रामगढ़ झील पर मंडरा रहा सीवेज संकट, क्षमता पार कर चुका एसटीपी
Gorakhpur News - गोरखपुर का 30 एमएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अपनी डिज़ाइन सीमा से अधिक लोड झेल रहा है। रामगढ़ झील में सीवेज की मात्रा बढ़ने से जल गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए...
गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। रामगढ़ झील और शहर के जलनिकासी तंत्र को साफ रखने के लिए बनाया गया 30 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) अब भी उपयोगी है लेकिन अतिरिक्त सीवेज का दबाव झेल रहा है। डिज़ाइन वर्ष 2020 तक की क्षमता के मुताबिक बनाया गया था, वर्तमान में रामगढ़ झील में 34 से 35 एमएलडी सीवेज पहुंच रहा है। गोल्फ ग्राउंड, मोहद्दीपुर पॉवर हॉउस, रफी अहमद किदवई स्कूल और पैडलेगंज जैसे क्षेत्रों से जुड़ी नालियों को शोधित करने के लिए जिस एसटीपी की परिकल्पना की गई थी, वह अब 2025 में अपनी डिज़ाइन सीमा से आगे निकल चुकी है।
महानगर की बढ़ती आबादी, शहरीकरण और नई कॉलोनियों के जुड़ने से सीवेज की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि शहीद अशफाक उल्ला खॉ प्राणी उद्यान पास स्थित 30 एमएलडी एसटीपी पर अत्यधिक लोड पड़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो जब कोई एसटीपी अपनी निर्धारित सीमा से अधिक लोड झेलता है, तो उसमें शुद्धिकरण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इससे आंशिक रूप से शुद्ध या अशुद्ध जल रामगढ़ झील और अन्य जल स्रोतों में जाकर प्रदूषण फैलाता है। झील के जैविक जीवन पर संकट वर्तमान हालात में प्लांट अपनी भूमिका तो निभा रहा है, लेकिन रामगढ़ झील की गुणवत्ता से समझौता हो रहा है। हालांकि जलनिगम नगरीय के अधिकारी इसे स्वीकार नहीं करते। बल्कि उनका तर्क है कि बकायदा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से निगरानी की जाती है। उधर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी के इंडस्ट्रियल माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ साहिल महफूज कहते हैं कि ट्रीटेड वॉटर का उपयोग कभी भी कृषि में असुरक्षित हो सकता है। रामगढ़ झील के पारिस्थितिकीय संतुलन पर भी खतरा मंडरा रहा है। ताल में जलकुंभी और शैवाल की अत्यधिक वृद्धि इसी का संकेत है कि उसमें पोषक तत्वों की मात्रा असामान्य रूप से बढ़ रही। यह यूट्रिफिकेशन का गंभीर लक्षण है। अब जरूरी हो गया है समाधान पर्यावरणविदों और जल विशेषज्ञों का मानना है कि अब और देर करना खतरे को न्यौता देना होगा। हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल कहती हैं कि महानगर जिस रफ्तार से विस्तार ले रहा। आबादी बढ़ रही। सीवेज परियोजनाओं का विस्तार हो रहा। उसी रफ्तार से उसके अपशिष्ट जल का भी प्रबंधन होना चाहिए। अब नहीं चेते तो देर हो जाएगी। यदि समय रहते इन व्यवस्थाओं को पुनः नियोजित नहीं किया गया, तो न केवल रामगढ़ झील, बल्कि शहर की जलधाराओं, भूजल और मानव स्वास्थ्य पर इसका दुष्परिणाम पड़ेगा। हिन्दुस्तान खास -डिजाइन क्षमता के पांच साल बाद भी संचालित है 30 एमएलडी का एसटीपी -डिजाइन वर्ष 2020 की क्षमता पर बना है एसटीपी -प्लांट अभी भी उपयोगी, सिस्टम पर अतिरक्त दबाव से गुणवत्ता पर सवाल -विशेषज्ञों का सुझाव नया एसटीपी बने, पुराना अपग्रेड हो, री-डिजाइन हो यह सही है कि डिजाइन वर्ष 2020 मानकर एसटीपी डिजाइन की गई थी। 2020 तक 30 एमएलडी सीवेज भी नहीं पहुंच रहा था लेकिन एसटीपी पर दबाव साल 2024 से महसूस किया गया, जिसके समाधान के लिए नए एसटीपी के लिए उच्च स्तर पर वार्ता चल रही है। -रतन सेन सिंह, अधिक्षण अभियंता जल निगम नगरीय
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