एक साथ बनता है चार पीढ़ियों का भोजन
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में कुछ परिवार ऐसे हैं जो संयुक्त परिवार की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। डॉ. विनोद कुमार पांडेय का परिवार चार पीढ़ियों के 32 सदस्यों के साथ एक ही छत के नीचे रहता है। सभी सुख-दुख को...
संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में आधुनिकता और भौतिकता के इस समय में संयुक्त परिवार की कल्पना करना बेमानी सा लगता है। वह भी तब जब चंद रुपयों और जमीन के लिए भाई-भाई का और पुत्र पिता की हत्या कर दे रहा है। हर बात पर परिवार में विवाद और तेजी से विखंडन होने के प्रक्रिया भी बढ़ी है। लोगों के अन्दर से रिश्ते में प्रेम और अपनत्व का भाव समाप्त हो रहा है। ऐसे में आज भी संतकबीरनगर जिले में कुछ परिवार ऐसे मिल हैं जो संयुक्त परिवार की परिकल्पना को साकार कर रहे हैं। एक दो नहीं चार पीढ़ियां न सिर्फ एक ही घर में साथ रहती है, बल्कि चूल्हा भी एक ही जलता है।
संयुक्त रूप से भोजन बनता है। सभी साथ खाते हैं। आपस में प्रेम इतना है कि सुख हो या दुख दोनों बराबर बांट लेते हैं। हम बात कर रहे हैं। जनपद के भिनखिनी निवासी डॉ. विनोद कुमार पांडेय के परिवार की। डॉ. विनोद कुमार पांडेय की चार पीढ़ियां एक साथ एक ही छत के नीचे रहती हैं। परिवार में कुल 32 सदस्य हैं। सभी का भोजन साथ ही बनता है। ऐसा भी नहीं है कि परिवार ने विकास नहीं किया है। परिवार का हर व्यक्ति आत्मनिर्भर है। घर में डाक्टर, शिक्षक, वकील, सीए तक हैं। डॉ. विनोद कुमार पांडेय बताते हैं कि उनके पिता गिरिजा शंकर पांडेय ही परिवार के मुखिया हैं। बड़े भाई महेन्द्र प्रताप पांडेय का निधन हो गया है। बड़े भाई के पुत्र सत्येन्द्र पांडेय, नरेन्द्र पांडेय और विरेन्द्र पांडेय के अलावा मेरे पुत्र डॉ. आशुतोष पांडेय, अभिषेक पांडेय, अंकुर पांडेय सभी अपने परिवार के साथ में रहते हैं। इनमें दो शिक्षक हैं। एक वकील हैं। डॉ. आशुतोष पांडेय वरिष्ठ ईएनटी सर्जन हैं। उन्होंने कहा कि हर सुख और दुख का सामना सभी मिलकर करते हैं। आपसी समन्वय बनाने से ही परिवार चलता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार रहने के कारण आने वाली पीढ़ियों में संस्कार, रिश्तों की अहमियत के साथ एकता की भावना का विकास होता है। वहीं चार पीढ़ियों के सदस्य एक साथ जिला मुख्यालय के गोलाबाजार में छापड़िया परिवार (राधेगोविन्द परिवार) भी संयुक्त परिवार की मिशाल है। यहां चार पीढ़ियों के 27 सदस्य एक साथ एक छत के नीचे रहते हैं। साथ में ही व्यवसाय भी करते हैं और हर छोटी-बड़ी खुशियों का हिस्सा बनते हैं। दुख और चुनौतियों का भी मिलकर सामना करते हैं। कोविड महामारी में व्यवसाय प्रभावित हुआ ही साथ ही महामारी की चपेट में परिवार के सदस्य आए तो सभी ने मिलकर उसका सामना किया है और संभल गए। अशोक कुमार छापड़िया बताते हैं परिवार की परिवार की मुखिया मां लीलावती देवी का हाल ही में निधन हो गया। हम पांच भाइयों का पूरा परिवार रहता है। बड़े भाई स्वर्गीय संतोष छापड़िया का भी निधन हो गया है। उनके पुत्र सुधीर और वैभव हैं। इसके अलावा पवन छापड़िया, सुशील छापड़िया और सुनील छापड़िया पूरे परिवार के साथ साथ रहते हैं। आज भी रात में भोजन सभी एक साथ करते हैं। सुनील छापड़िया बताते हैं कि परिवार के मुखिया को हमेशा समझौतावादी होना चाहिए। आपस में समन्वय बेहद जरूरी है। ---------------- कोई भी निर्णय सभी मिलकर करते हैं उन्होंने बताया कि हमारे परिवार का आधार है कि हम कोई भी निर्णय अकेले नहीं लेते सभी साथ बैठते हैं और फिर चर्चा करने के बाद निर्णय लेते हैं। यदि कोई विकास का कार्य होता है तो सभी के लिए समान होता है। सभी के दायित्व अलग-अलग हैं। हर व्यक्ति अपने दायित्वों का निर्वहन करता है। महिलाओं के भी दायित्व निर्धारित हैं। ----------------- मुखिया को हमेशा विनम्र और सहनशील होना पड़ता है परिवार के मुखिया को हमेशा विनम्र और सहनशील होना पड़ता है। कई बार देखकर आंख बंद करनी पड़ती है, कुछ बातें सुनकर भी अनसुना करना पड़ता है और चुप रहना पड़ता है। परिवार को एक बनाने की जिम्मेदारी महिलाओं के साथ पुरुषों पर अधिक रहती है। यदि भाइयों में समन्वय होगा तो कभी बिखराव नहीं होगा।
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