बोले रायबरेली/स्नातक में दाखिले
Raebareli News - मनपसंद कॉलेज के लिए होती है मारामारी इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम के बाद अब स्नातक
मनपसंद कॉलेज के लिए होती है मारामारी इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम के बाद अब स्नातक में प्रवेश के लिए दौड़ शुरू हो गई है। जिले में एडमीशन को लेकर यहां अधिक मारामारी नहीं रहती है। हालांकि मनपसंद कॉलेज में एडमिशन के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। अभ्यर्थियों को अपने चहेते महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। सभी बोर्ड के 32 हजार छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। जनपद में सरकारी कॉलेजों में सिर्फ छह हजार सीटें हैं। विद्यार्थी पहले राजकीय और फिर अनुदानित महाविद्यालयों में प्रवेश लेने का प्रयास करते हैं। जब इनमें प्रवेश नहीं मिल पाता तो फिर निजी संस्थाओं की ओर रुख करते हैं।
बेहतर विकल्प नहीं मिलने पर छात्रों को बाहरी जिलों की दौड़ लगानी पड़ रही है। यदि संसाधनों को दुरुस्त किया जाए तो छात्रों को जिले में ही प्रवेश मिल सकता है। रायबरेली, संवाददाता। जनपद में इस बार 32 हजार विद्यार्थियों ने 12वीं उत्तीर्ण की है। हालांकि जनपद के कॉलेजों में करीब 40 हजार सीटें हैं। लेकिन, छात्र अपनी मनपसंद के कॉलेज में प्रवेश के लिए परेशान रहते हैं। राजकीय कॉलेजों के अलावा फिरोज गांधी कॉलेज, बैसवारा डिग्री, कमला नेहरू स्नातकोत्तर कॉलेज, दयानंद पीजी कॉलेज छात्रों की पसंद रहते हैं। यहां प्रवेश के लिए इंतजार करना पड़ता है। साथ ही प्रोफेशन कोर्स के लिए भी जनपद में विकल्प कम हैं। जिले में विभिन्न बोर्ड परीक्षाओं में लगभग 32 हजार परीक्षार्थी 12वीं में उत्तीर्ण हुए हैं। अब महाविद्यालयों में स्नातक के लिए प्रवेश लेना होगा। जिले में संचालित सरकारी महाविद्यालयों में लगभग छह हजार सीटें हैं। ऐसे में 65 फीसद के करीब छात्रों को निजी महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए भटकना पड़ सकता है। परीक्षार्थी अब डिग्री कॉलेजों में प्रवेश की तैयारी में जुटे हैं। इन अभ्यर्थियों से आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार ने बात की तो उन्होंने अपनी बात साझा की। उन्होंने कहा कि बीए, बीकॉम, बीएससी में प्रवेश के साथ ही हम सभी प्रोफेशनल कोर्स की ओर भी ध्यान देना चाहते हैं। कई छात्र बीए में एडमिशन के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को अधिक तरजीह देना चाहते हैं। शहर के फिरोज गांधी महाविद्यालय में सब प्रवेश चाहते हैं। यहां हर बार प्रवेश को लेकर मारामारी होती है। यहां बीए ,बीएससी कामर्स को मिलाकर 1360 सीटें हैं। छात्र लालगंज के बैसवारा डिग्री और तेजगांव के कमला नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय की ओर रुख करते हैं। यहां भी प्रवेश के लिए इंतजार करना पड़ता है। छात्रों ने बताया कि राजकीय और अनुदानित कॉलेज में प्रवेश लेने का प्रयास रहता है। क्योंकि निजी स्कूलों की फीस वहन करना हर किसी के बस की बात नहीं है। कई सरकारी डिग्री कॉलेजों में सीटें तो हैं, लेकिन टीचर नहीं होने के कारण प्रवेशार्थियों को दूसरे महाविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है। ऊंचाहार के डा अम्बेडकर राजकीय पीजी कालेज में बीए और बीएससी में 660 सीटें हैं। इस राजकीय महाविद्यालय में साइंस फैकल्टी में चार शिक्षकों का अभाव है। यहां की छात्राओं ने बताया कि शिक्षकों के न होने के कारण यहां प्रवेश कम हो रहे हैं। जब शिक्षक नहीं होते तो मजबूरी में हम लोग दूसरे कॉलेजों का रुख करते हैं। इस समय यहां साइंस, मैथ, फिजिक्स, बाटनी के टीचर नहीं हैं। बीएससी में पिछले साल भी पूरी सीटें नहीं भरी थी। इस बार ऐसी ही आशंका है। जनपद में सभी कॉलेजों को मिला लिया जाए तो स्नातक की करीब 40 हजार सीटें हैं। अधिकतर सीटें 73 निजी डिग्री कॉलेजों में हैं। पंसदीदा कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलता है तो निजी कॉलेजों की तरफ रुख करते हैं। किस बोर्ड के कितने छात्र उत्तीर्ण हुए इंटरमीडिएट के सभी बोर्ड के नतीजे घोषित हो चुके हैं। जिले में यूपी बोर्ड के करीब 28872 परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। इसका 84.55 फीसदी रिजल्ट रहा है। सीबीएसई, आईसीएसई में तीन हजार से अधिक परीक्षार्थी पासआउट हुए हैं। ---- शिकायतें -डा अम्बेडकर राजकीय पीजी कालेज ऊंचाहार में एनसीसी की व्यवस्था नहीं है। इससे बच्चों को दिक्कत होती है। -राजकीय महाविद्यालय ऊंचाहार में साइंस फैकल्टी के चार शिक्षकों का अभाव है। इससे पठन-पाठन में दिक्कत होती है। -जिले में रोजगार परक कोर्सेज का अभाव है। इससे छात्र परेशान होते हैं। -कंप्यूटर साइंस, जेनेटिक साइंस, माइक्रो साइंस, सांख्यिकी, बायोटेक्नोलॉजी आदि विषयों का अभाव है। -महाविद्यालयों में संसाधनों का अभाव है। मानकों के अनुरूप संसाधन नहीं हैं। सुझाव -डा अम्बेडकर राजकीय पीजी कालेज ऊंचाहार में एनसीसी की व्यवस्था कराई जाए। साइंस फैकल्टी का इंतजाम हो। -जिले में रोजगार परक कोर्सेज का जो अभाव है। उसे दूर कराया जाए। यह कोर्सेज शुरू हो। -कंप्यूटर साइंस, जेनेटिक साइंस, माइक्रो साइंस, सांख्यिकी, बायोटेक्नोलॉजी आदि विषयों की पढ़ाई जिले में होनी चाहिए। -महाविद्यालयों में संसाधन बढ़ाए जाएं। मानकों के अनुरूप संसाधन होने चाहिए। -कॉलेजों की ग्रेडिंग करवाई जाए ताकि छात्रों को प्रवेश लेते समय आसानी रहे। नंबर गेम 32 छात्र और छात्राएं इंटर में पास हुए हैं 73 निजी महाविद्यालय हैं पूरे जनपद में 1360 सीटें स्नातक की हैं फीरोज गांधी कॉलेज में -------- प्रोफेशनल कोर्सेज के विकल्प कम रायबरेली। 12वीं के बाद प्रोफेशनल कोर्सेज की मांग बढ़ रही है। इंजीनियरिंग में नौकरी के बहुत विकल्प हैं। ऐसे में अभिभावक भी छात्रों का रुख इसी ओर करते हैं। इसके अलावा बीबीए, एमबीए, लॉ, होटल मैनेजमेंट समेत तमाम कोर्सेज की मांग है। हालांकि जनपद में इनके विकल्प कम हैं। कॉमर्स की पढ़ाई कर बैंकों में अच्छा अवसर प्राप्त कर सकते हैं। बीएससी में मैथ और फिजिक्स की ओर छात्रों का रुझान रहता है। इसमें भी करियर के अच्छे विकल्प हैं। ग्राफिक डिजाइन, फैशन, इंटीरियर में भी जॉब के अवसर मिल रहे हैं। कंप्यूटर साइंस में बीसीए, एमसीए, बी.टेक की ओर बहुत बच्चे जा रहे हैं। छात्र बाहर जाकर ये कोर्सेज कर रहे हैं। अगर यहां पर बेहतर विकल्प मिले तों वह घर के पास अपना करियर बना सकते हैं। इन कोर्सेज का यहां अभाव होने के कारण अधिकांश लोग अपने बच्चों को बाहर पढ़ाई के लिए भेज देते हैं। बोले जिम्मेदार डा अम्बेडकर राजकीय पीजी कालेज में प्राचार्य का दायित्व निभाते हुए प्रयास यही है कि यहां की सभी व्यवस्थाएं जो भी स्थानीय स्तर से हैं वह दुरस्त रहें। शिक्षकों के अभाव को पूरा कराने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही शासन से यह व्यवस्थाएं ठीक होंगी। जो भी अभिभावक और बच्चे आते हैं उनकी सुविधाओं का ध्यान दिया जाता है। जिसको कोई दिक्कत हो वह कार्यालय में संपर्क कर सकता है। सभी की समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाएगा। डॉ अर्चना प्राचार्य, डा अम्बेडकर राजकीय पीजी कॉलेज ऊंचाहार ------- इनकी भी सुनें सभी कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्सेज शुरू होने चाहिए। इससे यहां लोगों का रुझान बढ़ेगा। इस ओर कालेज प्रशासन और स्थानीय प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। समस्या के स्थायी समाधान के लिए स्थानीय प्रशासन को मिलकर उचित व्यवस्था विकसित करनी चाहिए। खुशी --- कई कॉलेज में कक्षाओं का नियमित संचालन नहीं होता है। इसके लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए। शिक्षकों की उपस्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के लिए एक समिति का गठन होनी चाहिए। इससे छात्राओं की रुचि और बढ़ेगी और सभी को राहत मिलेगी। दक्ष वर्मा -- सभी राजकीय महाविद्यालयों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्य सरकार और अन्य संबंधित एजेंसियों से वित्तीय सहायता कॉलेज को प्राप्त हो रही है। लाइब्रेरी, लैबोरेटरी और खेल सुविधाओं का विकास तो हुआ है, लेकिन अभी और विकास हो जो छात्रों के समग्र विकास में सहायक होगा। वर्षा बाजपेई -- छात्राओं के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित कर उनकी समस्याओं और सुझावों को सुना जाना चाहिए। इससे कॉलेज प्रशासन और छात्राओं के बीच विश्वास बढ़ेगा और समस्याओं का समाधान शीघ्र हो सकेगा। मो. खालिद -- एनएसएस व स्पोर्ट्स के प्रतिभावान छात्राओं को कॉलेज में प्राथमिकता देते हुए उचित अवसर प्रदान करना चाहिए। साथ ही इनके लिए नामांकन में अलग से सीटों की व्यवस्था होनी चाहिए। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। आयुष साहू --- राजकीय पीजी कालेज ऊंचाहार में छात्राओं की संख्या अच्छी आना शुरू हो, जिससे कक्षाओं का नियमित संचालन होता रहे। शिक्षकों की अनुपस्थिति और प्रशासनिक उदासीनता जैसी समस्याएं भी हम छात्रों के समक्ष आती हैं। जिससे हमारी शिक्षा प्रभावित होती है और हमारी बुनियाद कमजोर होती है। ललिता --- शहर के प्रमुख डिग्री कालेज में फिरोज गांधी महाविद्यालय में प्रवेश के लिए अक्सर मारामारी होती है। यहां और सीटें बढ़नी चाहिए, जिससे किसी भी छात्र या छात्रा को प्रवेश के लिए यहां से वापस न लौटना पड़े। इस ओर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। श्रजा -- फिरोज गांधी महाविद्यालय में 60 प्रतिशत से अधिक छात्र और छात्राएं बाहर से आती हैं। उनको आने में दिक्कत होती है। छात्राएं कॉलेज के आसपास के इलाकों कमरा लेकर रुकती हैं। कॉलेज परिसर में प्रयाप्त छात्रावास हो तो किसी को बाहर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एकता सिंह --- कई लड़कियां फिरोज गांधी कॉलेज में नियमित तौर पर पढ़ाई करना चाहती है, लेकिन दूरी की वजह से कॉलेज नहीं आ पाती है। वैसी मेधावी छात्राएं जो पढ़ने के लिए इच्छुक हैं, उन्हें हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध करायी जानी चाहिए। इस पर कालेज प्रशासन को ध्यान दिया जाना चाहिए। पारुल -- यहां स्किल से संबंधित नए कोर्स को शुरू करने की आवश्यकता है। जिससे छात्राएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, शेयर मार्केट जैसे विषय को समझ सकेंगे और इस क्षेत्र में खुद को मजबूत बना सकेंगे। इससे सभी को लाभ मिलेगा और छात्राएं भी बढ़ेंगी। सेजल -- राजकीय पीजी कालेज ऊंचाहार में साइंस फैकल्टी में मैथ, साइंस, फिजिक्स, बाटनी जैसे महत्वपूर्ण विषय के शिक्षक नहीं हैं। इससे सभी की पढ़ाई बाधित हो रही है। इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसे जल्द व्यवस्थित किया जाए। जिससे पढ़ाई बाधित न हो। सौम्या मोदनवाल -- छात्र-छात्राओं के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य तो कर दिया है, लेकिन जब महाविद्यालयों में टीचर नहीं होंगे तो हम इतने सारे बच्चें एक साथ कॉलेज में इधर उधर बैठ के ही समय बिताएंगे। इन अव्यवस्थाओं हम लोगों को सामना करना पड़ता है। इस पर कालेज प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। जिससे सभी को लाभ मिलेगा। रुचि विश्वकर्मा -- जो भी मेधावी छात्र और छात्राएं हैं उनकी पढ़ाई में सभी महाविद्यालयों में छूट की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे वह प्रभावित होंगी और इन कोर्स की ओर इनका रुझान बढ़ेगा। इसे सभी विद्यालयों को लागू करना चाहिए। इससे लाभ मिलेगा। प्रिया --- सभी अनुदानित कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल बनाया जाए। जिससे बाहरी छात्राओं को यहां प्रवेश लेने में दिक्कत न हो। छात्रावास न होने के कारण छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि छात्रावास का निर्माण हो जाए तो सभी को राहत मिलेगी। अनामिका -------- निजी महाविद्यालयों में भी 50 प्रतिशत खाली रहती हैं सीटें रायबरेली। जिले में 73 के करीब महाविद्यालय छात्र और छात्राओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। फिर भी वहां सीटें खाली रह जाती हैं। कुछ को छोड़ दें तो बाकी में 50 प्रतिशत प्रवेश ही हो पाते हैं। यह लोग किसी तरह अपनी संख्या मेंटेन कर रहे हैं। पहली बात तो यह निजी कॉलेज बच्चों के आने पर कोई दबाव नहीं डालते हैं। सरकारी कालेज में आने पर पूरे साल की फीस एक बार में ही जमा करनी पड़ती है। पैसा न होने पर जरूरतमंद छात्र मन मसोस कर दूसरे निजी कॉलेजों का रुख कर लेते हैं। फिलहाल तो कई तरह की सुविधाओं में आगे आकर छूट देकर यह विद्यालय अपनी ओर इन छात्राओं को आसानी से मोड़ लेते हैं। फिर भी यह अपनी पूरी सीटें नहीं भर पा रहे हैं। रोजगारपरक हो स्नातक की शिक्षा रायबरेली। इंटरमीडिएट में हर वर्ष 25 से 30 हजार के करीब बच्चे उत्तीर्ण होते हैं। स्नातक पाठ्यक्रमों में पूरे जिले में सरकारी महाविद्यालयों में छह हजार निजी में करीब 34 हजार सीटें हैं। सीटें नहीं भरने से जाहिर है कि 12वीं के बाद अभिभावक और बच्चे दोनों ही रोजगार परक कोर्सेज ही करना चाहते हैं। इसीलिए यह अगली कक्षाओं में प्रवेश नहीं लेते हैं। इसकी बजाय यह अन्य कोर्सेज शुरू कर देते हैं। जिससे इनको नौकरी जल्द मिल सके। इसलिए इस परम्परागत शिक्षा को रोजगार परक बनाने की आवश्यकता है। इससे इन कोर्स की ओर लोग प्रेरित होंगे और शिक्षा के साथ ही रोजगार के लिए भी तैयार होंगे। प्रोफेशनल कोर्सेज के विकल्प अगर जनपद के कॉलेजों में प्रोफेशनल कोर्सेज के विकल्प बढ़ जाएं तो यहां के युवाओं को दूसरे शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। अगर घर के पास विकल्प मिल जाएंगे तो अभिभावक भी बाहर भेजने से बचेंगे। परंपरागत कोर्सेज पर टिके हैं कॉलेज रायबरेली। जनपद के निजी कॉलेजों में परंपरागत कोर्स की भरमार है। वह आज के समय के कोर्सेज पर फोकस नहीं कर रहे हैं। अब हर युवा बीए-एमए करने के बजाय रोजगारपरक कोर्सेज की ओर रुख कर रहा है। जबकि कॉलेजों में पुराने ढर्रे के कोर्सेज ही हैं। कॉलेज प्रबंधनों को आज के दौर और युवाओं की पसंद के पाठ‘यक्रमों पर जोर देना चाहिए। इससे उनकी सीटें भी भर सकेंगी। अभी तमाम कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटें खाली रह जाती हैं। अगर वह आधुनिक शिक्षा, रोजगारपरक और तकनीकी कोर्सेज पर फोकस करेंगे तो छात्र भी उनके कॉलेजों की ओर रुख करेंगे।
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