Madhav Prasad Tripathi Medical College Delays Key Histopathology and Cytopathology Services for Over Three Years साढ़े तीन साल बीता, कोशिकाओं की जांच की सुविधा ही नहीं, Siddhart-nagar Hindi News - Hindustan
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साढ़े तीन साल बीता, कोशिकाओं की जांच की सुविधा ही नहीं

Siddhart-nagar News - सिद्धार्थनगर में माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए साढ़े तीन साल हो गए हैं, लेकिन यहां हिस्ट्रोपैथोलॉजी और साइटोपैथोलॉजी सेवाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। इसके कारण मरीजों को जांच के लिए गोरखपुर...

Newswrap हिन्दुस्तान, सिद्धार्थSun, 8 June 2025 04:02 AM
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साढ़े तीन साल बीता, कोशिकाओं की जांच की सुविधा ही नहीं

सिद्धार्थनगर, निज संवाददाता। माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज को शुरू हुए साढ़े तीन साल का समय बीत गया है, लेकिन इसके सेंट्रल लैब में अब तक हिस्ट्रोपैथोलॉजी व साइटोपैथोलॉजी की सेवा शुरू नहीं हो सकी है। इन सेवाओं के शुरू न होने से कोशिकाओं की जांच की सुविधा बंद पड़ी है। कोशिकाओं की जांच होने से शरीर में होने वाली कैंसर जैसी घातक बीमारियों का पता लगाया जाता है, बावजूद मरीजों-तीमारदारों को कोशिकाओं की जांच के लिए गोरखपुर व लखनऊ का चक्कर लगाना पड़ रहा है। यह जेब पर बड़ा बोझ बना है। वहीं जांच कराने को लेकर कॉलेज प्रशासन भी लापरवाह बना है।

दरअसल, नवंबर 2021 में संयुक्त जिला चिकित्सालय को उच्चीकृत करते हुए माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया। शासन की मंशा थी कि चिकित्सालय के उच्चीकृत हो जाने के बाद मरीजों-तीमारदारों को अच्छी सेवा मिल सकेगी, लेकिन स्थानीय स्तर पर शासन की मंशा पर पानी फेरा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में सेंट्रल लैब स्थापित है। इस लैब को तीन विभाग यानी की पैथोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री व माइक्रो बायोलॉजी विभाग संचालित करते हैं। इस सेंट्रल लैब में हिस्ट्रोपैथोलॉजी व साइटोपैथोलॉजी की जांच होनी है। जिसमें शरीर के किसी भी आर्गन जैसे-गालब्लेडर, अपेंडिक्स, यूट्रस (गर्भाश्य), आंत एवं अन्य मानव अंग का ऑपरेशन करने के बाद कोशिकाओं को जांच के लिए भेजा जाता है। इन कोशिकाओं की जांच होने से बीमारी होने के कारण का पता चलता है। कई बार इन अंगों में कैंसर होने की भी संभावना रहती है। इस स्थिति में ऑपरेशन से पहले एवं ऑपरेशन के बाद कोशिकाएं कैंसर की जांच करने के लिए ली जाती हैं। यह काफी महत्वपूर्ण जांच है। यह जांच हो जाने से शुरूआती समय में ही बीमारी का पता चल जाता है, बावजूद मेडिकल कॉलेज संचालित होने के साढ़े तीन वर्ष बाद भी हिस्ट्रोपैथोलॉजी व साइटोपैथोलॉजी की जांच शुरू नहीं हो सकी है। इससे मरीजों-तीमारदारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गोरखपुर-लखनऊ का काट रहे चक्कर मेडिकल कॉलेज में कोशिकाओं की जांच न होने से मरीजों-तीमारदारों के सामने बड़ा संकट खड़ा है। इसके लिए मरीजों-तीमारदारों को गोरखपुर व लखनऊ लैब का चक्कर लगाना पड़ रहा है। यह परेशानी होने के साथ-साथ जेब पर भी बड़ा बोझ बना है। तीन प्रधानाचार्य के कार्यकाल का हाल नवंबर 2021 से मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद वर्तमान समय में तीसरे प्रधानाचार्य का कार्यकाल चल रहा है, लेकिन सेवाएं दुरुस्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले प्रधानाचार्य डॉ. सलिल कुमार श्रीवास्तव रहे। इनके जाने के बाद वर्तमान सीएमएस डॉ. एके झा बतौर प्रभारी प्रधानाचार्य लंबे समय तक रहे। वर्तमान समय में प्रो. डॉ. राजेश मोहन प्रधानाचार्य हैं। एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी कोशिका जैसी महत्वपूर्ण जांच शुरू नहीं करा सके हैं, बल्कि पहले जैसे ही हालात कॉलेज का बना है। हिस्ट्रोपैथोलॉजी व साइटोपैथोलॉजी महत्वपूर्ण जांच है। इसके उपकरण की खरीदारी व जांच की प्रक्रिया अंडर प्रासेस है। जल्दी ही जांच शुरू होने की संभावना है। डॉ. ऋचा राव, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज

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