बोले गोंडा: भीषण गर्मी में बिजली की आपूर्ति के इंतजाम फेल
Gonda News - जिले में गर्मियों में बिजली की समस्या बढ़ गई है। ट्रांसफार्मरों की खराबी, तारों के टूटने और अघोषित कटौती से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग परेशान हैं। कई गांवों में बिजली की आपूर्ति नियमित नहीं हो पा रही...

पारा चढ़ते ही जिले में बिजली की समस्या बढ़ जाती है। बिजली तारों के टूटने, जलने और ट्रांसफार्मरों के खराब होने से दुश्वारियों व कटौती की बड़ी समस्या होती है। जिले में धानेपुर, परसपुर, मोतीगंज, मनकापुर, इटियाथोक व खरगूपुर आदि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां आए दिन कटौती के चलते सैकड़ों गांवों को परेशानी से दो-चार होना पड़ रहा है। बीते एक दशक से विभिन्न चरणों में बड़े पैमाने पर बिजली सुधार किए जा रहे हैं, लेकिन अघोषित कटौती थमने का नाम नहीं ले रही है। हिन्दुस्तान ने बोले गोण्डा मुहिम के तहत जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था की पड़ताल की तो यहां की स्थिति बेहतर नजर नहीं आई।
गोंडा। गर्मी अपने चरम पर है। इस बार तन-बदन को झुलसाने वाली गर्मी के बीच ट्रिपिंग और अघोषित कटौती ने लोगों की दुश्वारियों में इजाफा कर दिया है। घंटे भर में फीडरों पर कई बार आवाजाही हो रही है। शहर के रानीबाजार उपकेन्द्र के दोनों फीडरों व झंझरी उपकेन्द्र के सभी छह फीडरों पर घंटे भर बिजली ठहरना मुश्किल होता है। इसी तरह मुख्यालय के शिवाबख्तावर उपकेन्द्र पर शाम को बिजली गुल होने पर सुबह तक इंतजार करना होता है अक्सर सैकड़ों गांवों को रात अंधेरे में काटनी पड़ती है। यहां के कर्मी लाइन को समय से सुधार करने के बजाय तरह-तरह के बहाने बताते रहते हैं। विभाग में जितने संसाधनों में इजाफा हुआ, उतनी अधिक मुश्किलें भी बढ़ी हैं। अनुमान लगा सकते हैं कि शहर के 54 फीडरों पर अक्सर बिजली की आवाजाही लगी रहती है। जिससे कारोबारियों को अधिक परेशानियां हो रही है। कई बार उन्होंने जिले के आला अधिकारियों से भी इस समस्या का जिक्र भी किया। रोचक हालात है कि जहां केबिलें बदल गई, ट्रांसफार्मर नहीं बदले गए और जहां ट्रांसफार्मरों को बदला गया वहां के तारों को नहीं बदला गया। जिसके चलते संसाधनों में समन्वय नहीं बन पाने से बड़े पैमाने पर खराबी व केबिलों और तारों के जलने की शिकायतें भी मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की हालत और भी बदतर है। कहने को तो आपूर्ति के शेड्यूल तय है, लेकिन लोगों का कहना है कि शेड्यूल की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। देर शाम को कटौती होने पर कर्मियों से लेकर अभियंताओं तक फोन रिसीव नहीं होते हैं। जर्जर व लटकते तारों से होती है दुश्वारियां जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में दुश्वारियों के साथ बिजली तार टूटने की शिकायतें अधिक रहती है। जिसके चलते घंटों लोगों को अंधेरे में रहना पड़ता है। यह स्थिति दिन व रात में कभी भी होती है। अक्सर लाइन फॉल्ट में होना बता दिया जा रहा है। बिजली विभाग नियमित चेकिंग करने का दावा जरूर करता है। इसके बावजूद भी गर्मियों के दिनों में आवाजाही और कटौती को लेकर हाहाकार मचा रहता है। तल्ख धूप और भीषण गर्मी के अलावा ओवरलोड भी बिजली ट्रांसफार्मरों पर भारी गुजर रही है। जिसके चलते बीते मई महीने में 480 ट्रांसफार्मरों के खराब होने का रिकार्ड है। विभाग के अभियंता ट्रांसफार्मरों के खराबी की कई वजहें बता रहे हैं। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे क्षमता वाले ट्रांसफार्मरों की बढ़ोतरी की गई, वहां एलटी लाइनें ही बनी रही और न तार बदले गए न खंभे। यानी दस केवी का ट्रांसफार्मर मात्र एक पोल पर लगा होता है, इसकी क्षमता वृद्धि करके 25 केवी ट्रांसफार्मर के लिए दो पोल पर लगाना जरूरी होता है। केबिलों में आग लगने से बढ़ी कटौती केबिलों (एबीसी) में आग लगने की घटनाओं के साथ कटौती में इजाफा होने से विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं। सामान्य दिनों में ठीकठाक होने के बावजूद केबिलें मौजूदा समय में तल्ख धूप और गर्मी को सहन नहीं कर पा रही हैं। कई मोहल्लों में ऐसे वक्त इन केबिलों में आग लगी जब बिजली आपूर्ति सामान्य मानी जा रही थी। सिविल लाइन क्षेत्र के पोर्टरगंज में दोपहर में तो आवास विकास उपकेन्द्र के गरीबीपुरवा फीडर की बंच केबिल सुबह करीब छह बजे अचानक जलने लगी। रानीबाजार उपकेन्द्र के जयनगरा फीडर के खैरा, नाथनगर में बंच केबिलों की जलने की कई घटनाएं हुई। ट्रांसफार्मरों की खराबी से बचाने को कर रहे उपाय गर्मी में ट्रांसफार्मरों को खराबी से बचाने के लिए टेलनेस यूनिट लगाया जा रहा है। लोड व वोल्टेज का इजाफा होने पर इस यूनिट से ट्रांसफार्मरों की सुरक्षा हो सकेगी। मंडल में 100 केवी से अधिक वाले करीब दो हजार से अधिक ट्रांसफार्मरों में यह यूनिट लगाया जा चुका है। अभियंताओं ने बताया कि ट्रांसफार्मरों में इस यूनिट के लगने पर प्रोटेक्शन मिलेगा और जल्द खराब होने से बचेंगे। सर्वे में पता चला है कि इस जोन में सौ केवी से अधिक मसलन, 250 केवी, 400 केवी व इससे भी अधिक वाले करीब 1700 ट्रांसफार्मर मौजूद हैं। इन सभी में टेलनेस यूनिट लगाई जा रही है। मुख्यालय से महज 20 किमी. दूरी पर इटियाथोक कस्बे में 250 केवी ट्रांसफार्मर गुजरे शनिवार रात में खराबी आने से पूरी रात पचासों गांवों के उपभोक्ताओं को अंधेरे में बितानी पड़ी। भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिल पा रही है। वहीं मोतीगंज कस्बे में मनकापुर उपकेन्द्र के विद्यानगर फीडर पर उमस भरी गर्मी में आपूर्ति के लिए तरसना पड़ रहा है। दिन में आठ घंटे की कटौती के साथ-साथ रात में एक घंटे बिजली मिल पाती है। दिन तो जैसे तैसे कट जाता है लेकिन रात में आराम करना चाहे तो इस फीडर के रोस्टिंग से लोगों की नींद व चैन सब हराम हो रही है। प्रस्तुति- एसएन शर्मा/ सच्चिदानंद शुक्ला बोले लोग ------------------------ बिजली लाइनों की नियमित निगरानी की होनी चाहिए। इससे लाइनों के फॉल्ट में सुधार होगा और लोगों को कटौती से निजात मिलेगी। -राम सुघर दुबे ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल बेहतर आपूर्ति करने का दावा बिजली विभाग करता है लेकिन लोगों को शेड्यूल के मुताबिक आपूर्ति नहीं होती है। इसे सुधारने की आवश्यकता है। -हीरालाल गर्मियों के सीजन में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती भी शुरू हो जाती है। गर्मियों में लोगों को सुविधा देनी चाहिए। बिजली लाइनों का समय पर मरम्मत कार्य किया जाए। - बैकुण्ठ नाथ पाठक गर्मियों में पूरे दिन बिजली लाइनों पर फॉल्ट सुधारने के नाम पर कटौती की जाती है लेकिन शाम होने पर भी आपूर्ति में आए दिन दुश्वारियां रहती है। इसे सुधारने की आवश्यकता है। - विशाल सिंह क्या कहते हैं जिम्मेदार --------------------- तापमान में इजाफा होने से कई तरह की समस्याएं बढ़ी हैं। इसके बावजूद जिले में जर्जर तारों को तेजी से बदला जा रहा है। वहीं लटकते तारों को सुधारने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। ट्रांसफार्मरों की नियमित चेंकिंग के अलावा फीडरों की कॉम्बिंग कराने के निर्देश हैं। गर्मी से पूर्व की तैयारियों को लेकर अवर अभियंता व उपखंड अधिकारियों से समीक्षा की जा चुकी है। लाइनों के मार्ग में आने वाले वृक्षों की छंटाई करा दी गई है। - राधेश्याम भास्कर, प्रभारी एसई
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