मेले पर रोक के बाद बहराइच में लक्कड़ शाह मजार पर चले 7 बुलडोजर, ध्वस्त, ऐक्शन के बाद पीएसी तैनात
यूपी के बहराइच में लक्कड़ शाह मजार पर 7 बुलडोजर चले। अतिक्रमण हटा दिया गया है। पुलिस बल और वन विभागकर्मियों ने रात भर कार्रवाई की है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद पीएसी तैनात कर दी गई है।

यूपी के बहराइच में लक्कड़ शाह मजार को ध्वस्त कर दिया है। कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के संरक्षित क्षेत्र में स्थित मजार पर सात बुलडोजर के साथ भारी पुलिस बल और वन विभागकर्मियों ने रात भर कार्रवाई की है। अतिक्रमण को हटा दिया गया है। ऐक्शन के पीएसी तैनात कर दी गई। किसी को आने जाने नहीं दिया जा रहा है। कुछ दिन पहले लक्कड़ शाह बाबा की मजार पर हर साल आयोजित किए जाने वाले एक दिवसीय मेले पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी थी।
कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग की मुर्तिहा रेंज जंगल में स्थित हजरत सैयद हाशिम शाह उर्फ लक्कड़ शाह मजार समेत चार मजारों को ध्वस्त कर दिया गया । वन विभाग ने इसे संरक्षित क्षेत्र मानते हुए अतिक्रमण माना था। ध्वस्त किए गए मजारों में भंवर शाह, चमन शाह और शहंशाह की मजार शामिल हैं। डीएम मोनिका रानी और डीएफओ बी शिवशंकर ने यह जानकारी दी।
वन विभाग और पुलिस व पीएसी की टीम ने रविवार की देर रात कार्रवाई शुरू की है। जो तड़के तक चलती रही। सात मजारों को ध्वस्त करने के लिए सात बुलडोजर लगाए गए थे। एक किलोमीटर के दायरे में आम लोगों के आने जाने पर पाबंदी है। पीएसी रास्तों पर तैनात कर दी गई है। डीएफओ बी शिवशंकर ने बताया कि वन्य जीवों के हमले की आशंका के मद़देनजर पब्लिक को उधर जाने पर रोक लगाई गई है। उधर वन विभाग ने अपनी कार्रवाई में मजारों को पूरी तरह ढहाकर समतल कर दिया है।डीएफओ ने पांच जून को बेदखली का आदेश जारी किया था। दरगाह कमेटी इसके विरोध में हाईकोर्ट का रूख किया है।
कक्ष संख्या 14-15 में स्थापित थी दरगाह
मुर्तिहा कोतवाली के मुर्तिहा रेंज जंगल बीट संख्या 20, कक्ष संख्या 14 व 15 में स्थित हजरत हाशिम शाह उर्फ लक्कड़ शाह बाबा की मजार व अन्य दरगाह स्थित है। वन महकमे ने इस आरक्षित वन इलाके का क्रिटिकल टाइगर हैबीवेट करार दिया है। मुर्तिहा रेंजर की दरगाह बेदखली प्रक्रिया शुरू होने पर दरगाह कमेटी ने इसे प्राचीन वक्फ सम्पत्ति बताया था। वक्फ संख्या 108 बताकर गलत करार दिया था। लेकिन सुनवाई में कमेटी के तर्क को खारिज कर दिया गया। मामले में वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाने की मांग की थी। मजार व दरगाह भूमि के स्वामित्व के कागजात पेश करने का समय मांगा गया था। डीएफओ ने 6 म ई की तारिख नियत की थी। दरगाह इस तिथि को कागज पेश नही कर सकी। डीएफओ से ओर समय मांगे जाने पर नौ मई,फिर 14 मई तारिख नियत हुई। डीएफओ ने 5 जून को बेदखली का आदेश पारित किया गया था।