शिया उलेमा की अपील सड़क और खुले में न करें कुर्बानी
Lucknow News - -मौलाना सैफ अब्बास ने बतायी कुर्बानी की अहमियत लखनऊ, कार्यालय संवाददाता शिया चांद

शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कुर्बानी की फजीलत बयां की। मौलाना ने कहा कि हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे को खुदा की राह में कुर्बान करने का इरादा किया और कुर्बानी करते समय इस्माइल की पेशानी को जमीन पर रखा और इस्माइल के गर्दन पर छुरी फेरी, लेकिन छुरी ने गर्दन को नहीं काटा। जब खुदा ने बाप-बेटे की खूलूस को देखा, तब उनकी कुर्बानी को कुबूल किया और जिब्राइल के साथ एक दुम्बा को इस्माइल के बदले कुर्बानी के लिए भेजा। इस प्रकार हजरत इब्राहिम ने उस जानवर की कुर्बानी खुदा की राह में पेश की।
यहीं से कुर्बानी की सुन्नत शुरू हुई और आज कुर्बानी करना हज के वाजिब अरकान में से है। दुनिया भर में मुसलमान अपनी हैसियत के मुताबिक इस सुन्नत पर अमल करने की कोशिश करते हैं। मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि इस ईद का मकसद और पैगाम यह भी है कि हम ईद-उल-अजहा की असल रूह को समझते हुए उसके मकसद को पूरा करके रूहानी सुकून और खुशी हासिल करें। ईद-उल-अजहा जिसे ईद-ए-कुर्बान और बकरीद भी कहा जाता है, यह ईद मुसलमानों के लिए अल्लाह की ओर से बेशकीमती तोहफा है। इस ईद में हम सुन्नत-ए-इब्राहिमी की पैरवी करते हुए अल्लाह की राह में जानवरों की कुर्बानी करते हैं। मौलाना ने कहा कि ईद-ए-कुर्बान सिर्फ जानवरों को जिबह करने का हुक्म नहीं देता है और न जानवरों के गोश्त को फ्रिज और कोल्ड स्टोरेज की जीनत का नाम है, बल्कि इंसान अपनी अंदर की असीमित इच्छाओं को लगाम दें और अपने दिल में दूसरों के लिए गुंजाइश पैदा करें। मौलाना ने लोगों से अपील की कि जानवरों को खुले में या सड़कों पर जिबह न करें और साफ-सफाई का ख्याल रखते हुए जानवरों की गंदगी व खून शरीयत के मुताबिक जमीन में दफन करें और सड़क पर न फेंकें। इसके अलावा हमारे देश के संविधान ने जिन जानवरों पर पाबंदी लगाई है, उनको जिबह न किया जाए।
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