New 10 Notes Disappear from Market Amidst Black Market Surge in Kanpur दस रुपये के 48 करोड़ नए नोट आए पर सीधे तिजोरियों में समाए, Kanpur Hindi News - Hindustan
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दस रुपये के 48 करोड़ नए नोट आए पर सीधे तिजोरियों में समाए

Kanpur News - कानपुर, प्रमुख संवाददाता दस रुपये के नए नोट बड़ी तादाद में बाजार में आए

Newswrap हिन्दुस्तान, कानपुरSat, 7 June 2025 12:43 PM
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दस रुपये के 48 करोड़ नए नोट आए पर सीधे तिजोरियों में समाए

कानपुर, प्रमुख संवाददाता दस रुपये के नए नोट बड़ी तादाद में बाजार में आए पर यह सीधे तिजोरियों में समा गए। आम लोगों को बिना कालाबाजारियों की मदद के इन्हें देखना तक नसीब नहीं हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजे आंकड़ों के मुताबिक 10 के 48 करोड़ नए नोट पिछले एक साल में बाजार में लाए गए हैं। विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि बाजार में आते ही अचानक छोटे नोटों के गायब होने से हैरानी है। इसे कालाबाजारी नहीं बल्कि छोटे नोटों का ‘अपहरण कहना चाहिए। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 24 मई 2024 को 10 रुपये के 24.90 अरब नोट बाजार में थे, जबकि इस बार 23 मई को इन नोटों की संख्या 25.38 अरब पहुंच गई।

सालभर में 10 रुपये के लगभग 48 करोड़ नए नोट बाजार में उतारे गए। रिपोर्ट के मुताबिक, चलन में रहकर भी कभी-कभार दिखने वाले दो और पांच के नोट अब दुर्लभ माने गए हैं। इन नोटों की संख्या बढ़ने के बजाय घट गई है। साल भर में दो-पांच के 1.47 करोड़ नोट बाजार से गायब हो गए। दस की गड्डी चाहिए तो निकालो डेढ़ हजार बाजार में उतारे गए 10 रुपये के नोट आम आदमी तक नहीं पहुंचते हैं। कोई बैंक जाकर इन्हें पाना चाहता है तो उसे मायूस होना पड़ता है। हालांकि बाजार में इनकी कालाबाजारी धड़ल्ले से हो रही है। नयागंज में तो इनकी बोली खुलेआम लगती है। मौजूदा समय में दस के नए नोटों की गड्डी का रेट 12 से 1500 रुपये है। शादी-ब्याह में इनकी डिमांड अधिक होने पर एक-एक गड्डी तीन से साढ़े तीन हजार रुपये तक में बिकती है। सर्वाधिक भार 500 के नोटों पर, 200 से मोहभंग बाजार में लेनदेन के लिए पांच सौ रुपये के नोट का सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है। सालभर में 3.82 अरब नए नोट बाजार में आए। मौजूदा समय में पांच सौ के 65.19 अरब नोट चलन में हैं। हालांकि 200 रुपये के नोटों से आम आदमी का मोहभंग होता जा रहा है। इसलिए 1.56 अरब नए नोट बाजार में उतारे गए हैं। वहीं 100 के दो अरब व 50 के 94 करोड़ नए नोट सालभर में आए। यूनियन बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण मिश्र का कहना है कि खासकर 10 के नोटों का इतनी बड़ी संख्या में आना और फिर गायब होना गंभीर विषय है। यह कालाबाजारी नहीं, इसे छोटे नोटों का ‘अपहरण कहिए। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है।

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