बोले बलरामपुर- बंद पड़ी बर्न यूनिट व ट्रामा सेंटर शुरू हो तो बने बात
Balrampur News - समस्या बलरामपुर, संवाददाता। जहां एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गंभीर है। वहीं

समस्या बलरामपुर, संवाददाता। जहां एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गंभीर है। वहीं दूसरी ओर जिले के संयुक्त जिला चिकित्सालय परिसर में बनने के वर्षों बाद भी बर्न यूनिट एवं ट्रामा सेंटर का संचालन शुरू नहीं हो सका। बर्न केस एवं दुर्घटना आदि में गंभीर रूप से घायल होने वाले मरीजों को जिले में उपचार नहीं मिल पाता है। ऐसे मरीजों के लिए यहां के जिला अस्पताल महज रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। इन दोनों महत्वपूर्ण यूनिटों को संचालित कराने के लिए अस्पताल प्रशासन ने शासन को पत्राचार करने के अलावा कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। जिसका कारण है कि आज भी यह दोनों यूनिट बंद पड़े हैं।
वर्षों पूर्व संयुक्त जिला चिकित्सालय में प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न यूनिट तथा ट्रामा सेंटर का निर्माण कराया गया था। यह दोनों महत्वपूर्ण यूनिट के बनने के बाद जिलेवासियों में यह उम्मीद जगी थी कि अब जिले के गंभीर मरीजों को अपने यहां ही इलाज की सुविधा मिल सकेगी। लेकिन वर्षों बाद भी इन यूनिटों का संचालन नहीं शुरू हो सका। ट्रामा विंग एवं बर्न यूनिट आज भी अस्पताल परिसर में सफेद हाथी बनकर खड़े हुए हैं। यह बात और है कि समय-समय पर अस्पताल प्रशासन ने इन दोनों यूनिटों का उपयोग किया है। कोरोना के समय में बर्न यूनिट को कोविड का लेवल-2 अस्पताल बना दिया गया था। साथ ही ट्रामा सेंटर को वैक्सीनेशन सेंटर बना दिया गया था। कोरोना का प्रकोप खत्म होने के बाद यह दोनों यूनिट फिर से अपने बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। दोनों यूनिटों में तमाम उपकरण भी लगा दिए गए थे। जो या तो चोरी हो गए हैं या फिर उपयोग में होने से खराब हो गए हैं। पिछले कुछ समय पूर्व ट्रामा सेंटर में लगे कई पंखे व एसी चोर खोल ले गए थे। इसी तरह से बर्न यूनिट में भी उपकरणों की चोरी हुई थी, जिसका खुलासा आज तक नहीं हो सका है। जिले वासियों का कहना है कि यह दोनों महत्वपूर्ण यूनिट हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों उच्चाधिकारियों और अस्पताल प्रशासन को ठोस प्रयास करके इसका संचालन शुरू कराना चाहिए। जिससे जिलेवासियों को इसका लाभ मिल सके। जिले में आए दिन होती हैं दुर्घटनाएं, रेफर होते हैं मरीज जिले में आए दिन दुर्घटना आदि में लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। साथ ही बर्न केस भी अक्सर आते हैं। ऐसे मरीजों को जिला अस्पताल में उपचार नहीं मिल पाता है। अस्पताल की इमरजेंसी में उनका प्राथमिक उपचार करने के बाद उन्हें रेफर कर दिया जाता है। कई बार तो ऐसा देखा गया है कि गंभीर रूप से घायल या जले व्यक्ति को त्वरित इलाज न मिल पाने के कारण जान भी गवांनी पड़ी है। अगर बर्न यूनिट एवं ट्रामा सेंटर का संचालन अस्पताल में समय से रहते शुरू हो जाता तो शायद जिले के ऐसे मरीजों को इसका लाभ जरूर मिलता। आम लोगों को कहना है कि केन्द्र व राज्य सरकार दोनों चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गंभीर है। बलरामपुर आकांक्षी जनपद है। यहां स्वास्थ्य पैरामीटर पर तमाम कार्य किए जा रहे हैं। विल्डिंगें बनाना ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, इसका संचालन बेहद जरूरी है। मैन पॉवर की कमी के कारण नहीं हो शुरू हो सका संचालन संयुक्त जिला चिकित्सालय में करीब वर्षों पूर्व आधुनिक बर्न यूनिट एवं ट्रामा सेंटर का निर्माण लाखों की लागत से कराया गया था। मैन पॉवर की कमी के कारण इन दोनों महत्वपूर्ण यूनिटों का संचालन आज तक नहीं शुरू हो सका है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि ट्रामा सेंटर एवं बर्न यूनिट के संचालन के लिए शासन को लगातार पत्राचार किया गया है। मैन पॉवर की कमी के कारण इन व्यवस्थाओं का संचालन नहीं हो सका है। जैसे ही मैन पॉवर मिल जाएगा इनका संचालन शुरू करा दिया जाएगा। हॉलाकि अब संयुक्त जिला चिकित्सालय स्वसाशी राज्य मेडिकल कॉलेज का हिस्सा हो चुका है। आगामी अप्रैल माह से यहां की सारी व्यवस्थाओं को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य देखेंगे। देखने वाली बात यह होगी कि मेडिकल कॉलेज बनने के बाद क्या इन दोनों यूनिटों का संचालन शुरू हो सकेगा। ट्रामा सेंटर को बना दिया गया प्राचार्य का कार्यालय संयुक्त जिला चिकित्सालय पूर्ण रूप से स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज बलरामपुर का हिस्सा हो गया है। अभी मेडिकल कॉलेज का संचालन तो शुरू नहीं हुआ है, लेकिन प्राचार्य की नियुक्ति हो गई है। प्राचार्य डॉ राजेश कुमार चतुर्वेदी कार्यभार ग्रहण करने के बाद से कार्यों को सम्पादित कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज सम्बन्धी व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए बंद पड़े ट्रामा सेंटर को अस्थाई तौर पर प्राचार्य का कार्यालय बना दिया गया है। वहीं से प्राचार्य कार्यों को सम्पादित करते हैं। क्योंकि अभी मेडिकल कॉलेज के प्रशासनिक भवन का निर्माण नहीं हो सका है। बताया जाता है कि जब तक स्थाई रूप से प्रशासनिक भवन का निर्माण नहीं हो जाएगा, तब तक प्राचार्य का कार्यालय इसमें चलता रहेगा।
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