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यूपी बोर्ड की कॉपी चेक करने में टीचरों का टोटा, जिले पूछ रहे मुख्यालय से सवाल- अब क्या करें?

  • यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटर की कॉपी चेक करने में टीचरों का टोटा ऐसा हुआ है कि जिले से अफसर बोर्ड से मार्गदर्शन मांग रहे हैं। मूल्यांकन के लिए टीचर की सेवा लेने के नियमों में बदलाव से ये संकट पैदा हुआ है।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टीम, वरिष्ठ संवाददाता, कानपुरMon, 24 March 2025 07:43 PM
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यूपी बोर्ड की कॉपी चेक करने में टीचरों का टोटा, जिले पूछ रहे मुख्यालय से सवाल- अब क्या करें?

यूपी बोर्ड की हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन बेहद सुस्त चाल से चल रहा है। कॉपियां जांचने को शिक्षकों की कमी हो गई है। मूल्यांकन का प्रशिक्षण लेने में ही 70 फीसदी शिक्षकों ने रुचि नहीं दिखाई। 35 फीसदी शिक्षक अभी तक नदारद हैं। नए परीक्षक बनाने की प्रक्रिया जटिल हो जाने से अफसरों की चिंता बढ़ गई है। कानपुर में छह केंद्रों पर 7 लाख उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन 2 अप्रैल तक पूरा करना है।

18 मार्च को प्रशिक्षण के बाद 19 मार्च से मूल्यांकन का काम शुरू हो गया। इसके लिए कुल 3551 परीक्षक बनाए गए हैं, जिसमें से 330 उप-प्रधान परीक्षक हैं। जिन्हें परीक्षक बनाया गया है, उनमें ज्यादातर अनुदानित कॉलेजों के शिक्षक हैं। इनमें अब तक केवल 2297 शिक्षक ही आए हैं। इंटर कॉलेज चुन्नीगंज, हरजिंदर नगर इंटर कॉलेज और हर सहाय जगदंबा सहाय इंटर कॉलेज को हाई स्कूल की कॉपियों का मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है। एबी इंटर कॉलेज, डीएवी इंटर कॉलेज और बीएनएसडी इंटर कॉलेज को इंटरमीडिएट की कॉपियों के लिए मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है।

अब तक की व्यवस्था में यदि दूसरे दिन परीक्षकों की कमी पूरी नहीं होती थी तो वित्तविहीन के अर्ह शिक्षकों को केमुआ 09 फॉर्म (विशेष फॉर्म) भरवा कर मूल्यांकन का कार्य सौंप दिया जाता था। वर्ष 2025 में बोर्ड ने परीक्षकों की प्रतीक्षा सूची जारी की है। इस सूची में जिनके नाम दर्ज हैं, उन्हें ही केमुआ 09 फॉर्म भरवा कर परीक्षक बना सकते हैं। प्रतीक्षा सूची वाले आने को तैयार नहीं हैं। जो आ रहे हैं, वह नियमों की बाधा के कारण परीक्षक नहीं बनाए जा पा रहे हैं।

वरिष्ठ शिक्षक हरिश्चंद्र दीक्षित का कहना है कि जिन शिक्षकों की ड्यूटी मूल्यांकन में है, उन्हें काम करना चाहिए। अनुदानित के शिक्षक इसमें कम रुचि लेते हैं जो ठीक नहीं है। यदि वे उपलब्ध नहीं हैं तो वित्तविहीन के अर्हता व मानक पूरे करने वाले शिक्षकों को पूर्व की भांति मूल्यांकन करने दें। मूल्यांकन केंद्रों से लगातार शिक्षकों को फोन कर बुलाया जा रहा है। उनसे प्रधानाचार्यों के माध्यम से स्पष्टीकरण भी मांगा जा रहा है। लेकिन वे रुचि नहीं ले रहे हैं। प्रतीक्षा सूची का भी यही हाल है। वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों को छुट्टी नहीं मिल पा रही है या वे अब उस विद्यालय में हैं नहीं। ऐसे में परीक्षकों का टोटा बना हुआ है।

जिला विद्यालय निरीक्षक अरुण कुमार का कहना है कि अब तक 3,5,3922 उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो चुका है। 3,55,992 कॉपियों का मूल्यांकन बचा है। जो शिक्षक अनुुपस्थित हैं, उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। प्रतीक्षा सूची वाले शिक्षकों को बुलाया जा रहा है। बोर्ड से भी निर्देश मांगे गए हैं। अरुण कुमार ने भरोसा जताया कि समय से मूल्यांकन पूरा करा लिया जाएगा।