तैयार की गई थी। इसके चलते वर्ष 2015 और 2019 में भूमिहीन कैंप का संयुक्त निरीक्षण किया गया था। इस निरीक्षण के तहत पुनर्वास नीति के तहत तय मानकों को पूरा करने वाले यहां के निवासियों की पुनर्वास सूची तैयार की गई थी।

डीयूएसआईबी ने कहा, उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं

हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) ने कहा कि वह सिर्फ राजधानी के उन निवासियों के पुनर्वास पर विचार कर सकते हैं, जो उनके अधिकार क्षेत्र की जमीन पर रहते हैं। भूमिहीन कैंप केन्द्र सरकार की जमीन पर है। ऐसे में वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2012 से 2015 के बीच संबंधित जेजे कलस्टर का वोटर पहचानपत्र भी वहां के निवास के प्रमाणपत्र माना जाएगा।