Commemoration of Imam Hussain s Journey from Medina to Karbala Held in Manjhanpur सलाम नाना के रौजे, सलाम मां की मजार, Kausambi Hindi News - Hindustan
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सलाम नाना के रौजे, सलाम मां की मजार

Kausambi News - मंझनपुर में सद्र इमामबाड़े में इमाम हुसैन के मदीना से कर्बला जाने की याद में मजलिस का आयोजन किया गया। मौलाना जमीर हैदर रिजवी ने मजलिस पढ़ी और जुलूस निकाला गया। तकरीर में यजीद के कृत्यों का जिक्र करते...

Newswrap हिन्दुस्तान, कौशाम्बीWed, 29 Jan 2025 07:18 PM
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सलाम नाना के रौजे, सलाम मां की मजार

मंझनपुर, हिन्दुस्तान संवाद। रसूले अकरम मोहम्मद (स.) के नवासे इमाम हुसैन के मदीना से कर्बला जाने की याद में करारी स्थित अंसारगंज वार्ड के सद्र इमामबाड़े में मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस की शुरुआत तेलावत ए कुरआन पाक से अनवार पंजतन ने किया। मौलाना जमीर हैदर रिजवी ने मजलिस पढ़ी। जुलूस निकाला गया। मातमी अंजुमनों ने नौहाख्वानी व सीनाजनी कर इमाम हुसैन की मुसीबत पर गिरिया किया। जुलूस सुबह दस बजे से शुरू होकर देर शाम तक चलता रहा। मौलाना जमीर हैदर रिजवी ने मजलिस को खेताब किया। इफ्तेताही तकरीर प्रयागराज से आए मौलाना सैयद जवादुल हैदर जवादी ने की।

तकरीर करते हुए उन्होंने कहा कि माविया की मौत के बाद यजीद ने हुकूमत संभाली और उसने अल्लाह के दीन का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। जुआ, शराब और बलात्कार जैसे अपराध करने की खुली छूट दे दी। यजीद के इस कृत्य से इमाम हुसैन ने उसे रोका तो उसने इमाम हुसैन को कत्ल करने का मंसूबा बना लिया। इमाम हुसैन ने मदीने की हुरमत को बचाने के लिए 28 रजब सन् 60 हिजरी को परिवार सहित मदीना छोड़ दिया। तकरीर के बीच हजरत अब्बास का अलम, इमाम हुसैन का जुलजनाह, अली असगर का गहवारा और जनाबे जैनब, उम्मे कुलसूम, बीबी फिज्जा की अमारियां बरामद हुईं। अजादारों ने भीगी आखों से शबीह की जियारत की। अंजुमने अब्बासिया के नौहाख्वान हसन अब्बास और रिजवान ने नौहा पढ़ा-मदीना होता है सूना हुसैन जाते हैं, पछाड़ें खाती हैं सुगरा हुसैन जाते हैं। नौहे पर नौजवानों ने मातम किया। दूसरा नौहा अंजुमने गुलदस्ता ए अजा रायबरेली जायस के नौहाख्वान शुजा नकवी शाहिद नकवी और वहेब रिजवी ने पढ़ा-मदीना उजड़ेगा आबाद कर्बला होगी, सफर पा आज है आमादा शाह का कुनबा। नौहे पर मातम करते अजादार कब्रे रसूल पर पहुंचे जहां मौलाना कमर हसनैन ने तकरीर कर रसूले अकरम की जीवनी पर विस्तार से अपनी बात रखी। जुलूस आहिस्ता आहिस्ता छोटे तालाब पर पहुंचा जहां मौलाना रिजवान हैदर ने आखिरी तकरीर करते हुए इमाम हुसैन के सफर पर रोशनी डाली। जुलूस वापस सद्र इमामबाड़े में आकर समाप्त हुआ। निजामत अनीस रिजवी जायसी ने किया। इस मौके पर मास्टर फजलुल अब्बास, गुलाम पंजतन, हैदर अब्बास, जहूर मेंहदी रिजवी, जफरुल हसन और इरफान रिजवी सहित काफी संख्या में अजादार मौजूद रहे।

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