सलाहकार कंपनी को क्लीनचिट देने को पैनल के अधिवक्ता से ली विधिक राय
Lucknow News - - निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली कंपनी पर हैं टेंडर के लिए झूठा शपथ

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी को आरोपों से बरी करने के मामले में एक और जानकारी सामने आई है। पावर कॉरपोरेशन के निदेशक (वित्त) ने कॉरपोरेशन के पैनल के वकील से ही विधिक सलाह लेकर उसे क्लीनचिट देने की पत्रावली तैयार की है। सलाहकार कंपनी पर झूठा शपथ पत्र देकर टेंडर लेने का आरोप है। कॉरपोरेशन के इंजीनियर ऑफ कॉन्ट्रैक्ट ने अपनी सिफारिश में कंपनी को दोषी पाया है। 42 जिलों में बिजली के निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ने टेंडर के दौरान पावर कॉरपोरेशन में शपथ पत्र दाखिल किया था कि बीते तीन साल में उसके ऊपर कोई भी जुर्माना नहीं लगा है।
कंपनी को टेंडर मिलने के बाद खुलासा हुआ कि उस पर अमेरिका रेगुलेटर ने वर्ष 2024 में ही 40,000 अमेरिकी डॉलर की पेनाल्टी लगाई थी। इसके बाद कंपनी से जवाब तलब हुआ तब उसने भी स्वीकारा कि उस पर जुर्माना लगा था, जिसका उसने भुगतान कर दिया है। इसके बाद से ही कंपनी को क्लीनचिट देने की कवायद जारी है। जानकारी में आया है कि निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग ने कॉरपोरेशन के पैनल के वकील से विधिक राय ली गई। विधिक राय के बाद क्लीनचिट के लिए पत्रावली तैयार कर ली गई है, जिस पर अभी दस्तखत बाकी हैं। पैनल का अधिवक्ता कैसे दे सकता है स्वतंत्र राय? विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पैनल के अधिवक्ता से विधिक राय लिए जाने पर सवाल उठाए हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पैनल का अधिवक्ता कैसे स्वतंत्र राय दे सकता है? उसे तो कॉरपोरेशन भुगतान करता है। कॉरपोरेशन भी जानता है कि अगर वह विधि विभाग से राय लेता तो वह सलाहकार कंपनी के पक्ष में कभी भी राय नहीं देता क्योंकि उसने खुद जुर्माने की बात स्वीकार की है जबकि हलफनामे में लिखा है कि उस पर कोई जुर्माना नहीं लगा। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पैनल के अधिवक्ता से विधिक राय लेना ही विधिक तौर पर उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि निदेशक (वित्त) के फर्जीवाड़े लगातार सामने आ रहे हैं। बावजूद इसके पावर कॉरपोरेशन उन पर कार्रवाई के बजाय उन्हें सेवा विस्तार दे रहा है। इससे साफ है कि निजीकरण के नाम पर बड़े घोटाले की तैयारी है। निजीकरण के बाद भी क्या सरकार देगी सब्सिडी? शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को साफ करना चाहिए कि क्या निजीकरण के बाद भी सरकार की सब्सिडी जारी रहेगी? किसानों, बीपीएल उपभोक्ताओं, बुनकरों आदि की सब्सिडी पर सरकार 22,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है। ऊर्जा मंत्री और पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन निजीकरण की दलील देते समय इस राशि को जोड़कर घाटा बताते हैं और कहते हैं कि सरकार बोझ नहीं उठा सकती। ऊर्जा मंत्री को इस मसले पर इसलिए साफ करना चाहिए ताकि जनता निजीकरण के नाम पर धोखे में न रहे। मुख्यमंत्री ने एक अप्रैल 2024 से किसानों को ट्यूब वेल के लिए मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया है। बीपीएल उपभोक्ताओं को 3 रुपये/यूनिट बिजली की घोषणा भाजपा के घोषणा पत्र में थी। बुनकरों आदि को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली दी जाती है। क्या निजीकरण के बाद यह सब बरकरार रहेगा? प्रयागराज में बुद्धि-शुद्धि यज्ञ निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा। सभी जिलों और परियोजना कार्यालयों पर विरोध सभाएं हुईं। प्रयागराज में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन डॉ. आशीष कुमार गोयल व कॉरपोरेशन प्रबंधन को सद्बुद्धि देने के लिए 'बुद्धि शुद्धि यज्ञ' किया गया। बिजली कर्मचारियों ने मंत्री व कॉरपोरेशन प्रबंधन को सद्बुद्धि आने और निजीकरण का नुकसान समझ आने की कामना की।
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