बुजुर्ग की हत्या के दोषी पिता-पुत्र सहित तीन को आजीवन कारावास
Banda News - बांदा। संवाददाता खेत जबरन जोतने और बोने के विवाद में प्रधानपति, उसके बेटे सहित

बांदा। संवाददाता खेत जबरन जोतने और बोने के विवाद में प्रधानपति, उसके बेटे सहित तीन ने एक बुजुर्ग को खेत में लाठी और बंदूक से पीट-पीटकर पहले मरणासन्न कर दिया। इसके बाद अलाव में झोंक दिया। इससे बुजुर्ग की मौत हो गई थी। मामले में गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम चंद्रपाल द्वितीय की अदालत ने फैसला सुनाया। तीनों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर दो-दो साल अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इसी मामले में आरोपित तत्कालीन महिला प्रधान को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया। दौरान मुकदमा दो आरोपितों की मौत हो गई थी।
बदौसा थानाक्षेत्र के पौहार गांव के मजरा जमुनिहापुरवा निवासी रामभजन यादव ने 13 जनवरी 2020 को पिता की हत्या की एफआईआर दर्ज कराई। बताया कि 12 जनवरी की शाम लगभग छह बजे पिता उमादत्त यादव व गांव के सभाजीत जमुनिहापुरवा के ट्यूबवेल में आग ताप रहे थे। छेदीलाल पुत्र जगन्नाथ और उसका बेटा खुशीलाल उर्फ आनंद, लालजी उर्फ जयनारायन पुत्र गेंदालाल लाठी व बंदूक लेकर पहुंचे। जान से मारने की नीयत से पिता को लाठी व बंदूक की बट से पीटने लगे। सभाजीत ने विरोध किया तो उनपर बंदूक तान दी। इससे वह सहम गए। पिता को मरणासन्न करने के बाद अलाव डाल दिया। शोर सुनकर दौड़े सभाजीत के बेटा सत्यम सिंह ने आरोपितों का विरोध किया तो बंदूक दिखाकर धमकाया। बोले, चुप रहो अन्यथा तुम्हें भी मार देंगे। पिता को मृत समझ आरोपित भाग गए। कुछ दूर में रज्जन उर्फ चंद्रपाल पुत्र शिवबरन मौजूद थे। उन्होंने पूरी घटना को देखा और घर आकर बताया। पिता को अधजली हालत में आनन फानन जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। बताया कि आरोपितों ने खेत जबरन जोत लिया था। इसी को लेकर विवाद चल रहा था, जिससे रंजिश मानते थे। ग्राम प्रधान सियादुलारी, उसका पति छेदीलाल बेटे रामनरेश उर्फ रतीभान व सोनू ने पहले भी कई बार जान से मार डालने की धमकी दी थी। इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों को की थी। पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे आरोपितों ने घटना को अनजाम दिया। सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रवण कुमार तिवारी ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। दौरान मुकदमा रामनरेश व सोनू की मौत हो गई। तत्कालीन ग्राम सियादुलारी के विरुद्ध कोई ठोस सबूत न होने से उसे बरी कर दिया गया। न्यायाधीश ने छेदीलाल, उसके बेटे खुशीलाल व लालजी को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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