बोले बेल्हा : कार्यशाला न पर्याप्त संसाधन, खस्ताहाल बसें है डिपो की पहचान
Pratapgarh-kunda News - रोडवेज बसों को दुरुस्त करने वाले मैकेनिकों की मेहनत पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कार्यशाला के कर्मचारी खुले आसमान के नीचे काम करते हैं और उन्हें पर्याप्त संसाधन नहीं मिलते। इसके बावजूद वे यात्रियों...
यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में रोडवेज बस की अहम भूमिका मानी जाती है लेकिन इन बसों को दुरुस्त करने के लिए दिन रात मेहनत करने वाले मैकेनिकों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। हकीकत यह है कि कार्यशाला के कर्मचारी रोडवेज डिपो से फील्ड तक लगातार मेहनत कर खराब बसों को दुरुस्त कर ऐसी स्थिति में लाते हैं कि वह यात्रियों को सुरक्षित सफर करा सकें। बावजूद इसके यदि कार्यशाला में मरम्मत करने के बाद यात्रियों को लेकर जा रही बस रास्ते में खराब हुई तो मैकेनिक को अफसरों की फटकार सुनने के साथ कई बार जुर्माना भी भरना पड़ता है।
यही नहीं कार्यशाला में बसों की मरम्मत करने वाले कर्मचारियों को अफसर भी सम्मान की नजर से नहीं देखते। अफसरों की उपेक्षा से रोडवेज डिपो की कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारी काफी आहत रहते हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से अपना दर्द साझा करते हुए स्थानीय रोडवेज डिपो के कर्मचारियों ने बताया कि कार्यशाला का निर्माण नहीं कराने से हम गर्मी में तेज धूप, ठंडी में भीषण कोहरे और बारिश में भीगते हुए बसों की मरम्मत करते हैं लेकिन निगम के जिम्मेदार हमारी समस्याओं का समाधान करने में आनाकानी करते रहते हैं। कर्मचारियों ने अपनी खुलकर अपनी एक-एक समस्या को साझा किया और उनके समाधान का सुझाव भी दिया। बेल्हा के रोडवेज डिपो में निगम की कुल 69 बसे हैं, डिपो से मुख्य रूप से दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, गोरखपुर, बस्ती, फैजाबाद, वाराणसी और प्रयागराज रूट पर बसें संचालित की जाती हैं। निगम की बसें सड़क पर नियमित फर्राटा भरती रहें, इसके लिए डिपो में कुल 45 कर्मचारी (मैकेनिक) नियुक्त किए गए हैं। इसमें 25 कर्मचारी संविदा के हैं शेष नियमित कर्मचारी हैं। कार्यशाला के कर्मचारियों की शिफ्टवार आठ-आठ घंटे की ड्यूटी लगाई जाती है। रोडवेज डिपो की कार्यशाला के कर्मचारी बताते हैं कि डिपो के पास अपनी कोई स्थायी कार्यशाला नहीं है। डिपो के बगल उधारी की भूमि पर कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस भूमि को प्रशासन की ओर से निगम को हस्तांतरित कराने का लंबे समय से प्रयास चल रहा है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल सकी है। नतीजा खुले आसमान के नीचे कार्यशाला का संचालन किया जा रहा है। इससे कर्मचारी तेज धूप, कड़ाके की ठंड में खुले असामान के नीचे बसों की मरम्मत करते हैं। यही नही बारिश के दिनों में कर्मचारी भीगते हुए खराब बसों की मरम्मत करते हैं। इससे कई बार कर्मचारियों की सेहत बिगड़ जाती है लेकिन मामला यात्रियों की सुविधा से जुड़ा होने के कारण कर्मचारी दिन रात मेहनत करते हैं। कार्यशाला का कार्यालय टिन शेड में संचालित किया जाता है। इसी टिन शेड में बैठकर सीनियर फोरमैन सहित अन्य लोग काम निपटाते हैं। बावजूद इसके परिवहन निगम के जिम्मेदार कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को सुविधा और संसाधन मुहैया कराने की पहल नहीं कर रहे हैं। इसका असर कर्मचारियों के काम पर भी दिखता है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि निगम की ओर से हमें आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं तो बसों की मरम्मत करने में सहूलियत मिलेगी। जिसका असर बसों की कमाई पर दिखेगा। इसके अलावा पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहने पर काम करने में भी तेजी आएगी, जिसे बस को ठीक करने में पूरा दिन लग जाता है, उसे महज कुछ घंटों में ही रिपेयर कर लिया जाएगा। कार्यशाला निर्माण का प्रस्ताव अटका रोडवेज बस अड्डे के बगल जिस भूमि पर अस्थायी भूमि पर कार्यशाला संचालित की जा रही है, पहले निगम की ओर से उसी भूमि को अधिग्रहीत कराने का प्रयास किया जा रहा था लेकिन अब निगम के अफसरों ने उस भूमि की उम्मीद छोड़ दी है। कार्यशाला निर्माण के लिए स्थानीय रोडवेज डिपो के जिम्मेदारों की ओर से पत्र लिखकर प्रशासन से भूमि चिह्नित करने की मांग की गई थी। राजस्व विभाग की ओर से कार्यशाला निर्माण के लिए सिटी रोड पर सगरा ढलान के पास भूमि चिह्नित कर दी गई है। इस भूमि पर रोडवेज डिपो की कार्यशाला का निर्माण कराने के लिए प्रस्ताव बनाकर डिपो के अफसरों की ओर से शासन में भेजा गया है। हालांकि अब तक इसकी स्वीकृति नहीं मिली है। डिपो के कर्मचारियों सहित जनपदवासियों का मानना है कि कार्यशाला का निर्माण हो जाने से डिपो का पूरा स्वरूप बदल जाएगा, इससे बसों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने, बसों के रखरखाव में सहूलियत मिलेगी और खासतौर पर कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को सुविधाएं मिल जाएंगी। विशेष परिस्थिति में प्रयागराज भेजी जाती हैं बसें स्थानीय रोडवेज डिपो से संचालित निगम की बसों में मामूली खराबी आने पर ही उनकी यहां मरम्मत की जाती है। यदि बसों में बड़ी खराबी आ जाती है अथवा रंग-रोगन योग्य बसों को प्रयागराज डिपो भेजा जाता है। कारण स्थायी कार्यशाला नहीं होने के कारण पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं, यही कारण है कि डिपो की बसों को पूरी तरह से मरम्मत करने की सुविधा यहां नही है। असुविधा और आधे अधूरे संसाधनों से काम करने वाले कार्यशाला के कर्मचारी कहते हैं कि हम बसों की हर तरह से मरम्मत कर सकते हैं लेकिन संसाधन तो मुहैया कराना पड़ेगा। इसके लिए निगम के अफसरों को आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए। नए बस अड्डे के निर्माण से बढ़ी समस्या स्थानीय रोडवेज डिपो की कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि डिपो का नया बस अड्डा बनने से पहले कार्यशाला के कार्यालय और कर्मचारियों के बैठने की बेहतर व्यवस्था की गई थी। नए बस अड्डे का निर्माण होने के बाद पुराने भवनों को ध्वस्त कर उनके स्थान पर नया भवन बना दिया गया। इससे कार्यशाला के कर्मचारियों की मुसीबत बढ़ गई। वर्तमान में कार्यालय का संचालन जहां किया जा रहा है वहां मामूली बारिश होने पर भी जलभराव हो जाता है। उसी पानी और कीचड़ में खड़े होकर कर्मचारी बसों की मरम्मत करते हैं। खास बात यह कि स्थायी कार्यशाला का निर्माण कराने के लिए अब तक सिर्फ आश्वासन मिलता रहा, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ चिह्नित भूमि की पैमाइश कराई गई है। डिपो की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिलने से कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है। आमदनी में आगे सुविधाओं में पीछे स्थानीय रोडवेज डिपो की अस्थायी कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि आसपास वाले जनपदों के सापेक्ष यह डिपो कमाई के मामले में आगे है। डिपो की प्रतिदिन की आमदनी औसतन 12 लाख रुपये है लेकिन सुविधाओं के मामले में डिपो सबसे पीछे है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि निगम के अफसर स्थानीय डिपो को लेकर गंभीर नही हैं। यदि जिम्मेदारों ने जरा भी गंभीरता दिखाई होती तो बस अड्डे का नजारा बदल गया होता और कर्मचारियों को सभी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध होते। शिकायतें 0 रोडवेज डिपो की कार्यशाला खुले आसमान के नीचे संचालित की जा रही है, इससे कार्यशाला के कर्मचारियों को दिक्कत होती है। 0 रोडवेज डिपो की कार्यशाला में काम करने के लिए निगम की ओर से पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं कराए गए हैं जिससे बसों की मरम्मत में समस्या होती है। 0 परिवहन निगम की ओर से स्थानीय रोडवेज कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को चार वर्ष से यूनीफॉर्म मुहैया नहीं कराया गया। 0 स्थानीय डिपो में स्थायी कार्यशाला नहीं होने के कारण डिपो की सभी बसें खुले में खड़ी की जाती हैं, इससे बसों में खराबी आती है। 0 स्थानीय डिपो में स्थायी कार्यशाला नहीं होने से काम करने वाले कर्मचारियों को बैठने और कुछ देर आराम करने का स्थान नहीं है। सुझाव 0 रोडवेज डिपो के लिए निगम के जिम्मेदारों को प्राथमिकता से स्थाई कार्यशाला का निर्माण कराने का प्रयास करना चाहिए। 0 रोडवेज डिपो की कार्यशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को निगम के जिम्मेदारों की ओर से पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। 0 स्थानीय रोडवेज डिपो में काम करने वाले संविदा और नियमित कर्मचारियों को निगम की ओर से प्रत्येक वर्ष यूनीफॉर्म मुहैया कराना चाहिए। 0 जब तक डिपो में स्थायी कार्यशाला का निर्माण नहीं कराया जाता, तब तक बसों को धूप और बारिश से बचाने के लिए अस्थायी शेड की व्यवस्था करना चाहिए। 0 डिपो में काम करने वाले कर्मचारियों की सहूलियत के लिए जिम्मेदारों को आराम करने के लिए स्थान की व्यवस्था कराना चाहिए। जरा हमारी भी सुनिए.... रोडवेज डिपो में स्थायी कार्यशाला नहीं होने से कर्मचारियों को खुले आसमान के नीचे बसों की मरम्मत करनी पड़ती है। इससे गर्मी, ठंडी और बरसात में कर्मचारियों को समस्या होती है। कार्यशाला का निर्माण कराने के लिए जिम्मेदारों को पहल करनी चाहिए। संदीप तिवारी स्थानीय रोडवेज डिपो की कार्यशाला के कर्मचारियों को निगम की ओर से हर वर्ष यूनीफॉर्म दिया जाना चाहिए। यूनीफॉर्म नहीं होने के कारण आम लोग यह जान ही नहीं पाते कि काम करने वाला निगम का है कि बाहर का मैकेनिक है। कमलेश स्थानीय रोडवेज डिपो पर स्थायी कार्यशाला का निर्माण जब तक नहीं कराया जा रहा, तब तक कर्मचारियों के आराम करने के लिए अस्थायी कमरों की सुविधा दी जानी चाहिए। जिससे काम करने के बाद कर्मचारी कुछ देर आराम कर थकान मिटा सकें। प्यारेलाल स्थानीय रोडवेज डिपो पर स्थायी कार्यशाला नहीं होने के कारण खुले में बैठकर अभिलेख तैयार करना पड़ता है। इससे काम करने में समस्या होती है, डिपो की ओर से एक अस्थायी कमरे की व्यवस्था कराना चाहिए जहां कार्यशाला का कार्यालय संचालित हो सके। विवेक कुमार स्थानीय रोडवेज डिपो पर उधारी की भूमि पर कार्यशाला का संचालन किया जा रहा है। ऐसे में बसें खुले आसमान के नीचे खड़ी रहती हैं। बसों की उचित देखभाल नहीं होने से उनमें बार-बार खराबी आती है, जिसकी जिम्मेदारी मैकेनिकों पर थोप दी जाती है। मनीष रोडवेज डिपो की बसें निरंतर फर्राटा भरती रहें और यात्रियों को उनके गंतव्य तक बिना रुकावट पहुंचाती रहें, इसके लिए कार्यशाला और उसमें उपलब्ध संसाधन बेहद अहम होते हैं। निगम के जिम्मेदारों को कार्यशाला में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। सोहन लाल यादव स्थानीय रोडवेज डिपो पर स्थायी कार्यशाला नहीं होने के कारण पर्याप्त सुविधाएं भी नही हैं। ऐसे में बसों में बड़ी खराबी आने पर उसे मरम्मत के लिए प्रयागराज भेजा जाता है। यदि कार्यशाला का निर्माण करा दिया जाए जो बसों की सभी तरह की मरम्मत यहीं होने लगेगी। लालप्रताप सिंह कार्यशाला में बसों की मरम्मत करने के बाद उन्हें स्टेशन इंचार्ज को हैंडओवर किया जाता है। इसके बाद यदि बसें रास्ते में खराब होती हैं तो मरम्मत करने वाले कर्मचारी को फटकार के साथ कई बार हर्जाना भरना पड़ता है। यह सरासर गलत है। अर्पित तिवारी रोडवेज डिपो की बसों को पूरी तरह से फिट रखने के लिए स्थायी कार्यशाला बेहद अहम है। जिम्मेदारों को स्थायी कार्यशाला का निर्माण कराने के साथ आधुनिक संसाधन मुहैया कराना चाहिए। जिससे कर्मचारी बेहिचक बसों की मरम्मत कर सकें। रमाशंकर रोडवेज डिपो में स्थायी कार्यशाला नहीं होने का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। इससे बसों की मरम्मत करने के साथ कर्मचारियों को कई समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। जिम्मेदारों को स्थायी कार्यशाला का निर्माण कराने की पहल तेज करनी चाहिए। महेन्द्र तिवारी बोले जिम्मेदार स्थायी कार्यशाला का निर्माण कराने के लिए प्रशासन की ओर से सगरा ढलान पर भूमि चिह्नित कर ली गई है। निर्माण पर आने वाले खर्च का विवरण तैयार कर प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन से हरी झंडी मिलते ही निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। इसके बाद कर्मचारियों की सहूलियत के अन्य इंतजाम भी किए जाएंगे। राजकुमार, सीनियर फोरमैन, रोडवेज डिपो
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