5% कमीशन के चक्कर में ऐसे फंस गए IAS अभिषेक प्रकाश, जानें सस्पेंशन के अंदर की कहानी
- योगी सरकार ने आईएएस अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया है। योगी सरकार के निलंबन आदेश में बिंदुवार एक-एक कर सारी बात साफ की गई हैं। कैसे पहले पांच प्रतिशत एडवांस कमीशन की मांग रखी गई और फाइल लटका गई है। जांच में सारी बात सामने आई हैं।

यूपी में नियुक्ति विभाग द्वारा CEO और अद्यौगिक विकास विभाग के सचिव आईएएस अभिषेक प्रकाश के निलंबन आदेश में बिंदुवार एक-एक कर सारी स्थितियां साफ की गई हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे एसएईएल सोलर पी-6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के आवेदन पर पहले संस्तुति दी गई और बाद में पांच प्रतिशत एडवांस कमीशन न मिलने पर कार्यवृत्त में पुन: परीक्षण की बात लिखकर फाइलों को लटका दिया गया। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास बुधवार को ही यह मामला पहुंच गया था। उनके पास मामला पहुंचते ही हड़कंप मच गया। उन्होंने मुख्य सचिव व आईआईडीसी मनोज कुमार सिंह को बुलाया और उनसे पूरे मामले की जांच कराई। मुख्य सचिव तुरंत इंवेस्ट यूपी कार्यालय पहुंचे और मामले की जांच पड़ताल कर पूरी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दी।
नियुक्ति विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि जांच में यह स्पष्ट है कि औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अंतर्गत प्रदेश में निवेश के लिए ऑनलाइन होने वाले आवेदनों पर लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किए जाते हैं। समीक्षा एवं मूल्यांकन के लिए सीईओ इंवेस्ट यूपी की अध्यक्षता में समिति बनी है। नियुक्ति विभाग को मिले कागजातों से पता चला है कि समिति की बैठक में 12 मार्च को आवेदनकर्ता के मामले में विचार किया गया। बैठक की नोटशीट में संबंधित फर्म को मंजूरी दे दी गई, लेकिन जो कार्यवृत्त जारी किया गया उसमें पुन: परीक्षण की बात कह दी गई।
इससे यह साफ होता है कि नोटशीट में मूल्यांकन समिति द्वारा जहां एक ओर संस्तुति की गई, वहीं दूसरी ओर अंतिम रूप से जारी कार्यवृत्त में आवेदन को मूल्यांकन समिति के समक्ष पुन: परीक्षण के लिए प्रस्तुत करने की अनुसंशा कर दी गई। जांच में यह भी साफ हुआ है कि मामले में संबंधित नोटशीट में प्रस्तुत संस्तुति में से उक्त आवेदनकर्ता के संबंध में नोटशीट में प्रस्तुत मूल्यांकन समिति के संस्तुति में परिवर्तन करते हुए अंतिम कार्यवृत्त जारी किया गया है।
नियुक्ति विभाग के आदेश में कहा गया है कि नोटशीट पर प्रस्तुत मूल्यांकन समिति द्वारा संस्तुति को संशोधन किए जाने का कोई औचित्य नहीं दिया गया। इससे यह आशंका है कि ऐसा करने में इंवेस्ट यूपी के मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष सीईओ अभिषेक प्रकाश द्वारा दुर्भावनापूर्ण इरादे, निहित स्वार्थ और वित्तीय लाभ पाने के लिए ऐसा किया है। इससे उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के मूल उद्देश्यों को फलीभूत होने में निश्चित रूप से कठिनाई होगी और प्रदेश में निवेश से सहारे आने वाली नई औद्योगिक इकाइयों का मनोबल गिरेगा और राज्य की छवि प्रभावित होगी।
क्या कहा शिकायतकर्ता ने
एसएईएल सोलर पी-6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के विश्वजीत दत्ता ने उनकी कंपनी ने ऑनलाइन और कार्यालय में आवेदन किया था। उनकी कंपनी सोलर ऊर्जा से संबंधित कल पुर्जे बनाने का संयंत्र लगाना चाहती है। मूल्यांकन समिति की बैठक में उनका प्रकरण पास हो गया था। इसके बाद उनके पास इंवेस्ट यूपी के वरिष्ठ अधिकारी ने एक निजी व्यक्ति ‘जैन’ का नंबर दिया और कहा कि उससे बात कर लीजिए यदि वह कहेगा तो आपका मामला एम्पावर्ड कमेटी तथा कैबिनेट से तुरंत पास हो जाएगा। उन्होंने ‘जैन’ से बात की तो उन्होंने पूरे मामले के लिए पांच प्रतिशत की मांग करते हुए एडवांस देने को कहा। विश्वजीत दत्ता ने यह भी कहा है कि बाद में उन्हें पता चला कि उनके मामले में संस्तुति होने के बाद पत्रावली में प्रकरण को टाल दिया गया और जैन ने बताया कि वह कितना भी प्रयास कर लें उन्हें आना तो उनके पास ही होगा और तभी काम हो पाएगा नहीं तो काम नहीं। दत्ता द्वारा इस प्रकरण में दोषियों पर कार्रवाई का अनुरोध किया।