यहां प्रकट हुई थीं मां कालिका, सीएम-मंत्री आते हैं सफलता की कामना लेकर
- यूपी के अमेठी में स्थित मां कालिका मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। फिल्मी सितारों से लेकर मंत्री तक अमेठी जिले में आने के बाद मां कालिका का आर्शीवाद लेने जरूर पहुंचते हैं

देश के प्रसिद्ध धामों में कालिकन धाम किसी प्रसिद्ध धामों से कम विख्यात नहीं है। उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के गौरीगंज मुख्यालय से मात्र 24 किलोमीटर दूर पूर्व-दक्षिण दिशा में स्थित मां कालिका मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। फिल्मी सितारों से लेकर मंत्री तक अमेठी जिले में आने के बाद मां कालिका का आर्शीवाद लेने जरूर पहुंचते हैं। जिले के विकास खंड संग्रामपुर क्षेत्र के भवसिंहपुर की धरती पर विराजमान अमृतकुंड वासिनी मां कालिका की पूजा अर्चना करते हैं।
पुरोहितों और आसपास के लोगों ने बताया कि मौजूदा सांसद किशोरी लाल शर्मा ने भी अमेठी चुनाव प्रचार की शुरुआत मां कालिका के दर्शन से आरम्भ की थी। पूर्व सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने चुनाव प्रचार से पहले कालिकन आकर मां कालिका की पूजा अर्चना की थीं। पहली बार में सफलता नही मिली लेकिन मंत्री का ताज उनके सिर पर रहा। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया सहित कई बड़े नेताओं ने पूर्व में चुनाव के दौरान मां कालिका की पूजा अर्चना की थी। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने अपने अभिभाषण में कालिकन मंदिर की चर्चा की थी। और इस च्यवन ऋषि की तपोस्थली बताया। कालिकन धाम पीठ सिद्ध पीठ मंदिर है। यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु मां कालिका की पूजा अर्चना करके आशिर्वाद लेते हैं। मंदिर परिसर मे 21 फिट गहरा करीब 100 से अधिक वर्गमीटर सुन्दर जलाशय जिसे सगरा से जाना जाता है। इसमें स्नान करने से दुख दूर हो जाता है। यहां के पुजारी बताते हैं कि कालिकन धाम में देशी घी के बनाई गई टिकरी और घंटा बांधने पर मन की मुराद पूरी होती है। कालिकन धाम में टिकरी बनाने व ब्राह्मण भोज के लिए बड़े-बड़े शेड बनाए गए हैं। उनके बगल जूठा पत्तल उठाकर फेंक देने के लिए कूड़ा दान और श्रद्धालुओं के लिए पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। पुराणों में मां कालिका की महिमा उल्लेखनीय है।
प्रकट हुई थीं मां, च्यवन ऋषि से जुड़ी है कहानी
कहा जाता है कि लाखों वर्ष पहले अयोध्या के राजा अपनी पुत्री के साथ वनविहार के लिए च्यवन ऋषि की तपोस्थली आये थे। वनविहार करते राजा की पुत्री की नजर एक मानवाकृति पर पड़ी जिसमें दीमक लगा था लेकिन चेहरा नहीं दिखाई दे रहा था। केवल आंख जवाहरात हीरे-मोती जैसे चमक रहे थे। राजा की पुत्री ने एक तिनका लेकर चमकाते हीरा मोती में छेद कर दिया। इस छिद्र से खून की धारा बहने लगी। उसी समय राजा के साथ आए सैनिक उनकी सवारी, सभी पर आफत आने लगी। इसके हाथी घोड़े बीमार पड़ने लगे राजा ने महर्षि से क्षमा मांगी और मुनि की सेवा के लिए अपनी पुत्री का विवाह मुनि से कर दिया और वापस चलें गए। राजा परेशान थे और इसी परेशानी का हल निकालने के लिए वैद्यराज अश्विन कुमार को बुलाया। अश्विन कुमार को सोमपान कराये जाते देख कर इंद्र ने राजा को मारने के लिए हथियार उठा लिया। च्यवन ऋषि के मंत्र से राजा की रक्षा हुई। इस तपोस्थली पर अमृत की रक्षा के लिए ऋषियों की आह्वान पर शिलापट पर मां कालिका प्रकट हुई। आज उसी स्थान पर मां कालिका का भव्य मंदिर बना हुआ है। इसमें प्रत्येक नवरात्रि के नव दिन में पुष्प की बड़ी-बड़ी मालाओं से मां कालिका का भाव मंत्र अति सुंदर दिखाई देता है। वहीं रात में लाइटों के बीच में मां कालिका का मंदिर जगमगाता दिखाई देता है। सोमवार व शुक्रवारको श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा होता है यहां पर मां कालिका के प्रभाव से लाखों परिवारों का जीवन यापन होता है।