Shat Chandi Yagya Spiritual Significance of Krishna s Rasleela Explained महारास लीला का श्रवण करने से काम वासना होती नष्ट : शशिभूषण , Orai Hindi News - Hindustan
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महारास लीला का श्रवण करने से काम वासना होती नष्ट : शशिभूषण

Orai News - रामपुरा में नौ दिवसीय शतचंडी यज्ञ के छठे दिन व्यास शशिभूषण दास ने श्री कृष्ण की रासलीला का सुंदर वर्णन किया। उन्होंने गोहत्या के खिलाफ सख्त कानून की मांग की और बताया कि रासलीला से काम वासना का नाश...

Newswrap हिन्दुस्तान, उरईWed, 11 June 2025 10:12 AM
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महारास लीला का श्रवण करने से काम वासना होती नष्ट : शशिभूषण

रामपुरा (उरई)। पचनद पर नौ दिवसीय शतचंडी यज्ञ में छठवें दिन श्रीमद् भागवत कथा में व्यास शशिभूषण दास ने श्री कृष्ण रासलीला महात्म्य व पंचनद महात्म्य पर व्याख्या की तथा गोहत्या के विरोध में सख्त कानून लाए जाने की मांग की। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास शशिभूषण दास (कामतानाथ मंदिर चित्रकूट) ने कन्हैया जी की रासलीला का अद्भुत व बहुत सुंदर वर्णन किया। उन्होंने रासलीला को जीव और ईश्वर का विशुद्ध मिलन बताया। उनके अनुसार, भगवान कृष्ण ने यमुना तट पर योग माया से असंख्य गोपियों के साथ महारास किया। ये गोपियां साधन सिद्धा, योग सिद्धा और वरदान सिद्धा थीं।

कुछ नृचा रूपा और कुछ ऋषि रूपा थीं। महारास लीला का श्रवण करने से हृदय से काम वासना नष्ट होती है एवं जीवन में अनचाहे पापों का शमन होता है। कथावाचक ने श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग में बताया कि रुक्मिणी लक्ष्मी का और कृष्ण नारायण का स्वरूप हैं। उन्होंने भगवान कृष्ण के 16108 विवाहों का आध्यात्मिक महत्व समझाया। आठ प्रकार की प्रकृति को अष्ट पटरानी के रूप में बताया। वेद के सोलह हजार मंत्रों को सोलह हजार पत्नियों और सौ उपनिषदों को सौ रानियों के रूप में वर्णित किया। कथा व्यास ने श्रेष्ठ जीवन पर विस्तार से बताया कि मनुष्य को प्राकृतिक, सहज और स्वाभाविक रहना चाहिए जो जितना नैसर्गिक स्वाभाविक है वह उतना ही समर्थ है। सामर्थ तब प्रकट होता है जब व्यक्ति दिखावा से परे हटकर प्रकृति के निकट जाता है। आज मानव जीवन में जितनी दुविधाएं हैं वह इसलिए खड़ी है कि हम हम अप्राकृतिक हो रहे हैं, भौतिकीय आकर्षक इतने अधिक हैं अथवा सांसारिक प्रलोभन इतने प्रचंड है कि हम स्थूलता, भौतिकीय उत्कर्ष, भौतिकीय प्रगति की ओर आकर्षित होकर उसी की ओर बढ़ रहे है और यह भूल जाते हैं कि हम उन्नति नहीं कर रहे यह हमारी अवनति है। यदि व्यक्ति उन्नति चाहता है ,प्रगति व उत्कर्ष चाहता है और जीवन को बहुत ऊंचाइयां देना चाहता है तो सांसारिक भौतिकवाद से दूरी बनाना होगी। पचनद के तट पर कथा कहने को अपना सौभाग्य बताते हुए कथा व्यास ने यहां जन्म लेने वाले एवं यहां निवास करने वाले लोगों को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि यह पौराणिक स्थान है।

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