विकास के नाम पर लाखों रूपए हो गए खर्च, नहीं बदले हालात
Deoria News - पथरदेवा में सरकारी विकास योजनाओं के तहत धन का दुरुपयोग हो रहा है। लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद पशु आश्रय केंद्र और अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों का उपयोग नहीं हो रहा है। छात्राओं के लिए बनाए गए इंसीनरेटर...

पथरदेवा(देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। गांव और कस्बे के विकास के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं में धन का किस प्रकार दुरूप्रयोग किया जा रहा है। इसकी हकीकत बयां करने के लिए ये तस्वीरें काफी हैं। विकास के नाम पर लाखों रूपए पानी की तरह बहाए गए लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। आलम यह है कि पशुओं के देखभाल के लिए बनाए गया आश्रय केंद्र कहीं पशुओं की राह तक रहा है तो कहीं पर ग्राम पंचायतों में बने एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र(कूड़ा निस्तारण केंद्र) में खर-पतवार उग उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। वर्षों पहले स्कूलों में सेनेटरी पैड को नष्ट करने वाले इंसीनरेटर अभी चालू ही नहीं हो पाए हैं।
जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते सरकार की ये महत्वाकांक्षी योजनाएं अपना लक्ष्य नहीं प्राप्त कर पा रही हैं। हिन्दुस्तान की पड़ताल में यह सच्चाई सामने आई। वर्षों बीत जाने के बाद भी नहीं चालू हुए इंसीनरेटर परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं की स्वच्छता के लिए विद्यालय परिसर में इंसीनरेटर(सेनेटरी पैड नष्ट करने वाली मशीन) का निर्माण कराया गया। इसके जरिए उपयोग के बाद सेनेटरी नैपकिन को जलाकर नष्ट कर दिए जाना था ताकि शौचालय के आस-पास साफ-सफाई बनी रहे। इसके लिए हर विद्यालय के लिए पंद्रह हजार रूपए अवमुक्त किए गए। पूरे जनपद की बात करें तो यह आकड़ा लाखों में पहुंच जाएगा। आज भी कई स्कूलों में यह इंसीनरेटर शो पीस बने हुए हैं। बदहाल है पथरदेवा का पशु आश्रय केंद्र पथरदेवा नगर पंचायत द्वारा करीब साल भर पहले परित्यक्त/बेसहारा पशुओं की देखभाल और रात्रि विश्राम के लिए छितौनी मार्ग पर पशु आश्रय केंद्र का निर्माण कराया गया लेकिन केंद्र पर आज तक एक भी पशु नहीं पहुंचे। आश्रय केंद्र वीरान पड़ा हुआ है। वहां तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता भी नहीं है। बरसात के दिनों में आश्रय केंद्र खुद पानी में डूब जाता है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह पशुओं के लिए किस हद तक आश्रय दे सकता है। अपशिष्ट ठोस प्रबंधन केंद्रों का नहीं हो रहा उपयोग मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस अपशिष्टों को पनुर्चक्रित करने और खाद बनाने के उद्देश्य से हर ग्राम पंचायत में करीब तीन लाख रूपए की लागत से अपशिष्ट ठोस प्रबंधन केंद्र (कूड़ा निस्तारण केंद्र) बनाए गए हैं लेकिन अधिकतर गांवों में इनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। केंद्रों पर ताले लटके हुए हैं। कई कूड़ा निस्तारण केंद्रों में खर-पतवार उग आए हैं।
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