मां को ढूंढने निकले लापता बच्चे सालभर बाद प्रयागराज में मिले, तलाश और इंतजार में पिता की मौत
बचपन में मां का साया छूटने से व्याकुल भाई-बहन एक साल पहले भटकते हुए दौसा राजस्थान से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंच गए। मां की याद व तलाश में बाल संरक्षण गृह प्रयागराज में रहे। एक साल बाद दौसा पुलिस ने गुरुवार को दोनों बच्चों को बरामद कर लिया।

बचपन में मां का साया छूटने से व्याकुल भाई-बहन एक साल पहले भटकते हुए दौसा राजस्थान से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज पहुंच गए। मां की याद व तलाश में बाल संरक्षण गृह प्रयागराज में रहे। एक साल बाद दौसा पुलिस ने गुरुवार को दोनों बच्चों को बरामद तो कर लिया, लेकिन घर लौटने से पहले ही पिता का निधन होने से बच्चे फिर से अनाथ हो गए। दोनों बच्चों को दौसा पुलिस ने वहां के बाल संरक्षण गृह में रखा है। दौसा जिले के रतनलाल देवरा का दस वर्षीय बेटा व सात वर्षीय बेटी 29 मई 2024 की शाम लगभग चार बजे घर से लापता हो गए थे। दोनों बच्चों की मां का पहले ही निधन हो गया था।
पिता के मजदूरी पर जाने के बाद दोनों बच्चे अपनी मां को तलाश करते हुए किसी ट्रेन में बैठकर प्रयागराग जंक्शन पहुंच गए। जंक्शन से जीआरपी ने दोनों बच्चों को बाल संरक्षण गृह भेज दिया, लेकिन दोनों अपना पता ठिकाना नहीं बता सके। उधर, छह जून 2024 को पिता रतनलाल देवरा ने दौसा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। नाबालिग बच्चों की बरामदगी के लिए विशेष टीम का गठन किया गया।
टीम ने विभिन्न वेबसाइट, गैर-सरकारी संगठनों और बाल कल्याण समितियों से संपर्क किया। बच्चों की तलाश जयपुर, अलवर, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में की गई। अथक प्रयासों व सूचना संकलन के बाद मानव तस्करी विरोधी यूनिट दौसा के प्रभारी दीपक कुमार शर्मा के नेतृत्व में गुरुवार 12 जून को बच्चों को प्रयागराज के बाल संरक्षण गृह से बरामद किया।
लापता होने के एक महीने बाद पिता का निधन
दोनों बच्चों के लापता होने पर दौसा जिला पुलिस ने 20 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। एएचटीयू दौसा प्रभारी दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि दोनों बच्चों के लापता होने के एक महीने बाद ही उनके पिता रतनलाल देवरा की बीमारी व सदमे की वजह से मौत हो गई थी। दोनों बच्चों को बाल संरक्षण गृह दौसा में रखा गया है। नाते-रिश्तेदारों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है।