बोले रायबरेली/ब्लैक स्पॉट
Raebareli News - रायबरेली जिले में 29 ब्लैक स्पॉट चिन्हित हैं, जहां सड़क हादसों की आशंका बनी रहती है। इन ब्लैक स्पॉट को खत्म करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। हर महीने औसतन 33 लोगों की जान सड़क...
जिले में 29 ब्लैक स्पाट, जहां रहती है हादसे की आशंका रायबरेली, संवाददाता। जिले की सड़कों पर चिह्नित 29 ब्लैक स्पॉट में हादसे की आशंका बनी रहती है। शासन-प्रशासन इन ब्लैक स्पॉट को खत्म करने का प्रयास करता है। बावजूद इसके इनकी संख्या कम नहीं हो रही है। जिन सड़कों पर ब्लैक स्पॉट बने हैं, वह एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी की हैं। हर माह सड़क सुरक्षा समिति की बैठक होती है। इन पर चर्चा भी होती है। लेकिन, अभी तक ब्लैक स्पॉट खत्म नहीं हुए हैं। ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। अब रंबल स्ट्रिप को हटाकर उनके स्थान पर टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर बनाए जा रहे हैं।
इन स्पीड ब्रेकर से न केवल दुर्घटनाएं कम होगीं बल्कि गाड़ियों को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। यह काम शुरू करा दिया गया है। अगर ब्लैक स्पॉट खत्म कर दिए जाएं तो सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है। जिले की सड़कों पर बने ब्लैक स्पाट दुर्घटना का कारण बने हुए हैं। जिले में पहले 52 स्थानों पर ब्लैक स्पाट थे। अब वहीं इनकी संख्या घटकर 29 रह गई है। इनको दूर करने के लिए तमाम प्रयास हो रहे हैं। बावजूद इसके इनको खत्म नहीं किया जा रहा है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो औसतन हर माह 33 लोगों की जान सड़क हादसों में जा रही है। जिले की सड़कों पर बने ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए सड़क सुरक्षा समिति की लगातार बैठकें होती हैं।जिले में पहले जहां 52 स्थानों पर ब्लैक स्पाट थे। अब वहीं इनकी संख्या घटकर मात्र 29 रह गई है। लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर 14 और एनएचएआई की सड़कों पर 15 ब्लैक स्पाट बने हुए हैं। जिले की अधिकतर मुख्य सड़कें एनएचएआई के पास हैं। एनएचएआई के पास अधिक लंबाई की सड़कें हैं। इसलिए ब्लैक स्पाट भी सबसे अधिक एनएचएआई के खाते में हैं। एनएचएआई की प्रयागराज को जाने वाली सड़क पर पहले 14 ब्लैक स्पाट बने थे लेकिन सड़क को चार लेन कर दिए जाने के बाद इनकी संख्या शून्य हो गई है। अब बांदा को जाने वाले मार्ग के साथ में अयोध्या मार्ग व सुल्तानपुर व प्रतापगढ़ मार्ग पर ही ब्लैक स्पाट बचे हुए हैं। ब्लैक स्पॉट को लेकर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने लोगों से बात की तो उन्होंने अपनी बात रखी। कहा कि ब्लैक स्पॉट खत्म करने के लिए प्रयास होते हैं, लेकिन उनकी निगरानी नहीं होती है। काम चलाऊ व्यवस्था होने से लोगों को दिक्कत होती है। अगर संजीदा तरीके से काम किया जाए तो यह परेशानी खत्म हो सकती है। इन समस्या के खत्म होने से सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सकता है। उनका कहना है कि कई सड़कों पर ब्रेकर इतने खराब बना दिए गए हैं, जिससे हादसे होते रहते हैं। इन हटाकर हादसों पर अंकुश लगा सकते हैं। लालगंज-बछरावां मार्ग पर अधिक दिक्कत लालगंज-बछरावां मार्ग पर लगातार होने वाली दुर्घटनाओं के चलते अघौरा घाट, गुरबक्सगंज चौराहा और पश्चिम गांव के पास हमेशा दुर्घटनाएं होती रही हैं। इसके चलते इस सड़क को दुर्घटनाओं की सड़क भी कही जाती है। इस मार्ग पर बने हुए सभी ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए निर्माण खंड-1 के द्वारा कार्य किया जा रहा है। ब्लैक स्पाट दूर करने के लिए अब रंबल स्ट्रिप हटाकर उनके स्थान पर टेबल टॉप स्पीड ब्रेकर बनाए जा रहे हैं। इन स्पीड ब्रेकर से न केवल दुर्घटनाएं कम होगीं बल्कि गाड़ियों को भी नुकसान कम होगा। ब्लैक स्पाट दूर करने के लिए मिलता है बजट रायबरेली। शासन ने लोक निर्माण विभाग के साथ में एनएचएआई की सड़कों से ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए ढाई करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि जारी की थी। इसमें से 63 लाख रुपए लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर बने ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए दिए गए थे। बाकी बचे धन से एनएचएआई की सड़कों से ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए मिले हैं। इसके साथ में शासन ने यह भी निर्देश दिए हैं कि सड़कों से ब्लैक स्पाट को दूर करने के बाद भी उसी जगह पर दुर्घटना होती है तो समबन्धित विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगें। लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के अधीन आने वाले दो ब्लैक स्पाट को दूर किया जा चुका है। जबकि निर्माण खंड 2 के अधीन आने वाले चार ब्लैक स्पाट पर कार्य किया जा रहा है। सबसे अधिक ब्लैक स्पाट निर्माण खंड 1 की सड़कों पर बने हुए हैं। इस खंड की सड़कों पर कुल आठ ब्लैक स्पाट मौजूद हैं। निमा्रण खंड 1 की अधिशाषी अभियंता ने बताया कि सड़कों से अब तक चार स्थानों पर ब्लैक स्पाट को दूर करने का कार्य किया जा चुका है। शेष बचे चार स्थानों के ब्लैक स्पाट को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इस तरह तय होता है ब्लैक स्पाट रायबरेली। किसी निर्धारित स्थान पर जहां लगातार दुर्घटना होती है तो उस स्थान को ब्लैक स्पाट के रूप में चिन्हित कर दिया जाता है। दुर्घटना वाले स्थान से सौ मीटर आगे अथवा पीछे लगातार दुर्घटना होती है और उसमें दो अथवा दो से अधिक मौत होती है तो उस पूरे स्थान को ब्लैक स्पाट के रूप में मान लिया जाता है। नंबर गेम 29 ब्लैक स्पॉट हैं जनपद की सड़कों में 2द्य.5 करोड़ बजट मिला था ब्लैक स्पाट के लिए 15 ब्लैक स्पाट हैं एनएचएआई की सड़कों पर --- सुझाव -सड़कों पर यातायात के चिन्हों को अविलम्ब बनाने का कार्य किया जाए। -लोगों को समय समय पर यातायात के नियमों के विषय में जानकारी दी जाए। -स्कूलों में भी सप्ताह में एक दिन सड़क सुरक्षा की कक्षाएं रखी जाएं। -स्कूल संचालकों द्वारा संचालित बसों के चालकों को आईडीटीआर में प्रशिक्षण दिलाया जाए। -गलत दिशा में वाहन चलाने वालों पर कठोर कार्यवाई की जाए। यह अभियान चलता रहना चाहिए। शिकायत -सड़क सुरक्षा के नियमों को लेकर सिर्फ एक माह जागरूकता अभियान चलाने की बजाए पूरे साल चलाया जाए। -दो पहिया वाहन चालकों द्वारा सबसे अधिक नियमों की अवहेलना की जाती है। प्रभावी कार्रवाई की जाए। -चौराहों पर लगाए गए यातायात के सिपाहियों और होम गार्डों को यातायात संचालन का प्रशिक्षण दिया जाए -चौराहों पर सफेद पट्टियों को नए सिरे से बनवाया जाए। जिससे वाहन चालकों को सही जगह पर रोका जा सके। -चार पहिया चलाने वालों को सड़क सुरक्षा के नियमों से अवगत कराया जाए। जिससे वाहन को चलाने के दौरान नियमों का पालन कराया जा सके। अधिकारी बोले-- सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार विभागों से समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है। इसके साथ में सड़क पर बने ब्लैक स्पाट को लेकर लोक निर्माण विभाग के साथ में एनएचएआई के अधिकारियों को दूर करने के लिए शासन स्तर से निर्देश दिए गए हैं। अधिकतर सड़कों से ब्लैक स्पाट को दूर करने का कार्य किया जा चुका है। मनोज कुमार सिंह, एआरटीओ प्रर्वतन --------- लोग बोले- --- सड़क पर सफर करने के दौरान लोग यातायात के नियमों की अवहेलना करते हैं। जिससे लगातार सड़क पर दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में संभल कर चलने की जरूरत होती है। मुकेश रस्तोगी --- चार पहिया के चालकों के द्वारा सीट बेल्ट नहीं लगाया जा रहा है। यह भी दुर्घटना का कारक बना हुआ है। सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाने पर दुर्घटना नहीं होगी। इस पर प्रभावी तरीके से अमल किया जाए। बसंत सिंह बग्गा --- दो पहिया चलाने वालों के द्वारा हेलमेट नहीं लगाने के कारण दुर्घटना की स्थिति में जान जा रही है। हेलमेट लगाने से दुर्घटना में जान नहीं जाएगी। ब्लैक स्पाट वाले स्थानों पर हादसे की आशंका बढ़ जाती है। मनोज गुप्ता --- सबसे अधिक परेशानी गलत दिशा में वाहन चलाने वालों से होती है। उल्टी दिशा में वाहन चलाकर चालक ज्यादा दुर्घटना कर रहे हैं। नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए ताकि हादसों पर अंकुश लगे। सितांशू बाजपेई --- चौराहों पर यातायात को नि्ति्रररत करने वाले सही ढंग से वाहनों को चलने का निर्देश नहीं दे पा रहे हैं। इसके चलते चौराहों पर वाहनों से दुर्घटना हो रहीं हैं। अगर कड़ाई से कार्रवाई हो तो हालात सुधर सकते हैं। जूली श्रीवास्तव ------ सड़क पर सफर करने के दौरान लोग यातायात के नियमों की अवहेलना करते हैं। जिससे लगातार सड़क पर दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में अधिक सजगता की जरूरत होती है। लवलेश दीक्षित --- चार पहिया के चालकों के द्वारा सीट बेल्ट नहीं लगाया जा रहा है। यह भी दुर्घटना का कारक बना हुआ है। सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाने पर दुर्घटना नहीं होगी। बावजूद इसके लोग बेल्ट नहीं लगाते हैं। अरशद पठान --- जनपद में ब्लैक स्पाट चिह्नित हैं। इनको दूर करने के लिए प्रभावी तरीके से काम करना चाहिए। अगर सड़कों से ब्लैक स्पाट दूर हो जाएंगे तो सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। राकेश द्विवेदी ----- जिन सड़कों पर ब्लैक स्पाट हैं, वहां बोर्ड लगाए जाने चाहिए। ताकि वाहन चालकों को यह पता चल सके कि यह दुर्घटना संभावित क्षेत्र है। इस काम को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए। श्यामबाबू -------- ब्लैक स्पॉट पर हादसे होते हैं तो विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हैं। इससे बचना चाहिए। बल्कि समस्या के समाधान पर फोकस किया जाना चाहिए। समस्या दूर होगी तो लोगों को राहत मिलेगी। डॉ. भगवानदीन यादव ---------- एनएचएआई सड़कों का निर्माण करती है। निर्माण के समय ही इस बात पर फोकस किया जाए कि कोई ब्लैक स्पाट न बनने पाए। ब्लैक स्पाट बनने से ही सड़क हादसे होते हैं और लोग जान गवां बैठते हैं। रामेश्वर ------- कुछ सड़कों पर ऐसे ब्लैक स्पाट हैं, जहां पर अक्सर हादसे होते हैं। जानकारी के बावजूद इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती है। अगर कार्रवाई करके समस्या का समाधान हो जाए तो सभी को राहत मिलेगी। अतुल बाजपेई -------- जनपद में बने ब्लैक स्पॉट को दूर करने के लिए बजट आता है। बजट का सही उपयोग किया जाए ताकि समस्या दूर हो सके। समस्या दूर करने के बाद इसकी निगरानी भी जाए ताकि फिर दिक्कत न आए। अनूप शुक्ला --- निर्माण एजेंसी ब्लैक स्पॉट दूर करने का दाव कर देती हैं, लेकिन समाधान नहीं हो पाता है। इसकी निगरानी के लिए विशेष प्रबंध हों। अगर निगरानी रहेगी तो समस्या दोबारा नहीं होगी। राकेश गुप्ता सड़क हादसों में हर महीने करीब 35 लोगों की जा रही जानें रायबरेली,संवाददाता। सड़क हादसों से जिले की सड़कें खून से लाल हो रही है। हर माह करीब 35 लोगों की जानें जा रही है करीब पचास लोग जख्मी भी हो रहे है। इन हादसों को रोकने के लिए जिम्मेदारों की ओर से इंतजाम किए जा रहे है, लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहे है। इसके लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, इससे हादसो में कोई कमी नहीं आ रही है। पुलिस विभाग के आकड़ों के अनुसार डेढ़ साल में जिले में करीब एक हजार से अधिक सड़क हादसे हुए है। इन हादसों में करीब छह सौ लोगों की जानें गई और करीब सात सौ लोग घायल हो गए। दिन प्रतिदिन जिले में बढ़ रहे इन सड़क हादसों को रोकने के लिए जिम्मेदारों की ओर से किए जा रहे प्रयास नाकाफी हो रहे है। जबकि हर माह यातायात पुलिस की ओर से वाहनों के चालान के नियम व तरीके सिखाए जा रहे है, लेकिन उसके बावजूद सड़क हादसों में कमी नहीं आ रही है। हालांकि चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान भी कागजों तक सीमित है। हाईवे या ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का कोई भी अभियान कभी नहीं चलाया जाता है। जबकि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि उनकी ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे है, लेकिन उसके बावजूद सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।