Farmers Struggle Due to DAP and Urea Shortage in Cooperative Societies सहकारी समितियों पर उर्वरक की किल्लत ,बाजार मे कालाबाजारी से किसान परेशान, Shamli Hindi News - Hindustan
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सहकारी समितियों पर उर्वरक की किल्लत ,बाजार मे कालाबाजारी से किसान परेशान

Shamli News - चौसाना में किसानों को पिछले एक महीने से सहकारी समितियों पर डीएपी और यूरिया नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी धान की फसल प्रभावित हो रही है। निजी दुकानदार मनमाने दामों पर उर्वरक बेच रहे हैं। किसानों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, शामलीFri, 30 May 2025 04:18 AM
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सहकारी समितियों पर उर्वरक की किल्लत ,बाजार मे कालाबाजारी से किसान परेशान

सहकारी समितियों पर डीएपी-यूरिया उर्वरक की उपलब्धता के कारण किसान परेशान हो रहे है और नीजि दुकान संचालक अपने मनमानें ढंग से उर्वरक को बेच रहे है,जिससे किसानों मे रोष व्याप्त है। सहकारी समिति चौसाना मे पिछले एक महीने से डीएपी नही है। किसानों को डीएपी के स्थान पर एनपीके दिया जा रहा है। समिति कर्मचारियों का कहना है कि एनपीके को लेने मे किसान दिक्कत महसूस करता है। चौसाना के शामली बस स्टेंड पर स्थित सहकारी समिति पर पिछले एक महीने से डीएपी नही है। जिससे किसानो के सामने धान की फसल मे दिक्कत आ रही है। किसानों का कहना है कि डीएपी के बिना फसल करना बडा मुश्किल हो जाता है।

लिक्व्डि फार्म मे आने वाली डीएपी का इस्तेमाल करना किसानो को उचित नही लगता है। वही समिति पर यूरिया की किल्लत भी किसानो को सता रही है। किसानों का आरेाप है कि नीजि दुकानदार उर्वरको को स्टॉक किए हुये और गोदामो से उर्वरक तभी दिया जाता है जब किसान कीटनाशक अथव अन्य सामान को लेने के लिये राजी हो जाता है। उर्वरक की खरीद पर अतिरिक्त बोझ किसान की जेब पर पडता है। समिति के कर्मचारी विपिन कुमार का कहना है कि एनपीके पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध है और यूरिया संभावित आज या कल तक आयेगा जिससे किसानों की कुछ समस्या दूर होगी। उर्वरको की कालाबाजारी,मशीनो मे बिका गोदामो मे स्टॉक चौसाना। दुकानदारी को चमकाने के लिये और किसानों को अधिक सामान बेचने के लिये नीजि दुकानदार उर्वरको को स्टॉक करने लगे है। जिसकी जानकारी कृषि विभाग के अधिकारियों को भी भली भांति है। दरअसल दिखावें मात्र के लिये डीएपी व यूरिया को पीओएस मशीन मे फर्जी तरीके से आधार कार्ड लगवाकर बेच दिया जाता है लेकिन वास्तक मे उर्वरक गोदामो मे लगा रहता है। जिससे एक ओर विभागीय अधिकारी पल्ला झाड देते है। क्या कहते है किसान 1- डीएपी ना तो साठी धान की रूपाई के लिये मिल सका और ना ही आगामी मौसमी फसल के लिये मिला है। पूर्व मे भी नीजि दुकानदारों ने दवाई लगाकर बेचा था और अब भी ऐसे ही खरीदना पडेगा। कमल सैनी 2-हमारी समिति दथेडा पडती है। जहॉ पर पिछले एक महीने से डीएपी के लिये चककर लगा रहे है लेकिन डीएपी नही मिल रही । धान की फसल करना मुश्किल हो गया है। रामकुमार 3-उर्वरक समिति पर फसल के दौरान मिलता ही नही है। साठी धान लगाई थी। लेकिन ना तो दथेडा समिति से डीएपी व यूरिया मिला और ना ही चौसाना मे मिला। एनपीके प्रत्येक फसल मे नही डालतेे है। विनोद चौधरी 4-डीएपी के लिये नीजि दुकानदारो का सहारा लेना पडता है। सरकारी दुकानो पर उर्वरक नही मिलता। नीजि दुकानदार जिंक के साथ उर्वरक देते है। मौहम्मद हसन 5- ठेके पर जमीन लेकर धान लगाई थी। जिसके लिये डीएपी की जरूरत पडी तो नीजि दुकानदार ने अतिरिक्त पैसे लेकर डीएपी दिया। समिति पर डीएपी नही था। ना ही यूरिया सरकारी गोदाम मे मिला। अकबर राणा 6-डीएपी की किल्लत के कारण धान के स्थान पर अगली बार किसी अन्य फसल को बोना पडेगा। डीएपी समय पर समिति पर नही मिलती। बाजार मे ब्लैक से बेची जा रही है जिस पर विभाग व प्रशासन के अधिकारी कुछ नही करते। अरविंद चौधरी खोडसमा

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