मानसून की आहट : नारायणी नदी पर तेज हुआ बाढ़ बचाव कार्य
Maharajganj News - महराजगंज में मानसून की दस्तक के साथ बाढ़ बचाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। नेपाल की नारायणी नदी पर बाढ़ बचाव कार्य जारी है, जिसमें आठ परियोजनाओं पर काम चल रहा है। सिंचाई विभाग ने 15 जून तक कार्य पूरा...
महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। मानसून की आहट से बाढ़ बचाव की तैयारियां जोर पकड़ रही हैं। नेपाल स्थित नारायणी नदी के बी. गैप और नेपाल लिंक बांध पर बाढ़ बचाव का कार्य इन दिनों तेजी पर चल रहा है। इस वर्ष जीएफसीसी द्वारा अनुमोदित आठ परियोजनाओं पर कार्य हो रहे हैं। इनमें टेट्रापोर्ट ढलाई, सीसी ब्लॉक ढलाई, रोड और आरबीएम का कार्य शामिल है। इन कार्यों को 15 जून तक पूरा करने का दावा सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। नेपाल के नवलपरासी जिले के सुस्ता गांव पालिका से होकर बहने वाली नारायणी (गंडक) नदी में बाढ़ आने पर सीमा को पार करके महराजगंज एवं कुशीनगर जिले को नदी तबाह करती हुई बिहार राज्य में चली जाती है।
बिहार में यह नदी गंगा नदी में विलय हो जाती है। बरसात में महराजगंज के सीमाई गांवों में हर साल बाढ़ को लेकर डर बना रहता है। नेपाल में पड़ने वाली गंडक नदी का जो हिस्सा है। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तथा मरम्मत का कार्य सिंचाई खंड द्वितीय महराजगंज द्वारा कराया जाता है। प्रत्येक साल की भांति इस साल भी बाढ़ पूर्व कार्य बी. गैप बांध के संवेदनशील ठोकर संख्या 6, 11, 17 एवं नेपाल बांध के ठोकर संख्या 3 पर जोरों पर चल रहा है। इसमें नेपाल बांध पर सीसी ब्लॉक ढलाई, रोड बनाने और आरबीएम का कार्य हो रहा है। सिंचाई खंड द्वितीय-महराजगंज के एई रणजीत सिंह ने कहा, नेपाल स्थित नारायणी (गंडक) नदी के बी. गैप और नेपाल लिंक बांध पर जीएफसीसी द्वारा अनुमोदित आठ परियोजनाओं पर कार्य कराए जा रहे हैं। बाढ़ बचाव के इन कार्यों को 15 जून तक हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा। इस साल नेपाल के पहाड़ों पर बारिश कम होने से नदी का जलस्तर अभी 25000 क्यूसेक चल रहा है। बाल्मीकि नगर बैराज से नदी की धारा सीधे बी. गैप पर टकराती है बाल्मीकि नगर बैराज से नदी की धारा सीधे बी. गैप बांध पर टकराती है। इससे बंधे के कटाव को बचाने के लिए पिछले वर्ष से इस स्थान पर टेट्रा पोर्ट डालने का नया काम शुरू हुआ है। बी. गैप बांध के ठोकरों पर इन दिनों टेट्रापोर्ट की ढलाई कर डाला जा रहा है। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर जाल में पत्थर भरने का कार्य भी किया जा रहा है। ताकि नदी की धारा से बांध को बचाया जा सके। पानी के दबाव के हिसाब से टेट्रापोर्ट का होता है वजन बाल्मीकिनगर बैराज से पानी का डिस्चार्ज अधिक होने पर नारायणी नदी के बी. गैप बांध पर सीधा दबाव होता है। इससे इस बांध के ठोकर कटने लगते हैं। पहले सीसी ब्लॉक और अन्य तकनीकों से यहां कार्य होता था। इधर एक दो वर्ष से इन ठोकरों को बचाने के लिए समुद्र के किनारे लगने वाले टेट्रापोर्ट की तकनीक को यहां लगाया जा रहा है। एक्सपर्ट बताते हैं कि समुद्र के किनारे मुंबई जैसे स्थानों पर पानी का दबाव कम होने के कारण डेढ़ से दो टन वजन के टेट्रा पोर्ट लगाए जाते हैं। वहीं हिमांचल प्रदेश में व्यास नदी के किनारे पानी का अधिक दबाव होने के कारण आठ टन के टेट्रा पोर्ट लगाए जाते हैं। नारायणी नदी के बी. गैप बांध पर चार टन वजन के टेट्रा पोर्ट की ढलाई कर लगाए जा रहे हैं। टेट्रापोर्ट सीमेंट और बजरी मिक्स केक नुकीले आकार का ढलाई किया जाता है।
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