Summer Camps in Schools Aim to Foster Creativity and Physical Development Despite Challenges बोले बहराइच: समर कैंप में छात्रों को मिला आगे बढ़ने व सीखने का अवसर, Bahraich Hindi News - Hindustan
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बोले बहराइच: समर कैंप में छात्रों को मिला आगे बढ़ने व सीखने का अवसर

Bahraich News - जिले के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में ग्रीष्म अवकाश में समर कैंप का आयोजन किया गया। इनका उद्देश्य बच्चों में सकारात्मक सोच और शारीरिक विकास को बढ़ावा देना था। बच्चों ने गतिविधियों में भाग लिया,...

Newswrap हिन्दुस्तान, बहराइचThu, 12 June 2025 05:13 PM
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बोले बहराइच: समर कैंप में छात्रों को मिला आगे बढ़ने व सीखने का अवसर

जिले के सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूल कॉलेजों में ग्रीष्म अवकाश में समर कैंपों का आयोजन किया गया। इन समर कैंप का मुख्य उद्देश्य बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करना, उनका शारीरिक और मानसिक विकास सुनिश्चित करना था। कैंपों में बच्चों ने सिर्फ मस्ती ही नहीं की, बल्कि रचनात्मकता और नए कौशल सीखने का भी बेहतरीन मौका मिला। सरकारी और निजी संस्थाओं ने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ नई गतिविधियों से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार गतिविधियां आयोजित कीं। हालांकि जिस तरह पढ़ाई के दिनों में छात्र उपस्थिति रहती थी, वैसी उपस्थिति देखने को नहीं मिली। जिले के कुछ विद्यालय ऐसे भी रहे, जहां बिजली की अघोषित कटौती से बड़ी परेशानी हुई।

इसके अलावा फील्ड का अभाव, स्कूल कैंपस में पर्याप्त छाया न होने से भी बच्चों को बड़ी कठिनाई हुई। --------------------- फैक्ट फाइल -2803 सिर्फ परिषदीय विद्यालय हैं पूरे जिले में -4202 सरकारी/गैर सरकारी विद्यालय हैं 7.69 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं --------------------- बहराइच, संवाददाता। बच्चों में नया सोचने, करने व विभिन्न तकनीकों की जानकारी देने के लिए जिले भर के सरकारी व गैर सरकारी स्कूल कॉलेजों में समय कैंपों का आयोजन किया गया। कैंपों में बच्चों ने विभिन्न एक्टिविटी में बढ़चढ़कर भाग लिया। शिक्षकों ने बच्चों को योग, सामूहिक नृत्य, खेलकूद कराते हुए बच्चों में प्रतिस्पर्धा पैदा की। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि समर कैंप केवल मौज-मस्ती करने का स्थान नहीं, बल्कि नई चीजें सीखने के लिए भी एक बेहतरीन जगह है। छात्र-छात्राओं ने अपनी पसंद की गतिविधियां कर प्रतिभा का परिचय दिया। हालांकि समर कैंप में जो गतिविधियां आयोजित होनी थीं, वे गतिविधियां आयोजित नहीं हो सकीं। इन गतिविधियों में योग, व्यायाम, प्राणायाम का जीवन में महत्व, युवा शक्ति एवं ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग, समर कैम्प की आवश्यकता, उपयोगिता, महत्व के साथ- साथ इसके उद्देश्य जैसे विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच विकसित करना, विद्यार्थियों में टीम वर्क, आत्मविश्वास एवं जीवन कौशल विकसित करना, विद्यार्थियों में सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्यों की समझ विकसित करना, ग्रीष्म अवकाश में खेलकूद, कला, विज्ञान और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों का समग्र विकास करना था, लेकिन कहीं-कहीं समर कैंप मात्र औपचारिकता बनकर रह गए। इनसेट बच्चों ने योग के महत्व को समझा राजकीय हाईस्कूल टेण्डवा सिस्टीपुर में समर कैम्प की गतिविधियों में सर्वप्रथम आधा घंटा योग एवं व्यायाम कराया गया। विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए टाई एण्ड डाई, ब्लॉक पेंटिंग, कैरी बैग एवं एप्रैन बनाने की विधियां बताई गईं। प्रधानाचार्य बच्छराज ने बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाई। प्रमोद कुमार सिंह, वीरेन्द्र कुमार तिवारी ने प्रात: जागरण, समय से शयन, सहज जीवन शैली, चिंता मुक्त जीवन, प्रतिदिन समय से स्नान, नियमित योग अभ्यास, मन की एकाग्रता, सकारात्मक लक्ष्य आधारित जीवन दिनचर्या, पौष्टिक एवं सन्तुलित आहार, संयमित एवं स्वस्थ दिनचर्या, व्यायाम, योग, समयबद्धता, समयशीलता समय प्रबंधन, योग का जीवन में महत्व, रोजगार के अवसर एवं चयन की प्रक्रिया, विभिन्न रोजगार में साक्षात्कार का महत्व, प्रभावशाली व्यक्तित्व आदि के बारे में बिन्दुवार जानकारी दी, लेकिन यहां बच्चों की उपस्थिति काफी कम रही, लेकिन विद्यालय के जिम्मेदारों ने उपस्थिति बढ़ाने पर जोर नहीं दिया। इनसेट बच्चों ने ऊंट और बैलगाड़ी की भी सवारी की विशेश्वरगंज के 58 विद्यालयों में समरकैंप आयोजित किया गया। कंपोजिट विद्यालय झूरीकुईयां में खेलकूद के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण देने का प्रयास किया गया। बच्चों ने ऊंट और बैलगाड़ी की सवारी का भी आनंद लिया जिससे उनका अनुभव रोचक एवं आनंदमय रहा। शिक्षिका सुरभि पांडेय ने प्रकृति बोलती है विषय पर एक लघु नाटक प्रस्तुत किया गया। इसके अतिरिक्त पर्यावरण पर निर्माण कार्य और वरिष्ठ नागरिकों के साथ संवाद भी किया गया, जिसे अभिभावकों और बच्चों ने काफी पसंद किया। रिसिया के उच्च प्राथमिक एवं कंपोजिट विद्यालय में योग, खेलकूद के साथ व्यायाम और शिक्षा के अवसर के गुण बताए गए। हालांकि ये कार्यक्रम महज खाना पूर्ति बनकर रह गए। कई विद्यालयों में कैंप नहीं लगाए जा सके। इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी रिसिया पुष्पेंद्र जैन ने बताया कि उन्होंने नियमित समर कैंपों का निरीक्षण किया और बच्चों को योग, व्यायाम तथा खेल-खेल में शिक्षा ग्रहण करने के तौर तरीके सिखाए गए। इनसेट सुविधाओं के अभाव में समर कैंप के आयोजन को अव्यवहारिक बताया नाम न छापने की शर्त पर शिक्षकों ने भीषण गर्मी व सुविधाओं के अभाव में समर कैंप के आयोजन को अव्यवहारिक बताया। कहा कि यह छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के साथ भी खिलवाड़ है। 21 मई से प्रस्तावित समर कैंप में शिक्षामित्रों-अनुदेशकों की ही ड्यूटी लगाना उनके साथ सौतेला व्यवहार है। पहले से ही गर्मी की वजह से बहुत कम बच्चे स्कूल आ रहे थे। समर कैंप में बच्चों की संख्या बिल्कुल नगण्य रही। एक तो ग्रामीण क्षेत्र में बिजली बहुत कम आती है, वहीं विद्यालयों में संसाधन भी नहीं हैं। अघोषित बिजली कटौती के कारण बच्चों के साथ ही शिक्षकों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। विभाग ने इसके लिए शिक्षामित्र अनुदेशकों को ही तैनात किया। 21 मई से 10 जून तक समर कैंपों के आयोजन में 6000 रुपये मानदेय व 2000 रुपये स्टेशनरी खर्च के लिए विद्यालय को दिए गए। वहीं बच्चों को नाश्ता व भोजन के नाम पर ठगा गया। इनसेट समर कैंप संचालन की नहीं हुई जमीनी निगरानी शिक्षा विभाग की ओर से कमजोर बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य तो सराहनीय था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल उलट रही। पिछले वर्ष समर कैंप के संचालन की जिम्मेदारी स्कूलों के शिक्षकों पर थी, जिन्हें गर्मी की छुट्टियों में भी स्कूल आना पड़ता था। इस वर्ष विभाग ने व्यवस्था में बदलाव करते हुए समर कैंप का जिम्मा शिक्षा मित्रों व अनुदेशकों को सौंप दिया है। परिणामस्वरूप, कई स्कूलों में या तो समर कैंप आयोजित नहीं हुए या फिर आयोजन नाम मात्र का रहा है। अधिकांश विद्यालय सुबह 9 बजे तक बंद रहे। जिससे यह स्पष्ट हो गया कि कैंप संचालन में गंभीरता नहीं बरती गई। समर कैंप का उद्देश्य था कि शैक्षणिक रूप से पिछड़े बच्चों को अतिरिक्त समय देकर उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए, लेकिन संचालन में लापरवाही के चलते यह लक्ष्य पूरी तरह से धुंधला पड़ गया। कई अभिभावकों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि समर कैंप से बच्चों को छुट्टियों में भी सीखने का अवसर मिलना था, लेकिन इस बार विभाग की लचर व्यवस्था और निगरानी की कमी के कारण बच्चों को इसका लाभ अच्छे से नहीं मिल पाया। इस दिशा में समुचित पहल की जरूरत शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह समर कैंप संचालन की जमीनी निगरानी करे। यह योजना सिर्फ कागज़ तक सीमित न नहीं रहनी चाहिए। यदि बच्चों को लाभ पहुंचाना है तो संगठित, नियमित और उत्तरदायी व्यवस्था की आवश्यकता तलाशनी होगी। बोले लोग समर कैंप की गतिविधियों में शामिल होने वाले समस्त छात्र-छात्राओं में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। प्रकृति से प्रेम, स्वास्थ्य के प्रति सजगता के साथ-साथ भविष्य सुरक्षित रखने के लिए नई दिशा मिली है। प्रतिदिन 50 से अधिक बच्चे समर कैंप में प्रतिभाग करते थे। बच्छराज, प्रधानाचार्य, राजकीय हाईस्कूल टेंडवासिस्टीपुर -------------- पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज रामपुरवा में समर कैंप के अंतर्गत हुई एक्टिविटी से बच्चों को बहुत ज्ञान प्राप्त हुआ है। बच्चों को योगाभ्यास कराया गया है। स्कूल में सीखी गतिविधियों का बच्चे अनुसरण कर रहे हैं। शिव प्रताप सिंह ---------------- छुट्टी के दौरान समर कैंप में बच्चों को शिक्षकों की ओर से योगा, व्यायाम, खेलकूद समेत विभिन्न प्रतियोगिताओं के बारे में जानकारी दी गई है। ऐसे आयोजन होने से बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास होना जरूरी है। लाला प्रसाद मिश्र ------------------- हमारी बेटी राजकीय इंटर कॉलेज रामपुरवा के कक्षा 12 की छात्रा है। समर कैंप में बहुत उत्साहित हुई और उसने बढ़-कर करके हिस्सा लिया। बच्चों को बहुत जानकारियां प्राप्त हुई हैं। समय-समय पर ऐसे आयोजन होना जरूरी है। जगतपाल सिंह -------------------- समर कैंप के अंतर्गत बच्चों को योग टीचर के माध्यम से बहुत सी जानकारियां मिली हैं, जो बच्चों को नहीं पता था। बच्चों को मज़ेदार और सीखने वाली गतिविधियों में शामिल करके उनकी गर्मियों की छुट्टियों को यादगार बनाया गया है। अनूप कुमार अवस्थी --------------------- ग्रीष्म अवकाश में आयोजित समर कैंप में शिक्षकों का बड़ा योगदान रहा है। अभिभावकों के साथ ही एनडीआरएफ की टीम ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग प्रदान किया। कैंप के जरिए बच्चों को बहुत कुछ सीखने को मिला है। डॉ. अमित कुमार पांडेय, प्रधानाचार्य पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज रमपुरवा ------------------- समर कैंप बच्चों को नया कौशल सीखने, नई चीजें करने और दूसरों के साथ बातचीत करने का मौका प्रदान करता है। सिर्फ दिखावे के लिए समर कैंप नहीं होने चाहिए। बच्चों को इसके जरिए नई चीजें सीखने को मिलती हैं। शांति देवी ---------------------- समर कैंप का उद्देश्य है कि पढ़ाई के साथ-साथ नैनिहालों को पारंपरिक लोकनृत्य और कलाओं में पारंगत किया जाए, लेकिन विशेश्वरगंज के तमाम विद्यालयों में समर कैंप के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं निभाई गई हैं। मंशाराम मौर्या --------------------- समर कैंप बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा, विभिन्न प्रतियोगिता, खेल स्वास्थ्य आदि के ज्ञान कराने में सहायक साबित हुई है। बच्चों को नए कौशल सीखने, नई चीजें करने और दूसरों के साथ बातचीत करने का बेहतर मौका मिला है। अरविंद कुमार ----------------------- विद्यालयों में आयोजित समर कैंप से बच्चे खेल, शारीरिक शिक्षा के प्रति काफी जागरूक हुए हैं। इसमें बच्चों ने चित्रकला, कहानी लेखन, योग, विज्ञान गतिविधियों समेत कई कार्यक्रमों में भाग लिया है। प्रवीन कुमार ---------------------- समर कैंप के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला है। खत्म हो रही शारीरिक श्रम प्रथा को करके सीखने में समर कैंप काफी सहायक हुआ है। समर कैंप में बच्चों को नवाचार, आत्मविश्वास व सहभागिता को बढ़ावा मिला है। मेलाराम ---------------------- बच्चों के लिए नई-नई चीजें सीखने का सबसे अच्छा समय ग्रीष्मकालीन अवकाश है। बच्चे जब इस तरह के शिविर में आते हैं तो उनमें नेतृत्व, टीम मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, सहनशीलता, दृढ़ निश्चय, आगे बढ़ने की भावना विकसित होती है। शिवकुमार वर्मा ---------------------- शिक्षकों ने खेलकूद कराते हुए बच्चों में प्रतिस्पर्धा पैदा की है। समर कैंप न केवल मौज-मस्ती करने का स्थान है, बल्कि नई चीजें सीखने के लिए भी एक बेहतरीन जगह हैं। छात्र-छात्राओं ने अपनी पसंद की गतिविधियां कर प्रतिभा का परिचय दिया है। विनोद मौर्य --------------------- पहले से ही गर्मी की वजह से बहुत कम बच्चे स्कूल जा रहे थे। ग्रामीण क्षेत्र में बिजली बहुत कम रहती है। छुट्टी में बिना किसी संसाधन के समर कैंप आयोजित किए गए। एक पैकेट नमकीन देकर औपचारिकता पूरी की गई। ज्ञानेंद्र कुमार ------------------- समर कैंप में बहुत कम बच्चे स्कूल पहुंचे। तमाम ऐसे स्कूल थे जहां न तो छाया थी न तो पर्याप्त जगह और न ही कैंप के समय बिजली। ऐसे में बच्चों को सिर्फ परेशान किया गया। कहने के लिए समर कैंप नहीं होना चाहिए। भूपेंद्र प्रताप सिंह ---------------------- बोले जिम्मेदार जिले के सभी विद्यालयों में 21 मई से समर कैंप चल रहा था। 10 जून को समर कैंप का समापन हो गया है। समर कैंप के जरिए बच्चों को मजेदार और सीखने वाली गतिविधियों में शामिल करके उनकी गर्मियों की छुट्टियों को यादगार बनाने का काम किया गया। कैंपों के जरिए खेल और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। इससे बच्चों को स्वस्थ रहने और अपने शरीर को सक्रिय रखने में मदद मिलेगी। बच्चों को एक सुरक्षित और सहायक वातावरण में दूसरों के साथ बातचीत करने और सामाजिक कौशल विकसित करने का अवसर मिला है। आशीष कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बहराइच ----------------------- सुझाव 01- समर कैंप में बच्चों को जो सिखाया गया है, सभी अभिभावक बच्चों से घरों पर भी दोहराएं। 02- अभिभावक बच्चों को निर्णय लेने और समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित करें। 03- बच्चों को खुद को अभिव्यक्त करने और नई चीजें आजमाने के लिए प्रोत्साहित करें। 04- बच्चों को सभी तरह के हाथों से किए जाने वाले कामों में उत्साहपूर्वक शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। 05- बच्चों को उनकी रुचियों और क्षमता के अनुसार गतिविधियों में शामिल होने दें। --------------- शिकायत 01- समर कैंपों में विद्यालयों में बच्चों की संख्या पढ़ाई के दिनों की अपेक्षा काफी कम देखने को मिली। 02- बिजली की अघोषित कटौती के कारण समर कैंप के दौरान बच्चों को बड़ी दिक्कत हुई। 03- तमाम विद्यालयों में फील्ड न होने के कारण बच्चों को खेलने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। 04- जिले के तमाम विद्यालयों में समर कैंप के नाम पर सिर्फ औपचारिताएं निभाई गईं। 05- तमाम स्कूलों के शिक्षकों ने कोई विशेष रुचि नहीं ली।

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