Struggles of Cobblers in Bulandshahr Demand for Permanent Shelters and Financial Support बोले बुलंदशहर: मोचियों को चाहिए सुविधाएं, सस्ता लोन, Bulandsehar Hindi News - Hindustan
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बोले बुलंदशहर: मोचियों को चाहिए सुविधाएं, सस्ता लोन

Bulandsehar News - बुलंदशहर जिले में 800 से अधिक मोची जूते-चप्पलों की सिलाई कर रहे हैं, लेकिन उन्हें आयुष्मान कार्ड और राशन कार्ड जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। सस्ता लोन न मिलने के कारण उनके काम में वृद्धि नहीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरMon, 9 June 2025 06:37 PM
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बोले बुलंदशहर: मोचियों को चाहिए सुविधाएं, सस्ता लोन

जिले में 800 से ज्यादा मोची जूते चप्पलों की सिलाई कर गुजर बसर कर रहे हैं। आयुष्मान कार्ड न बनने, राशन कार्ड में नाम दर्ज न होने समेत योजनाओं का लाभ न मिलने के कारण इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मोचियों का कहना है कि बैंकों से सस्ता लोन न मिलने के कारण भी काम को नहीं बढ़ा पा रहे हैं। यदि सस्ता लोन मिल जाता तो जूते चप्पलें ठीक करने के साथ बनाकर बेचने का काम भी शुरू कर देते। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता। वहीं काम करने के लिए पक्का ठिकाना न होने से सड़क किनारे ही बैठना पड़ता है।

इससे मौसम की मार भी सहनी पड़ती है। उन्होंने लोन, पक्के ठिकाने की सुविधा दिलाने की मांग की है। बुलंदशहर जिले में हर चौराहा, बस अड्डा, स्याना बस अड्डा, काला आम, भूड़ चौराहा, कलक्ट्रेट रोड, डीएम रोड सहित कई स्थानों पर मोचियों के ठिकाने बने हुए हैं। इन सभी मोचियों की समस्याएं एक जैसी हैं। उनके पास बैठने की कोई स्थायी जगह नहीं है और इससे उनका काम प्रभावित होता है। बारिश होने पर उनको अपनी जगह भी छोड़नी पड़ती है। जिले में सैकड़ों लोग मोची का काम करते हैं। इसमें मरम्मत करने वालों से लेकर जूते-चप्पल बनाने वाले भी शामिल हैं। कालाआम चौराहा पर काफी संख्या में मोची बैठते हैं। यह नई चप्पलों को भी बनाने का काम करते हैं। मोचियों की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है। क्योंकि उनके पास बैठने के लिए जगह तो हैं, लेकिन उसके ऊपर छत नहीं है। अधिकांश मोची आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। काम कभी मिलता है तो कभी 100 रुपये कमाना भी कठिन हो जाता है। उनके लिए कई सरकारी योजनाएं भी हैं लेकिन उसकी जानकारी नहीं होने की वजह से लाभ नहीं मिल पाता। ----- शिविर लगाकर हो स्वास्थ्य जांच दोपहर में प्रचंड गर्मी और धूप सहते हैं और पूरा दिन वाहनों का धुआं, धूल सांस के जरिये फेफड़े में जाता है। इसके चलते मोचियों को कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर सांस की बीमारी होने की आशंका अधिक होती है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से समय-समय पर चिकित्सा शिविर लगाया जाए। रोडवेज, रेलवे स्टेशन पर लगने वाले शिविर में भी उनकी जांच होने की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ ना हो। ----- दूसरी पीढ़ी कर रही काम, नहीं बदले हालात शहर के विभिन्न स्थानों पर बैठने वाले कई मोची ऐसे हैं जो 40 साल से यहां काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बचपन में वह पिता के साथ यहां आते थे। फिर धीरे-धीरे काम सीखा और यहीं बैठकर जूते चप्पल की मरम्मत करने लगे। देखते देखते काफी समय बीत गया, लेकिन इस दौरान शहर तो बदला, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अगर यहीं पर बड़ी वाली छतरी या फाइबर शीट लग जाए तो भी थोड़ा राहत मिल सकती है। वह लोग जूते-चप्पल बनाना भी जानते हैं, लेकिन ना तो कच्चा माल है ना ही इतने रुपये कि जूते-चप्पल बनाकर अपना कारोबार शुरू कर सकें। ----- स्थाई ठिकानें की मांग कर रहे हैं मोची शहर में कई जगह जूता कारीगर और मोची रोजाना अपनी दुकान सजाते हैं, रात में समेट लेते है। उनके लिए बैठने तक का स्थाई ठिकाना नहीं है। काला आम चौराहा पर घर दिन मोची रोजाना सुबह आते हैं, दिनभर काम करते हैं और रात में चले जाते हैं। गर्मी, बरसात, सर्दी मौसम कोई भी हो, खुले आसमान के नीचे उनकी दुकान चलती है। जब बरसात के समय कई दिन लगातार बारिश होती है तो मजबूरी में इन्हें अपने कारोबार को बंद करना पड़ता है। उस समय उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। दुकान के नाम पर सिर्फ बैठने भर की जगह की सड़क किनारे उनके पास है। प्रचंड गर्मी में तपते सूरज के ठीक नीचे दोपहर में पसीने से तरबतर हो जाते हैं। मोचियों ने कहा कि शहर में कई ओवर ब्रिज, फ्लाई ओवर बन गए हैं जिसके नीचे उनको जगह मिले तो सर्दी, बारिश और गर्मी से बचाव होगा। --------- समेटना पड़ता है सामान काला आम चौराहा पर बैठने वाले मोचियों ने कहा कि शहर में यदि कोई अभियान चलता है तो उनको अपना धंधा बंद करना पड़ता है। सबसे पहले उनको ही हटाने का काम किया जाता है। मोचियों का कहना है कि उनकी वजह से यातायात में कोई रुकावट नहीं आती है। वह सड़क किनारे नाले पर बामुश्किल दो से तीन फीट जगह में ही अपना सामान लेकर बैठते हैं। इसके बाद भी जब अभियान चलता है तो सबसे पहले उनको ही हटाया जाता है। -------- पंजीकरण कराया जाए मोचियों ने कहा कि उनका श्रम विभाग में पंजीकरण किया जाना चाहिए। वह लोग कुशल श्रमिक की श्रेणी में पंजीकृत हो जाएं तो कई सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकता है। जूता-चप्पल के साथ ही उनको लेदर के बैग, पर्स बनाने का प्रशिक्षण भी मिल जाए तो वह अपना काम बढ़ा सकते हैं। इन मांगों को लेकर शासन-प्रशासन गंभीरता से कदम उठाए तो बड़ी राहत मिलेगी। ----- मोचियों का दर्द जानिए हमारे बैठने के लिए कोई जगह निर्धारित नहीं है। अतिक्रमण अभियान के दौरान उन्हें ही सबसे पहले हटाने का काम किया जाता है। इससे हमारा काम काफी प्रभावित हो जाता है। -कुंवरपाल काम करने के लिए ट्रेनिंग मिलनी चाहिए। साथ ही काम शुरू करने के लिए सस्ती दरों पर लोन मिलने की सुविधा प्रदान की जाए। ताकि वह लोग अपने कारोबार को बढ़ा सकें। -विक्की धूप, गर्मी, बरसात के दिनों में खुले आसमान के नीचे बैठकर काम करना पड़ता है। मोचियों की हालत में सुधार करने के लिए हमें भी पक्के ठिकाने मिलने चाहिए। -अमन मोचियों को भी समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षित करने का काम किया जाना चाहिए। कम ब्याज पर लोन मिलना चाहिए। ताकि वह लोग नए सिरे से कारोबार को शुरू कर सकें। -वीरू कच्चा माल उपलब्ध होना चाहिए। जगह मिले और माल बेचने को बाजार भी मिलना चाहिए। ताकि परेशानी को दूर किया जा सके। -वीरू सिंह सभी मोचियों और उनके परिवार के लोगों के भी आयुष्मान कार्ड बनने चाहिए। ताकि परिवार के लोग बीमार होने पर कम से कम उपचार का तो लाभ ले सकें। -प्रियांशु पिछले काफी सालों से काला आम के पास कलेक्ट्रेट को जाने वाली सड़क पर काम कर रहे हैं। धूप और सर्दी से बचने के लिए सिर के ऊपर तिरपाल लगानी पड़ती है। कम से कम पक्के ठिकानें तो होने ही चाहिए। -राजपाल मोचियों को जूता बनाने का प्रशिक्षण दिया जाए और उन जूतों को बिक्री करने का जिम्मा सौंपा जाए। इससे मोचियों की समस्या दूर हो सकती है। इससे हमारे लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। -संत कुमार सरकारी योजनाओं की जानकारी ही नहीं है तो किस प्रकार भला हो सकता है। मोचियों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविरों का आयोजन करना चाहिए। -राजपाल सिंह ट्रेनिंग कई मोचियों को मिली, लेकिन उसका फायदा नहीं मिला। प्रशिक्षण मिलने के बाद भी मोचियों की हालत फिर से वही हो गई है। प्रशासन के अधिकारियों को व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। -सुरेश ----- सुझाव: 1.शिविर लगाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए जिससे सभी मोची उसका लाभ ले सकें। 2.मोचियों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनका आयुष्मान कार्ड बनाया जाए। 3.प्रशिक्षण प्राप्त सभी मोचियों को सब्सिडी पर लोन मिले जिससे कारोबार शुरू कर सकें। 4.मोचियों को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण दिया जाए। 5.शहर में कई ओवर ब्रिज और फ्लाईओवर हैं जिनके नीचे मोची को काम करने के लिए जगह दी जा सकती है। शिकायत: 1.अस्थायी दुकान होने की वजह से बरसात में परेशानी होती है। 2.अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान सबसे पहले उनको ही हटाया जाता है। 3.प्रशिक्षण तो दिया गया लेकिन बिना आर्थिक सहायता के धंधा कैसे शुरू हो सकता है। 4.स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता और सभी का आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना है। 5.सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होने की वजह से उसका लाभ नहीं मिल पाता। -------- कोट: मोचियों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता कर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ दिलवाने का काम किया जाएगा। -प्रदीप चौधरी, विधायक सदर

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