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बोले उरई: हमारे रतजगों का हिसाब देगा कौन

Orai News - किसान बलराम ने बताया कि उन्हें खाद-बीज, जलभराव और अन्ना मवेशियों से समस्याएं हैं। उर्वरक महंगे दामों पर मिलते हैं और सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है। किसानों को तकनीकी मदद नहीं मिल रही है और फसल...

Newswrap हिन्दुस्तान, उरईThu, 27 Feb 2025 06:24 PM
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बोले उरई: हमारे रतजगों का हिसाब देगा कौन

उरई। किसान को अन्नदाता और धरती पुत्र भी कहा जाता है। पूरी दुनिया में अमीर हों या गरीब, नौकरीपेशा हो या उद्योगपति सभी भोजन के लिए किसान पर आश्रित हैं पर मौजूदा हालात में हमारे अन्नदाता चौतरफा परेशानियों का सामना कर रहे हैं। खाद-बीज की किल्लत है तो अन्ना मवेशी नींद हराम किए हुए हैं। उर्वरक की उपलब्धता है पर कारोबारी कालाबाजारी कर महंगे दामों पर बेचते हैं। सिंचाई के लिए कभी नहर तो कभी ट्यूबवेल से पानी नहीं मिलता है। यूरिया और डीएपी खरीदनी है तो 200 रुपये ज्यादा देने पड़ेंगे। ये हम नहीं, बल्कि बेचने वाले कारोबारी कह रहे हैं। मजबूर किसान कहां जाएं, खेती करनी है तो मनमाने रेट पर यूरिया और डीएपी खरीदनी ही पड़ेगी। किसान हर सीजन में फसलों के लिए जरूरी सुविधाओं के लिए जूझते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान किसान बलराम ने बताया कि हमारी सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों से फसलों को बचाना है। रात भर सर्दी में फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। किसानों के हालात पर किसी शायर ने लिखा.. तुम अपनी नींद से जागो तो हम सवाल करें, हमारे रतजगों का हिसाब देगा कौन। कहा, अन्ना मवेशी हमारी फसल बर्बाद करते हैं। हम किसी तरह अपनी फसल तो बेच लेंगे पर हमारे रतजगों का हिसाब कौन देगा।

किसान अरविंद ने कहा कि समय से बीज न मिलने, खाद बिक्री में ओवररेटिंग, जलभराव के कारण लेट बुआई और श्री अन्न की बिक्री के लिए मार्केट न मिलने जैसी तमाम समस्याएं हैं जिनकी वजह से हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी किसानों की स्थिति नहीं सुधर रही और लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। क्रय केंद्रों पर भी अधिकारियों और कर्मचारियों की उदासीनता से किसान व्यापारियों की शरण लेने को मजबूर हैं। बेतरतीब ढंग से नहरों के संचालन और कई गांवों में खराब नलकूपों के कारण भी नुकसान हो रहा है। शिकायतों के निस्तारण में हो रही खानापूर्ति से अन्नदाता हताश हैं। प्रगतिशील किसान लक्ष्मी नारायण चतुर्वेदी ने बताया कि समय से खाद बीज एवं सिंचाई के लिए पानी न मिलने से किसान परेशान हैं। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के सामने संकट यह है कि उनके उत्पादों की बिक्री के लिए जालौन में बाजार नहीं है। ऐसे में परंपरागत खेती से जुड़े किसान कोई खतरा नहीं लेना चाहते। प्रगतिशील किसान बृजेश त्रिपाठी ने बताया कि अकोड़ी बैरागढ़, उरगांव से लेकर जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां पर जलभराव की समस्या ज्यादा है। बुआई का समय निकल जाता है लेकिन इन गांव के खेतों में भरा पानी नहीं सूखता है, इससे फसलों की बुआई लेट हो जाती है। प्रशासन यहां पर नाले का निर्माण कराकर पानी की निकासी की व्यवस्था करे तो राहत मिल सकती है।

किसान सहायक नहीं कर रहे मदद : किसानों को तकनीकी मदद मुहैया कराने के उद्देश्य कृषि विभाग में पर्याप्त स्टाफ हैं लेकिन यह किसान सहायक अन्नदाता की मदद करने के बजाय खुद के रोजगार में लगे हैं। फसलों में कीट पतंग का प्रकोप होने पर किसान सहायकों द्वारा कोई मदद नहीं की जाती और न ही जानकारी दी जाती है जिससे किसान हर साल नुकसान उठाते हैं। इसके अलावा जागरूकता के अभाव में मृदा परीक्षण न कराने से भी किसानों को हर साल नुकसान होता है। ऐसे में वह खुद ही व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से करीब डेढ़ लाख किसानों को जोड़कर उनकी मदद कर रहे हैं। इसमें मौसम की जानकारी से लेकर मंडियों के भाव एवं व्यापारियों को जोड़कर विपणन कार्य भी कराया जा रहा है।

चुनिंदा किसानों को मिलता फसल बीमा का लाभ : किसान शकुंतला यादव ने बताया बीमा कंपनी द्वारा किसानों के प्रीमियम तो काटे जा रहे हैं लेकिन नुकसान होने की स्थिति में कुछ किसानों को ही क्षतिपूर्ति का लाभ मिल पाता है। बीमा कंपनी मनमाने ढंग से सर्वे कराकर रिपोर्ट प्रस्तुत कर देती है और गिने चुने किसान ही लाभ प्राप्त कर पाते हैं, ऐसे में जब भी फसल में नुकसान का सर्वे किया जाए तो उसमें कृषि विभाग एवं बीमा कंपनी के साथ संबंधित किसान को भी शामिल किया जाए और फसल का नुकसान होने की स्थिति में सभी को क्षतिपूर्ति का लाभ मिले।

बोले किसान

फसल बीमा कंपनी द्वारा सही से सर्वे न होने से किसान मायूस हैं, इससे फसल क्षतिपूर्ति की भरपाई नहीं हो पाती है।

- लक्ष्मी नारायण चतुर्वेदी

अन्नदाता खुद के भरोसे खेती करने को मजबूर हैं। कृषि विभाग फील्ड वर्करों पर लगाम कसें जिससे तकनीकी की जानकारी मिले।

- राजेंद्र सिंह

नहर विभाग फसलों की सिंचाई के लिए समय से पानी उपलब्ध कराएं और क्षेत्र के नलकूप पूरी क्षमता के साथ चलाए जाएं।

- भूपेंद्र सिंह

पीएम किसान सम्मान निधि में जिले के हजारों किसानों का पैसा रुका है। इस समस्या का जल्द से जल्द निराकरण कराया जाए।

- शकुंतला यादव

खाद की ओवररेटिंग और सिंचाई की सही व्यवस्था न होने पर किसानों को निजी नलकूपों से पानी खरीदना पड़ रहा है।

- संजय द्विवेदी

अनाज की बिक्री के लिए सही बाजार उपलब्ध कराया जाए। महंगे रेट में बीज खरीदा जाता है अगर उसी अनुपात में बिक्री हो तो हालात सुधर जाएं।

- रामअवतार

समय से खाद उपलब्ध नहीं हो पाती है। फसल बुआई के पहले ही मांग के अनुरूप खाद का भंडारण किया जाए।

- अनिल चतुर्वेदी

कृषि विभाग बुआई के बाद निशुल्क बीज उपलब्ध कराता है। ऐसे में किसानों को मंहगे बीजों की खरीद करनी पड़ती है।

- शत्रुघ्न नगाइच

फार्मर रजिस्ट्री की अनिवार्यता कर दी गई है। साइट न चलने से किसान जनसुविधा केंद्रों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

- रोहिताश्व पुरोहित

हर साल बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि एवं आपदाओं में भारी नुकसान होता है लेकिन बीमा कंपनी मानक से कम नुकसान दिखा पल्ला झाड़ लेती है।

- धर्मेंद्र

मूंगफली के लिए दो दिन क्रय केंद्र खोलकर खरीद बंद कर दी गई। केंद्र प्रभारी ने व्यापारियों से मूंगफली खरीद ली है।

- अंकित

कई गांवों में नीलगाय की समस्या है। झुंड में फसलों को चौपट करते हैं। अन्ना समस्या तो काबू में है इसके लिए भी प्रशासन कोई उपाय करें।

- अखिलेश

सुझाव

1. कृषि विभाग के अधिकारी निजी खाद विक्रेताओं और थोक दुकानों पर छापेमारी करें।

2. रजबहे में टेल तक पानी पहुंचाने के लिए दूसरे विभाग के अधिकारी निरीक्षण करें। ड्रोन कैमरे की मदद लें।

3. कैंप लगाकर सभी विभागों के कर्मचारी तैनात करें। खतौनी या आधार में त्रुटि को मौके पर सही कराएं।

4. सुचारू रूप से हो सिंचाई की व्यवस्था। बीच सीजन में न हो सिल्ट की सफाई।

5. वनरोज और जंगली जानवरों से फसल सुरक्षा के किए जाएं सही इंतजाम।

6. प्राकृतिक ढंग से खेती करने वाले किसानों के उत्पाद बेचने की हो व्यवस्था।

7. मोबाइल वैन से गांव-गांव कराया जाए खेतों की मिट्टी का परीक्षण।

शिकायतें

1. यूरिया और डीएपी महंगे दामों पर बिकती है। इससे फसल की लागत बढ़ती है।

2. अन्ना पशु गोशाला से छूटकर खेतों में पहुंच जाते हैं। इससे फसल को काफी नुकसान होता है।

3. फार्मर आईडी बनवाने के लिए कई-कई दिनों तक भटकना पड़ रहा है।

4. नहरों में टेल तक पानी न पहुंचने से किसान परेशान हैं, वहीं खराब नलकूपों की मरम्मत भी नहीं हो रही।

5. क्रय केंद्रों पर खरीद के नाम पर खानापूर्ति हो रही है।

6. विभाग से बीज एवं खाद समय पर नहीं मिलते। सीजन समाप्त होने के बाद बीज वितरण होता है।

7. खेतों से निकलीं जर्जर लाइनों से अक्सर आगजनी की घटनाएं होती हैं, हर साल फसलें जल जाती हैं।

बोले जिम्मेदार

किसानों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता से किया जा रहा है। खाद बीज समय से उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिले में अन्ना मवेशी बेहद ही कम हैं। फसलों को नुकसान जंगली जानवर पहुंचा रहे हैं, जिसके लिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग कर निस्तारण करवाया जाएगा।

-एसके उत्तम, उप कृषि निदेशक

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