Digitalization of Rare Manuscripts at Rampur Raza Library Nears Completion दुनिया में कहीं भी बैठकर पढ़ सकेंगे दुर्लभ पांडुलिपियां, Rampur Hindi News - Hindustan
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दुनिया में कहीं भी बैठकर पढ़ सकेंगे दुर्लभ पांडुलिपियां

Rampur News - रामपुर रजा लाइब्रेरी में पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण अंतिम चरण में है। यहां 17,000 पांडुलिपियां और 60,000 किताबें मौजूद हैं, जिनमें हजरत अली द्वारा लिखी कुरान और दुर्लभ जामेउत तवारीख शामिल हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, रामपुरWed, 30 April 2025 04:38 AM
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दुनिया में कहीं भी बैठकर पढ़ सकेंगे दुर्लभ पांडुलिपियां

बस कुछ दिन का इंतजार और...फिर हजरत अली के हाथों से लिखी कुरान हो या दुर्लभ पांडुलिपि जामेउत तवारीख...एक क्लिक में सब आपके सामने स्क्रीन पर होंगी। जी हां, रजा लाइब्रेरी में पांडुलिपियों के डिजिटलाइजेशन का काम अंतिम चरण में है। इन्हें बोर्ड की स्वीकृति के बाद बेवसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। विश्व प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी के किताबी खजाने में 17 हजार पांडुलिपियां और 60 हजार किताबें हैं। इनमें हजरत अली के हाथ से हिरन की खाल पर लिखी कुरआन है तो मुगलों की हिस्ट्री को दर्शाती जामेउत तवारीख़, रानी केतकी की कहानी समेत तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां हैं। जिन्हें देखने और शोध कार्य के लिए दुनिया भर से स्कॉलर यहां आते हैं। अब जब डिजिटल युग चल रहा है, तो लाइब्रेरी ने भी खुद को वक्त के साथ कदमताल करते हुए अपग्रेड किया है। ऐसे में यहां उपलब्ध पांडुलिपियों की डिजिटाइजेशन का कार्य कराया जा रहा है। डिजिटाइजेशन का कार्य पूरा होने के बाद इसे पोर्टल पर डाला जाएगा। ताकि दुनिया भर के लोग इन पांडुलिपियों को देख सकें और शोध कार्य में इसका इस्तेमाल कर सकें।

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लाइब्रेरी में संरक्षित है दुर्लभ पवित्र कुरआन

रामपुर रजा लाइब्रेरी के अरबी पांडुलिपियों के संग्रह में सातवीं शताब्दी का प्राचीन एवं दुर्लभ पवित्र कुरआन चतुर्थ खलीफा हजरत अली द्वारा कूफी लिपि में हिरन की खाल पर हस्तलिखित है। इसकी प्रतिलिपि ईरान के सशक्त धार्मिक नेता अयातुल्लाह सैय्यद अली हुसैनी खामनई को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी ईरान यात्रा के दौरान 23 मई 2016 को भेंट की थी।

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दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हुई जामेउत तवारीख

फारसी संग्रह में सबसे प्राचीन चित्रित पाण्डुलिपि जामेउत तवारीख है जिसके रचनाकार रशीद उद्दीन फज़्लुल्लाह हैं। यह पाण्डुलिपि चौदहवीं सदी की है और इसमें कुल 81 हस्तचित्र हैं, जो मंगोल व ईरानी कला का बेहतरीन नमूना है। इस किताब की तस्वीरों को जब अंग्रेज रचनाकार परसी ब्राउन ने अपनी पुस्तक 'इंडियन पेंटिंग्स अंडर दी मुगल' में शामिल करके 1924 ई० में प्रकाशित किया तो इन चित्रों की दुनिया में बहुत प्रसिद्धि हुई।

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मंगोल के पीएम को बहुत पसंद आयी जामेउत तवारीख

पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मंगोल के दौरे पर गए थे तब संस्कृति मंत्रालय ने रामपुर रजा लाइब्रेरी में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपि जामेउत तवारीख की प्रिंट कॉपी पीएम मोदी को दी जिसे प्रधानमंत्री ने मंगोल के पीएम को भेंट किया। वहां के पीएम को जामेउत तवारीख बहुत पसंद आयी।

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यह भी जानें

-रजा लाइब्रेरी में अरबी, फारसी, संस्कृत, तुर्की, पश्तों, हिंदी, उर्दू इत्यादि भाषाओं में प्राचीन काल तथा मुगल काल की पांडुलिपियों का समृद्ध संग्रह है। जिसमें लगभग 17,000 पांडुलिपियां, लगभग 62,000 मुद्रित पुस्तकें, 150 चित्रित पांडुलिपियां समाविष्ट हैं, जिनमें 4413 चित्र छपे हैं और 205 ताड़ पत्र हस्तलिखित हैं तथा 5000 लघुचित्र तथा 3000 इस्लामिक कैलीग्राफी के नमूने भी उपलब्ध हैं।

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-दुर्लभ पांडुलिपियों समेत लाइब्रेरी में मौजूद साहित्य का डिजिटलाइजेशन हो रहा है। 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, 20 प्रतिशत रह गया है, उसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके साथ ही वेबसाइड लांच की जाएगी, जिस पर पेमेंट मोड और फ्री दो गेटवे होंगे, जहां ऑनलाइन किताब पढ़ी जा सकेंगी। पेमेंट मोड में भी बहुत कम शुल्क रखा जाएगा।

-डा. पुष्कर मिश्र, निदेशक

रामपुर रजा लाइब्रेरी

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