बोले बिजनौर : शिक्षक और राज्यकर्मचारी को पुरानी पेंशन पाने की आस
Bijnor News - शिक्षकों और राज्य कर्मचारियों के लिए अटेवा पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है। 2013 से शुरू हुए इस आंदोलन में 5000 से अधिक शिक्षक और कर्मचारी जुड़े हैं। एनपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन से...

शिक्षकों और राज्य कर्मचारियों के लिए अटेवा एक आस एक उम्मीद बनी हुई है। वर्ष 2013 से अस्तित्व में आई अटेवा शिक्षक व राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष पथ पर अडिगता के साथ चल रही है। आज जिले में अटेवा से पांच हजार से अधिक शिक्षक व कर्मचारी जुड़े हुए हैं। राज्य कर्मचारियों के 20 से अधिक संगठन भी अटेवा के झंडे तले अपना खेमा जमा लेते हैं। अटेवा ने पुरानी बहाली के लिए 2013 से शिक्षक व राज्य कर्मचारियों के संयुक्त रूप से सैकड़ों धरने-प्रदर्शन आयोजित किए हैं। अटेवा पदाधिकारियों का मानना है कि पुरानी पेंशन बहाली से कर्मचारी सेवानिवृत्त होने पर सम्मान के साथ अपना जीवन गुजार सकता है। शिक्षक व राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली के अलावा कोई विकल्प नहीं है। अटेवा पुरानी पेंशन बहाली के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
एक अप्रैल 2005 से पहले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को विभाग में 30 से 35 वर्ष तक विभागीय सेवा करने के बाद सुरक्षित एवं सम्मान जनक जीवन व्यतीत करने के लिए गारंटेड पेंशन दी जाती थी, लेकिन एक अप्रैल 2005 से प्रदेश के शिक्षकों एवं कर्मचारियों पर शेयर बाजार पर आधारित एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) को लागू कर दिया। कुछ वर्षों के बाद जब एनपीएस से अंतर्गत शिक्षक एवं कर्मचारी सेवानिवृत्त गया हैं तो उन्हें पेंशन के नाम पर 850, 1250 एवं 3157 रुपए मिले जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत सेवानिवृत होने वाले शिक्षक एवं कर्मचारियों को उसके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है, जो उसके सुरक्षित एवं सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए पर्याप्त होता है। एनपीएस में शिक्षकों एवं कर्मचारियों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से असुरक्षित को देखते हुए वर्ष 2013 में विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में ऑल टीचर्स एम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) के द्वारा एनपीएस के विरोध एवं पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर एक मुहिम आरंभ हुई। जनपद में लगभग दस हजार से अधिक शिक्षक एवं कर्मचारी एनपीएस के दंश को झेल रहे हैं।
अटेवा के पदाधिकारी चन्द्रहास सिंह, राजेश कुमार रवि, राजेन्द्र सिंह बताते है कि आज जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो एनपीएस के अंतर्गत आने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ जाती है, क्योंकि शेयर बाजार की गिरावट के साथ शिक्षकों एवं कर्मचारियों के वेतन से होने वाली 10 प्रतिशत कटौती का अंश भी डूब जाता है। आंदोलन को देखते हुए सरकार ने एनपीएस में कई सुधार जैसे परिवारिक पेंशन डेथ ग्रेच्युटी सरकारी अंश 10 प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत करना निकासी का सरलीकरण आदि किए गए। भविष्य की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा को लेकर शिक्षक एवं कर्मचारी निरंतर संघर्षरत है।
तारिक अलीम, लोकेन्द्र सिंह, आसिफ गयूर, संजीव कुमार ने बताया कि आज अटेवा के संघर्ष में कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ, राज्य संयुक्त राज्य कर्मचारी परिषद, कृषि अधीनस्थ सेवा संघ, उ. प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ, उ. प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ उ.प्र, माध्यमिक शिक्षक संघ, सिंचाई संघ, इरिगेशन मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ, भंडार कर्मचारी, संघ राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ, राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ, राजकीय वाहन चालक महासंघ, ड्राफ्टमैन स्टाफ एसोसिएशन, लोक निर्माण मिनिस्ट्रियल कर्मचारी संघ, शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ, राज्य कर्मचारी महासंघ, कोषागार मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ आदि अनेक संगठन जुड़ गए है। सभी संगठन एकजुट होकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते हुए आंदोलन चला रहे हैं।
एनपीएस और यूपीएस का विकल्प दिया
निरंतर आंदोलन की बदौलत केंद्र सरकार ने एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) एवं यूपीएस (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) का विकल्प केंद्रीय कर्मचारियों को एक अप्रैल 2025 से दिया है। एनपीएस एवं यूपीएस के विकल्प से केवल सरकार शिक्षकों एवं कर्मचारियों को गुमराह करने का कार्य कर रही है। यदि सरकार एनपीएस एवं यूपीएस का विकल्प दे सकती है, तो ओपीएस का विकल्प क्यों नहीं दे सकती। यूपीएस पेंशन स्कीम भी शेयर बाजार पर आधारित है।
2016 में किया था सबसे बड़ा प्रदर्शन
जिला मुख्यालय पर सबसे पहले वर्ष 2016 में एनपीएस की शव यात्रा को 1000 शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा निकाला गया। इसी प्रकार के निरंतर वर्ष 2013 से आज तक सभी शिक्षक कर्मचारी लामबंद होकर एनपीएस का विरोध करते हुए सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं।
हमारी भी सुनो
एनपीएस से सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों को आज मात्र 850, 1250 एवं 3157 तक की पेंशन मिल रही है। आज सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं। पुरानी पेंशन हर हाल में मिलनी चाहिए। - राजेश कुमार रवि, जिलाध्यक्ष, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन।
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पुरानी पेंशन में शिक्षकों एवं कर्मचारियों की बुढ़ापे की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा है। जिसको लेकर शिक्षक एवं कर्मचारी आंदोलित है। सरकार को एनपीएस एवं यूपीएस पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल करनी चाहिए।- चन्द्रहास सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष, अटेवा।
नई पेंशन स्कीम में शिक्षक कर्मचारियों का गुजारा नहीं होगा। शासन शिक्षक कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन को बहाल करें। पुरानी पेंशन के लिए प्रदेश भर में समय-समय पर आंदोलन किए गए हैं। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को संगठन हर स्तर पर जाने को तैयार है।- राजेन्द्र कुमार, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ।
सरकारी कर्मचारी 60 वर्ष तक विभाग की सेवा देने का कार्य करता है, लेकिन आज सेवानिवृत्ति के उपरांत उसे पेंशन व्यवस्था से वंचित कर उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। - लोकेन्द्र सिंह, जिलाध्यक्ष राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ।
पुरानी पेंशन का लाभ जब तक शिक्षकों को नहीं मिल पाता तब तक शिक्षक कर्मचारी एकजुट होकर इसके लिए संघर्ष करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि तमाम शिक्षक कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन के लिए लगातार मांग उठा रहे हैं।- हरवंत सिंह, वरिष्ठ शिक्षक नेता।
शासन स्तर पर शिक्षक व कर्मचारियों के हितों की अनदेखी की जा रही है। शिक्षकों को पुरानी पेंशन के साथ समय-समय पर पदोन्नति का लाभ भी दिया जाना चाहिए। लंबे समय से जिले में शिक्षकों के प्रमोशन भी नहीं हुए हैं। -मोहम्मद तारिक, जिला उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ।
पुरानी पेंशन बुढ़ापे की लाठी है। एनपीएस एवं यूपीएस केवल पूंजीपतियों का षड्यंत्र है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार संघर्ष जारी रहेगा। सरकार इस और ध्यान दें। - संजीव कुमार, जिला उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ।
कर्मचारी अपने जीवन के महत्वपूर्ण 25 से 35 साल सरकारी योजनाओं को धरातल पर क्रियान्वयन करने में लगा देता है लेकिन सेवानिवृत्ति होने पर उसको आर्थिक सहारे की आवश्यकता होती है तो पुरानी पेंशन मिलनी ही चाहिए।- देशराज सिंह,जिला संरक्षक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ।
पुरानी पेंशन प्रणाली ही देश समाज और शिक्षक हित में है। एनपीएस और यूपीएस जैसी शोषण कारी स्कीम कदापि स्वीकार्य नहीं है। पुरानी पेंशन बहाली शीघ्र होनी चाहिए ताकि राहत मिल सके। - दिग्विजय सिंह, जिलाध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ बिजनौर प्रा संवर्ग।
एनपीएस एवं यूपीएस केवल पूंजीपतियों को और मजबूत करने वाली पेंशन स्कीम है। पुरानी पेंशन शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत सम्मान एवं सुरक्षा प्रदान करतीं हैं। - सुभाष चन्द्र यादव, जिला महामंत्री, अटेवा।
एनपीएस ने केवल शिक्षकों एवं कर्मचारी के भविष्य से खिलवाड़ किया है। पुरानी पेंशन कर्मचारी के सुरक्षित भविष्य की गारंटी देती है। जिसे सरकार को बहाल करना चाहिए। - अबरार हुसैन, सदस्य, आईटीआई कर्मचारी संघ।
एनपीएस एवं यूपीएस को लेकर शिक्षक एवं कर्मचारी की भावनओं को सरकार को समझना चाहिए और शिक्षकों एवं कर्मचारियों को सुरक्षित भविष्य की गारंटी देने वाली पुरानी पेंशन को बहाल करना चाहिए।-गयूर आसिफ, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा संघ।
एनपीएस एवं यूपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। पुरानी पेंशन कर्मचारियों की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है। सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करनी चाहिए।- शूरवीर सिंह, जिलाध्यक्ष, सिंचाई संघ।
पुरानी पेंशन शिक्षकों को लंबी विभागीय सेवा के एवेज में दिया जाता है। जिसे सरकार को बहाल करना चाहिए। कर्मचारी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं। - राहुल राठी, जिला मंत्री, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ।
एनपीएस एवं यूपीएस केवल कर्मचारियों के साथ धोखा है। पुरानी पेंशन कर्मचारी के सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। जिसे सरकार को बहाल करना चाहिए। - बीना रानी, जिलाध्यक्ष, कलक्ट्रेट मिनिस्ट्रीरियल कर्मचारी संघ।
शिक्षक कर्मचारी महासंघ लगातार पुरानी पेंशन की मांग कर रहा है। पुरानी पेंशन तत्काल बहाल होनी चाहिए। संगठन लगातार पुरानी पेंशन बहाली की मांग करता रहा है। शिक्षक कर्मचारी हितों की लड़ाई के लिए आंदोलन चलता रहेगा।-भूपेन्द्र चौहान, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ।
नई पेंशन स्कीम के तहत सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक व कर्मचारी परेशान है। पुरानी पेंशन को शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे की लाठी माना जाता है। शासन को शिक्षक व कर्मचारी हितों को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन को बहाल करने की जरूरत है।- डा. सरस्वती चौहान, शिक्षिका।
सुझाव
1- एनपीएस एवं यूपीएस पेंशन स्कीम को समाप्त करना चाहिए।
2- एनपीएस व यूपीएस का विकल्प हो सकता है तो ओपीएस का भी विकल्प होना चाहिए।
3- पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर सदन में बिल आना चाहिए।
4- पेंशन भी एक समान होनी चाहिए।
5- सरकार को एनपीएस धारक नेतृत्व से वार्ता करनी चाहिए।
शिकायतें
1- एनपीएस एवं यूपीएस शेयर बाजार पर आधारित जिसमें बाजार की गिरावट के साथ शिक्षकों एवं कर्मचारियों के 10 प्रतिशत कटौती की धनराशि डूबतीं है।
2- 13 वर्ष से अधिक आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
3- आंदोलन के बावजूद पुरानी पेंशन बहाली नहीं हो रही है।
4- एनपीएस एवं यूपीएस में जीपीएस की व्यवस्था नहीं है।
5- सदन में पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर बिल न लाना न्योचित नहीं है
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