Vaccination Drive Against Galaghotu Disease for Cattle in Bhadohi गलाघोटू से बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका, Bhadoni Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsBhadoni NewsVaccination Drive Against Galaghotu Disease for Cattle in Bhadohi

गलाघोटू से बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका

Bhadoni News - गलाघोटू से बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका बचाव को 17 हजार मवेशियों

Newswrap हिन्दुस्तान, भदोहीThu, 19 June 2025 02:42 AM
share Share
Follow Us on
गलाघोटू से बचाव को 17 हजार मवेशियों को लगा टीका

भदोही, संवाददाता। मवेशियों को गलाघोटू बीमारी से बचाव को पशु स्वास्थ केंद्रों पर टीकाकरण का काम तीव्र वेग से चल रहा है। जिला पशु अस्पताल समेत कुल 11 केंद्रों पर टीका लगाया जा रहा है। अब तक कुल 17 हजार मवेशियों को लगाया जा चुका है। जबकि दो लाख 43 हजार पशुओं को टीका लगाया जाना शेष है। निर्धारित समय सीमा के अंदर समस्त पशुओं को टीका लगा दिया जाएगा। पशु चिकित्सक डा. विनोद यादव ने बताया कि जिले में कुल मवेशियों की संख्या करीब तीन लाख 50 हजार है। दो लाख 95 हजार पशुओं को गलाघोटू लगाने का लक्ष्य शासन स्तर से प्राप्त हुआ है।

इसके सापेक्ष अब तक बीस हजार से ज्यादा मवेशियों को टीका लग चुका है। बारिश में यह रोग मवेशियों में तेजी से फैलता है। लक्षण का पता लगने के बाद पशुओं का शीघ्र इलाज नहीं हुआ तो 24 घंटे में मवेशी मर सकते हैं। यह रोग 'पास्चुरेला मल्टोसीडा' नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जीवाणु सांस नली में तंत्र के ऊपरी भाग में मौजूद होता है। मौसम परिवर्तन के कारण पशु मुख-खुर (गलघोंटू) रोग की चपेट में आ जाता है। बीमारी के प्रति विशेष सावधानी बरत मवेशियों को इससे बचाया जा सकता है। गलाघोटू बीमारी का यह है लक्षण ज्ञानपुर। गलाघोटू बीमारी की चपेट में आते ही पशुओं को अचानक तेज बुखार आने लगता है। बुखार की चपेट में आने से रोगी पशु सुस्त रहने लगते हैं। खाना-पीना छोड़ देता हैं और पशु की आंखें भी लाल होने लगती है। उसे सांस लेने में दिक्कत होती है। बीमार मवेशी के मुख से लार गिरने लगती है। नाक से स्राव बहना तथा गर्दन व छाती पर दर्द के साथ सोजिश आना मुख्य लक्षण है। मवेशियों का ऐसे करें बचाव ज्ञानपुर। मवेशियों को बरसात के दिनों में गलाघोंटू का टीका जरुर लगवाएं। बीमार मवेशी को दूसरे पशुओं से दूर बांधें क्योंकि यह संक्रामक तेजी से फैलता है। जिस स्थान पर मवेशी की मौत हुई है वहां कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। मवेशी बांधने वाले स्थान को हमेशा स्वच्छ रखें। रोग का लक्षण दिखते ही तत्काल पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।