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बैंकों में ऋण, बिन नजराना ना रे बाबा ना !

Deoria News - देवरिया में बैंकों में ऋण लेना मुश्किल हो गया है। बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की रिश्वतखोरी की शिकायतें बढ़ रही हैं। हाल ही में, सीबीआई ने एक सहायक प्रबंधक को गिरफ्तार किया जो ऋण के नाम पर रिश्वत...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाMon, 19 May 2025 05:36 AM
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बैंकों में ऋण, बिन नजराना ना रे बाबा ना !

देवरिया, निज संवाददाता। जिले में बैंकों में ऋण लेने की राह आसान नहीं है। ऋण लेना है तो बैंक अधिकारी व कर्मचारियों के सामने जेबें ढीली करनी पड़ेगी, अन्यथा ऋण का सपना छोड़ दीजिए। आए दिन जिले में बैंक कर्मचारी व अधिकारी सीबीआई के हाथ लग रहे हैं, बावजूद इसके ऋण पर रिश्वत लेने पर लगाम नहीं लग पा रहा है। खामपार थाना क्षेत्र के बंगरा बाजार स्थित सेंट्रल बैंक में शुक्रवार को सीबीआई ने ऋण देने के नाम पर रिश्वत लेते हुए सहायक प्रबंधक को गिरफ्तार किया था। सीबीआई के हाथ बैंककर्मी के लगने का मामला जिले में पहली बार नहीं है।

इसके पहले भी इस तरह से बैंक कर्मचारी पकड़े जा चुके हैं। 10 जनवरी 2024 को तरकुलवा के कंचनपुर स्थित बड़ौदा यूपी बैंक के प्रबंधक व चपरासी खाद व्यवसायी महेश कुमार से ऋण देने के लिए 2 हजार रुपये ले रहे थे। इस बीच सीबीआई ने दोनों को गिरफ्तार किया था। जबकि 20 सितंबर 2024 को बड़ौदा यूपी बैंक रामपुर अवस्थी में भी सीबीआई ने छापेमारी कर प्रबंधक समेत दो को गिरफ्तार किया था। यह तो एक बानगी मात्र है। आए दिन इस तरह की शिकायतें अधिकारियों की चौखट तक पहुंच रही है। सीबीआई की है देवरिया पर विशेष नजर देवरिया में सीबीआई की विशेष नजर है। 15 फरवरी 2025 को सीबीआई की लखनऊ टीम ने आयकर कार्यालय राघव नगर में छापेमारी की थी। इस दौरान ओएस अजय कुमार को आधार कार्ड सरेंडर के नाम पर 2500 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। जबकि सलेमपुर रेलवे स्टेशन से सीबीआई ने एक रेल अधिकारी को भी रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। परेशान होकर लोग उठाते हैं इस तरह के कदम बैंक में ऋण लेने के नाम पर वसूली के विरुद्ध ऐसे लोग सीबीआई की चौखट तक नहीं पहुंचते। बैंक कर्मी जब उन्हें बहुत परेशान कर देते हैं तो वह इस तरह के कदम उठाने को मजबूर होते हैं। खामपार के बंगरा बाजार में मेराज कपड़ा का दुकानदार है। ऋण पास होने के बाद भी जब खाते में ऋण का पैसा नहीं पहुंचा तो वह बैंक पहुंच कर ऋण भेजने की बात कहने लगा। रिश्वत की रकम कुछ कम करने की भी बात कहता रहा, लेकिन सहायक प्रबंधक पर कोई असर नहीं पड़ा। वह कई दिन बैंक पहुंचा और रुपये भेजने की बात कहता रहा। जब सहायक प्रबंधक नहीं तैयार हुआ तो थक-हार कर मेराज ने इसकी शिकायत सीबीआई की शाखा में पहुंच कर की।

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