गूगल में बिछा धोखेबाजों का जाल, सिर्फ 15 फीसदी ही काबिल
Jhansi News - कानपुर में गंजापन से परेशान लोग झोलाछाप हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर के जाल में फंस रहे हैं। इंटरनेट पर सर्च करने पर 85% सेंटर फर्जी हैं। नेशनल मेडिकल काउंसिल की ओर से निर्धारित मानकों के अनुसार, केवल...

कानपुर, वरिष्ठ संवाददाता। खूबसूरत दिखने की चाह हर किसी को है। ऐसे में गंजापन घेर ले तो सारे सपने चकनाचूर हो लगने लगते हैं। आत्मविश्वास खो चुके व्यक्ति की इसी हालत का फायदा झोलाछाप हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर उठा रहे हैं। व्यक्ति ने इंटरनेट पर बालों के लिए सर्च किया और एक बार जाल में फंसा तो फंसता चला गया। यही वजह है कि ग्राहकों को झांसे में लेने का सबसे बेहतरीन जरिया गूगल बन गया है। विशेषज्ञों के अनुसार गूगल पर सर्च के दौरान जो हेयर ट्रांसप्लांट सेंटर दिखते हैं उनमें से 85 फीसदी की कमान झोलाछाप के पास है। महज 15 फीसदी ही योग्यता रखने वाले हैं।
नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की हेयर ट्रांसप्लांट को लेकर कड़ी शर्तों व नियमों को जानना बेहद जरूरी है। अगर इनकी जानकारी है तो उस शख्स के साथ विनीत दुबे और मयंक कटियार जैसी घटना नहीं होगी। हेयर ट्रांसप्लांट का अधिकार सिर्फ तीन डिग्री वाले विशेषज्ञों को है। एमएस-एमसीएच इन प्लास्टिक सर्जरी, एमडी स्किन एंड बीडी, इन्हें डर्मेटोलॉजिस्ट भी कहा जाता है। तीसरा विशेषज्ञ वह होता है, जिसने एमएस सर्जन की डिग्री के साथ एनएमसी से मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज या प्राइवेट संस्था से एक वर्ष का हेयर ट्रांसप्लांट करने का प्रशिक्षण हासिल किया हो। पर्चे से जानें असली और झोलाछाप की हकीकत विशेषज्ञों के अनुसार हेयर ट्रांसप्लांट कराने वालों को भी अपने सेहत के प्रति सचेत और जागरूक होना होगा। इसके लिए थोड़ी सी समझदारी काफी है। ट्रांसप्लांट करने वाले के पर्चे पर पैनी नजर दौड़ानी है। इसमें डॉक्टर का नाम, डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर देखना है। अगर इन तीनों में से एक भी नहीं है तो वह झोलाछाप ही है।
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