Grand Prana Pratishtha Festival at Historic Gupteshwar Mahadev Temple तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हुआ, Barabanki Hindi News - Hindustan
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तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हुआ

Barabanki News - गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य उद्घाटन हुआ। श्रद्धालुओं ने विशाल कलश यात्रा में भाग लिया, जिसमें पवित्र जल एकत्रित कर इसे पांच प्रमुख मंदिरों में स्थापित किया...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीMon, 26 May 2025 07:58 PM
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तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हुआ

टिकैतनगर। सरयू नदी के पावन तट पर स्थित 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के ऐतिहासिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, मूर्तिहन घाट में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ भव्य तरीके से विधि विधान पूर्वक हुआ। श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत इस आयोजन की शुरुआत विशाल कलश यात्रा से हुई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर अपनी आस्था का परिचय दिया। इस दौरान हर हर महादेव की जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर सरयू तट तक पहुंची कलश यात्रा के दौरान भक्तों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पवित्र जल संग्रह किया। यह जल क्षेत्र के पांच प्रमुख मंदिरों में कलश भ्रमण के साथ स्थापित किया गया।

यात्रा मार्ग पर ढोल-नगाड़ों, भक्ति गीतों और हर हर महादेव के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। कलश स्थापना के पश्चात पंचांग पूजन, बेदी पूजन, जलाधिवास एवं अन्नाधिवास जैसे प्रमुख वैदिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इन धार्मिक विधियों का संचालन अयोध्या, वृंदावन और वाराणसी से पधारे सुप्रसिद्ध आचार्यों ने किया। मुख्य आचार्य डॉ. महीधर शुक्ल महाराज (अयोध्या) के नेतृत्व में आचार्य बालेंद्र धर शुक्ल, लक्ष्मी धर शुक्ल (वृंदावन), आचार्य सीताराम प्रिय, बसंत ओझा (वाराणसी), कौशलेश रामानुज एवं अभय कृष्ण शास्त्री महाराज (अयोध्या) ने विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई। प्रसिद्ध यज्ञाचार्य डॉ. महीधर शुक्ल महाराज ने प्रवचन में कहा कि गुप्तेश्वर महादेव केवल एक देवस्थान नहीं, यह हमारी सनातन संस्कृति की जीवंत चेतना है। शिव की उपासना जहां आत्मिक शांति प्रदान करती है, वहीं सामाजिक समरसता का भी आधार है। जब-जब अधर्म बढ़ा है, तब-तब भगवान शंकर ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है। उन्होंने युवाओं को धर्म से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें मंदिरों को केवल पूजा स्थली नहीं, बल्कि संस्कार केंद्र बनाना होगा, जहां से समाज को दिशा मिले। इस अवसर पर समाजसेवी पुरुषोत्तम तिवारी, कालिका प्रसाद तिवारी, अनिल तिवारी, राकेश शुक्ला, विकास तिवारी, लवकुश शर्मा आदि सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही।

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