बोले फर्रुखाबाद:हमें चाहिए सरकार से बेहतर संसाधन
Farrukhabad-kannauj News - हॉकी खेल को प्रोत्साहन न मिलने के कारण खिलाड़ी संख्या घट रही है। क्रिकेट के प्रभाव से नई पीढ़ी हॉकी की ओर नहीं आ रही। खिलाड़ियों को संसाधनों की कमी और सुविधाओं का अभाव है। सरकार को खिलाड़ियों की...

हॉकी के परंपरागत खेल को प्रोत्साहन न मिलने का ही नतीजा है कि राट्रीय खेल जिले में दम तोड़ते दिख रहा है। खिलाड़ियों की संख्या लगातार कम हो रही है। किसी समय अपने जिले में लोग हाॅकी के दीवाने हुआ करते थे। जब से क्रिकेट ने नौजवानों, बच्चों को प्रभावित किया है उसके बाद से नई पीढ़ी हाॅकी के खेल के लिए आगे नहीं आ रही है। जो हाॅकी खिलाड़ी परंपरागत खेल को जीवंत करने का काम कर रहे हैं उन्हे संसाधन नहीं मिल पा रहे हैं। आधुनिक सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। अपने जिले में ही कम से कम पांच सौ हाॅकी खिलाड़ी हैं।
इसके सामने कई प्रकार की समस्याएं हैं। आपके अखबार ‘हिन्दुस्तान से अपने दर्द को साझा करते हुए हाकी खिलाड़ी युवराज सिंह कहने लगे कि आज हालात ये हैं कि यह खेल लोगों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण खिलाड़ियों के पास बेहतर संसाधन नहीं हैं। अगर खिलाड़ियों को अच्छे संसाधन मिले तो नई प्रतिभाएं निखारी जा सकती हैं। वह कहते हैं कि इस खेल में ज्यादातर मध्यम वर्गीय परिवार से जुड़े लोग होते हैं। कई खिलाड़ियों के पास तो हाॅकी के लिए पैसे तक नहीं होते हैं। हाॅकी की कीमत भी डेढ़ से दो हजार रुपये की होती है। इसके अलावा अन्य उपकरण भी काफी महंगे होते हैं। इन हालातों में हाकी खिलाड़ियों के सामने जो दिक्कतें है उसका समाधान होना चाहिए जिससे कि अपने जिले में भी हाकी खिलाड़ी बेहतर मुकाम को हासिल कर सकें। खिलाड़ी आर्यन कहते हैं कि अब तो खिलाड़ी फायबर की हाकी प्रयोग करते हैं। अभ्यास करने के लिए कोई उचित स्थान नहीं है। स्टेडियम में भी सुविधाओं के नाम पर हाॅकी खिलाड़ियों के लिए कोई खास नहीं है। ऐसे में खिलाड़ियों की प्रतिभा जहां की तहां ठहर जाती है। हाॅकी खिलाड़ी मोहम्मद वारिस कहते हैं कि सरकार हाकी की तरफ ध्यान दे तो यह खेल भी क्रिकेट की तरह चमक सकता है। खिलाड़ियों की जरूरत को देखते हुए सरकार को इंतजाम करना चहिए जिससे कि खिलाड़ियों को उनकी मंजिल मिल सके। खिलाड़ी जब बाहर खेलने जाए तो उनके लिए सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। आने जाने की बेहतर सुविधा मिले। प्रांशु कहते हैं कि फर्रुखाबाद हाॅकी एसोसिएशन खिलाड़ियों की मदद करता है पर खिलाड़ियों को पूरे संसाधन नहीं मिल पा रहे हैं। हाॅकी के लिए एक अलग से स्टेडियम होना चाहिए। सरकार को इस खेल को बचाने के लिए ध्यान देने की आवश्यकता है। युवराज कहते हैं कि खेलो इंडिया छोड़कर अन्य खिलाड़ियों को प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है। क्योकि इसमें कोच नहीं हैं। उनका कहना है कि हाॅकी को प्रोत्साहन देने के लिए क्रिकेट की तरह ही काम होना चाहिए। खेलो इंडिया में प्रशिक्षण ले रहे 30 खिलाड़ी: हाॅकी खेल में रुचि रखने वालों को उचित प्रशिक्षण भी नहीं मिल पा रहा है। सिर्फ खेलो इंडिया में चयनित खिलाड़ियों को ही प्रशिक्षण का अवसर मिला है। खिलाड़ियों का कहना है कि खेलो इंडिया में जो खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं उन्हें तो किट मिली है लेकिन अन्य खिलाड़ियों के पास किसी तरह की कोई किट नहीं है। खिलाड़ियों के लिए किट का इंतजाम करना चाहिए जिससे कि वह अपने अभ्यास को बेहतर बना सकें। खिलाड़ी कहते हैं कि स्टेडियम में हाकी के लिए जो उचित व्यवस्थाे होती हैं उसको भी व्यवस्थित करना चाहिए। क्योंकि हाॅकी के लिए कृत्रिम घास का मैदान तक नहीं है। गोल कीपिंग किट भी नहीं है। जो कि काफी महत्वपूर्ण होती है। खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलें तो वे जिले का नाम रोशन कर सकते हैं।
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