This farmer in this district of UP is earning lakhs by cultivating vegetables सब्जियों की खेती से लाखों कमा रहा यूपी के इस जिले का यह किसान, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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सब्जियों की खेती से लाखों कमा रहा यूपी के इस जिले का यह किसान

पारम्परिक खेती से अलग सब्जियां उगाकर अमेठी के इस किसान ने अपनी तकदीर खुद लिखी। सब्जियों की मांग ज्यादा होने से उनको खूब लाभ भी मिल रहा है

Gyan Prakash हिन्दुस्तान, अमेठी प्रदीप तिवारीMon, 28 April 2025 04:30 PM
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सब्जियों की खेती से लाखों कमा रहा यूपी के इस जिले का यह किसान

परंपरागत खेती को छोड़ आधुनिक तरीके से खेती कर किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इस बात को सिद्ध किया है मुसाफिरखाना ब्लाक के भद्दौर गांव के तेज नारायण पांडेय ने। वर्ष 2000 से गोमती नदी की तराई में सब्जी की खेती कर रहे तेज नारायण आज न सिर्फ आत्मनिर्भर हैं, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।

वर्तमान में तेज नारायण लगभग ढाई हेक्टेयर भूमि पर लौकी, कद्दू, करेला, खरबूजा और तरबूज की खेती कर रहे हैं। हर दूसरे दिन वे सुलतानपुर की मंडी में करीब 20 कुंतल ताजी सब्जियां भेजते हैं। सब्जी उत्पादन से उन्हें सालाना करीब 5 से 6 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।

तकनीकी खेती बनी सफलता की कुंजी

तेज नारायण बताते हैं कि परंपरागत खेती की तुलना में तकनीक आधारित खेती में जोखिम कम और मुनाफा अधिक होता है। सिंचाई, उर्वरक और बाजार की जानकारी होने से खेती आसान और लाभदायक बन जाती है।

वर्ष 2009 में मिला गोल्ड मेडल

सब्जी उत्पादन में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2009 में भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र, वाराणसी ने तेज नारायण पांडेय को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया था।

तराई की पहचान बनी सब्जी की खेती

तेज नारायण ने ही वर्ष 2000 में गोमती नदी की तराई में सबसे पहले सब्जी की खेती शुरू की थी। उनकी सफलता से प्रेरित होकर आज दर्जनों किसान उसी क्षेत्र में सब्जियां उगा रहे हैं। अब यह क्षेत्र सब्जी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हो चुका है।

सीखने आते हैं सैकड़ों किसान

तेज नारायण से सब्जी की उन्नत खेती के तरीके सीखने हर साल आसपास के जिलों से किसान आते हैं। वह खुले दिल से सबको मार्गदर्शन देते हैं और किसानों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाते हैं। तेज नारायण पांडेय कहते हैं कि किसानी में अगर सही दिशा और तकनीक अपनाई जाए, तो खेती सिर्फ गुज़ारे का साधन नहीं, बल्कि समृद्धि का मार्ग बन सकती है।