शिक्षा जगत की बड़ी हस्ती थीं प्रो. आसिफा जमानी
Lucknow News - प्रो. आसिफा जमानी, लखनऊ की एक अदबी हस्ती, महिला सशक्तीकरण की नई इबारत लिखने वाली शिक्षिका और लेखिका थीं। उन्होंने 200 से अधिक शोधपत्र और 27 किताबें लिखीं। उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया, जिनमें...

लखनऊ की अदबी हस्तियों का जब भी जिक्र होगा प्रो. आसिफा जमानी हमेशा याद आएंगी। पढ़ने और पढ़ाने के शौक ने उन्हें समाज में बड़ी शोहरत दिलाई। उन्होंने उस दौर में शिक्षा का महत्व समझा जब महिलाओं के घर से निकलने पर तमाम पाबंदिया थीं। समाज के तमाम विरोध को दरकिनार कर महिला सशक्तीकरण की नई इबारत गढ़ी। उनकी कामयाबी से उन तमाम लोगों की बोलती बंद हो गई जो महिलाओं की जिंदगी चूल्हे-चौके तक ही सीमित समझते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि वह शिक्षिका, लेखिका के अलावा एक कामयाब रंगकर्मी भी थीं। करीब 40-45 वर्षों तक आकाशवाणी की ए श्रेणी की कलाकर रहीं।
22 मार्च 1942 को लखनऊ में जन्मी आसिफा जमानी का विवाह पूर्व मंत्री स्व. मो एजाज रिजवी के साथ हुआ था। उनकी बेटी स्व. प्रो. आयशा एजाज उर्फ शीमा रिजवी लखनऊ विश्वविद्यालय में उर्दू की विभागाध्यक्ष और एमएलसी रहीं। बेटे आसिफ जमा रिजवी वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने अरबी, फारसी, उर्दू में एमए, डीलिट, पीएचडी और एलएलबी की पढ़ाई की। लंबे समय तक लखनऊ विश्वविद्यालय के फारसी विभाग की हेड रहीं। इरम मॉडल स्कूल की प्रिंसिपल भी रहीं वह 1970 से 71 तक इरम मॉडल स्कूल की प्रिंसिपल रहीं। 1970 से 10 वर्ष तक यूपी उर्दू अकादमी की सदस्य रहीं। 1991 में ऑल इंडिया फखरुद्दीन कमेटी की सदस्य रहीं। इंडो-फ्रेंच एसोसिएसन उत्तर प्रदेश की भी सदस्य रहीं। निस्वाह गर्ल्स इंटर कॉलेज की सदस्य, लखनऊ विवि में बोर्ड आफ स्टडीज मेंबर, इरम एजुकेशनल सोसाइटी में एग्जिक्यूटिव मेंबर, एआईआर लखनऊ के लिसनर फोरम की सदस्य, कलकत्ता विवि बोर्ड ऑफ स्टडीज की सदस्य, अमीरुद्दौला लाइब्रेरी से भी जुड़ी रहीं। 200 से अधिक शोधपत्र, 27 किताबें लिखीं उन्हें 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पद्मश्री, 1999 में केआर नारायणन ने सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर, 2009 में ईरान के तत्कालीन संस्कृति मंत्री आगो मुस्तफवी ने जायजए सादी अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया। वह 1975 से 2006 तक शिक्षण कार्य से जुड़ी रहीं। प्रो. आसिपा के 200 से अधिक शोध पत्र भारत, पाकिस्तान, ईरान तथा अमेरिका के जर्नल में प्रकाशित हुए। सात शोध छात्रों की गाइड रहीं। अब तक उनकी 27 पुस्तकें प्रकाशित हुईं। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी से कई किताबें पुरस्कृत की गईं। ‘लड़की को इतना क्यों पढ़ाना, नौकरी करानी है क्या बेटे आसिफ जमां रिजवी के मुताबिक एक इंटरव्यू में मां कहा था, मैं जिस दौर में पैदा हुई, वह लड़कियों के लिए हरगिज अच्छा नहीं था। खुशकिस्मती से मेरे घर में कभी पढ़ाई का विरोध नहीं हुआ। हां, कुछ लोगों ने मेरे वालदैन को ये समझाने की कोशिश जरूर की, 'लड़की को इतना क्यों पढ़ाना... क्या उससे नौकरी करानी हैÓ। उनके इस मशविरे का हालांकि मेरे पैरेंट्ïस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इस मामले में भी बेहद खुशकिस्मत हूं कि शादी के बाद मेरी पढ़ाई का जिम्मा मेरे शौहर एजाज रिजवी ने उठा लिया। जिस दौर में लड़कियां सातवीं-आठवीं तक मुश्किल से पहुंच पातीं, मैंने ट्रिपल एमए किया। वे वकील थे, बाद में राजनीति में सक्रिय हुए और दो बार उत्तर प्रदेश सरकार में कबीना मंत्री रहे। काफी व्यस्त जिंदगी थी पर वे बेहद ख्याल रखते थे कि मेरी पढ़ाई पर असर न पड़े।
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