बोले काशी - बिना जांच न निकालें रक्त, अपडेट हो ई-रक्तकोष एप
Varanasi News - वाराणसी में रक्तदान को लेकर कई समस्याओं पर चर्चा हुई। सेवाव्रतियों ने बिना जांच रक्तदान को खतरनाक बताया। ई-रक्तकोष एप की जानकारी अद्यतन नहीं होने और ब्लड बैंकों के सीयूजी नंबर ना होने की भी शिकायतें...
वाराणसी। रक्त किसी लैब में बनाया नहीं जा सकता। इसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित जरूर किया जा सकता है। संकट में फंसा प्राण बचाने के लिए रक्तदान मानवता का अपरिहार्य हिस्सा बन चुका है। रक्तदान के लिए शहर में कई संकल्पव्रती हैं। वे अपने आप में संस्था हैं। उनसे सेवाव्रतियों की जमात जुड़ी है। रक्तदान को प्रामाणिक बनाने के लिए उनका मानना है कि बिना जांच शरीर से ब्लड न निकाला जाए। ब्लड बैंक के उपकरण कैंपों में जवाब न दें। साथ ही, ई-रक्त कोष अपडेट होता रहे। जून की 14 तारीख को हर साल रक्तदाता दिवस मनाया जाता है ताकि जनसामान्य रक्तदान की अहमियत समझें, इसके लिए अधिक से अधिक लोग प्रेरित हों।
इस महत्वपूर्ण दिवस के परिप्रेक्ष्य में ‘हिन्दुस्तान के जगतगंज स्थित कार्यालय में जुटे रक्तदाताओं, उत्प्रेरकों ने चुनौतियां साझा कीं, उपयोगी सुझाव भी दिए। ये सेवाव्रती व्यक्तिगत तो संस्थाओं के माध्यम से किसी जरूरतमंद के लिए 24 घंटे तत्पर रहते हैं लेकिन उन्हें भी प्राय: समय से सूचना न मिलने की दिक्कत झेलनी पड़ती है। वे जगह-जगह रक्तदान के लिए शिविर लगाते हैं मगर ब्लड बैंक की टीम रक्तदाताओं की प्रॉपर जांच किए बिना ब्लड ले लेती हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें किसी न किसी कारण से दूषित रक्त चढ़ाए जाने से जरूरतमंद की जान सांसत में पड़ गई। रिकॉर्डधारी रक्तदाता राजेश कुमार गुप्ता के साथ नीरज गुप्ता ने एक व्यावहारिक किंतु गंभीर समस्या का उल्लेख किया। बोले, संस्थाएं अक्सर रक्तदान के लिए कैंप लगाती हैं। वहां जब ब्लड बैंक की टीम आती है तो कभी उनकी बीपी, हिमोग्लोबिन तो वजन जांच की मशीनें खराब मिलती हैं। इससे रक्तदाताओं की समुचित जांच नहीं हो पाती। प्रदीप इसरानी ने कहा कि बिना जांच के रक्त लेने से रक्तदाता और जिसे रक्त चढ़ता है, दोनों को खतरा हो सकता है। जो भी बैंक रक्तदान के लिए आते हैं उनके पास जरूरी जांच की सभी मशीनें होनी चाहिए। रोहित कुमार साहनी, विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि कैंप में कार्यशील जांच मशीनें अनिवार्य रूप से रहनी चाहिए। सुदीप महेंद्र ने कहा कि कई बार निजी अस्पताल अपने ही ब्लड बैंक से रक्त लेने पर जोर देते हैं। ऐसे में मरीज को परेशानी हो सकती है। इसके लिए नियम लागू होना चाहिए कि जहां से भी रक्त लाएं, उसकी जांच के बाद ही मरीज को चढ़ाया जाए। ई-रक्तकोष एप अपडेट नहीं ई-रक्तकोष एप अपडेट न होने से लोगों को रक्त की उपलब्धता की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। राजेश कुमार गुप्ता ने कहा कि एप के माध्यम से सभी बैंकों में रक्त की उपलब्धता की जानकारी मिलती रहे तो लोगों की मदद करने में सहूलियत होगी। कई बार बैंक में कौन-सा रक्त ग्रुप उपलब्ध है, इसकी जानकारी के लिए परेशान होना पड़ता है। जब ऑनलाइन सूचना की व्यवस्था है तो इसे अपडेट करते रहना चाहिए। प्रदीप इसरानी ने कहा कि अपडेट होने के साथ एप की मॉनिटरिंग भी होती रहनी चाहिए। ब्लड बैंकों का जारी हो सीयूजी नंबर ब्लड बैंकों का सीयूजी नंबर नहीं है। ऐसे में रक्त की जानकारी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। ब्लड बैंकों का सीयूजी नंबर जारी होना चाहिए। डॉ. सौरभ मौर्या, अमित कुमार गुजराती ने कहा कि ब्लड बैंकों में अलग-अलग शिफ्टों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है। उन सबका नंबर संस्थाओं के पास भी नहीं होता। कई बार शिफ्ट बदलने के बाद कर्मचारी अपनी व्यस्तता के कारण फोन भी नहीं उठा पाते। ऐसे में ब्लड बैंक का सीयूजी नंबर होगा तो लोग आसानी सूचना ले सकेंगे। अबु हासीम, कुलदीप कन्नौजिया ने कहा कि सीयूजी नंबर जारी होने के साथ चौराहों पर भी पोस्टर लगाए जाएं। इससे जरूरतमंदों को सहूलियत होगी। कई बार नहीं मिलता रिफ्रेशमेंट विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि रक्तदान के बाद रक्तदाता के लिए रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था होती है, लेकिन कई बार ब्लड बैंक की ओर से व्यवस्था नहीं होती। इससे लोगों के परेशानी हो सकती है। रोहित साहनी ने कहा कि रक्तदान कराने वाली संस्थाएं स्वयं रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था करती हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी अस्पतालों और ब्लड बैंकों की भी है। अभिनव पाल ने कहा कि रक्तदान के बाद अगर व्यक्ति बिना कुछ खाए-पीए निकलता है तो उसे चक्कर आदि की समस्या हो सकती है। चलते समय वह गिर गया और चोटिल हो गया तो समस्या बढ़ सकती हैं। ऐसे में रक्तदाताओं के लिए रिफ्रेशमेंट का इंतजाम अनिवार्य रूप से होना चाहिए। जरूरत के अनुसार ट्रांसफर हो ब्लड अमित कुमार गुजराती ने ध्यान दिलाया कि कहा कि कई बार किसी बैंक में ब्लड की उपलब्धता ज्यादा होती है जबकि दूसरे अस्पताल में जरूरत के अनुसार रक्त उपलब्ध नहीं होता। उस स्थिति में ब्लड के एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर की व्यवस्था होनी चाहिए। विनय कुमार गुप्ताने कहा कि जरूरत के अनुसार ब्लड की उपलब्धता होने से मरीजों को परेशानी नहीं होगी। कई बार अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है। सुदीप महेंद्र बोले, कम से कम सरकारी अस्पतालों में तो नियम होना ही चाहिए कि अगर मरीज बीएचयू में भर्ती है और कबीरचौरा अस्पताल में रक्त उपलब्ध है तो उसे दिया जाए। इससे मरीजों की जान बचाई जा सकेगी। कई बार समय पर रक्त न मिलने से मरीज की हालत बिगड़ जाती है। एसडीपी मशीन के एक्सपर्ट नहीं विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि बीएचयू और कबीरचौरा अस्पताल में एसडीपी मशीन तो है लेकिन पर्याप्त एक्सपर्ट नहीं हैं। बताया कि बीएचूय अस्पताल में एसडीपी की तीन मशीनें हैं, लेकिन एक्सपर्ट एक ही हैं। रोहित कुमार साहनी ने कहा कि बीएचयू में दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसे में मशीनें के अनुसार एक्सपर्ट होने चाहिए। अमित गुजराती ने ध्यान दिलाया कि कबीरचौरा अस्पताल में सीमित समय तक जांच होने से जरूरतमंद लोगों को परेशानी होती है। वन डोनर कार्ड की पॉलिसी लागू हो राजेश कुमार गुप्ता, नीरज पारिख ने कहा कि सरकार ‘वन नेशन-वन इलेक्शन की तैयारी कर रही है। वन राशन कार्ड पर अनाज वितरण हो रहा है। जबकि जीवन के लिए रक्त सबसे जरूरी है। इसलिए वन डोनर कार्ड पॉलिसी भी लागू होनी चाहिए। कई बार जिस अस्पताल में रक्तदान करो, वहीं रक्त मिल पाता है। इससे जरूरत के समय परेशानी होती है।वन डोनर कार्ड के जरिए उसे किसी भी ब्लड बैंक से जरूरत के ग्रुप का रक्त मिल जाएगा। अबु हासिम ने कहा कि वन डोनर कार्ड सभी ब्लड बैंक और अस्पतालों में मान्य होना चाहिए। तत्काल जरूरत तो ब्लड आधार कार्ड पर मिले विनय कुमार गुप्ता, सुदीप महेंद्र ने कहा कि तत्काल जरूरत पड़ने पर आधार कार्ड जमा कर जरूरतमंद को रक्त देना चाहिए। फिर जब वह डोनर लेकर आए तो उसका कार्ड वापस करने की व्यवस्था होनी चाहिए। डॉ. सौरभ मौर्या ने कहा कि इमरजेंसी में डोनर खोजने और ब्लड ग्रुप मिलने की समस्या आती है। इससे कई बार लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है। इसे देखते हुए आधार कार्ड लेकर रक्त देने की व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूली बच्चों को करें जागरूक डॉ. सौरभ मौर्या, अमित कुमार गुजराती के मुताबिक रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन अभी पर्याप्त नहीं है। प्रथम रक्तदाता की कमी है। इसका सबसे बड़ा कारण, नई पीढ़ी में जागरूकता नहीं है। अमित कुमार गुजराती, प्रदीप इसरानी ने कहा कि बच्चों को बचपन में जो बातें सिखाई जाती हैं, उन्हें वे पूरी जिंदगी याद रखते हैं। इस मनोविज्ञान के आधार पर हमें बेसिक स्कूलों में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। बच्चों को शुरुआती शिक्षा के दौरान बताना चाहिए कि 18 वर्ष की आयु में रक्तदान जरूर करें। रोहित साहनी ने कहा कि शादी की सालगिरह, जन्मदिन या किसी खास मौके पर रक्तदान को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे किसी जररूतमंद की जान बचेगी। बोले सेवाव्रती रक्तदान शिविरों में अक्सर ब्लड बैंक की टीम के जांच उपकरण खराब मिलते हैं। इससे उद्देश्य पूरा नहीं होता। - राजेश कुमार गुप्ता अस्पतालों में वन डोनर कार्ड लागू होना चाहिए। इससे जरूरतमंद को समय पर अपेक्षित ग्रुप का ब्लड मिल सकेगा। - नीरज पारिख तत्काल जरूरत पर आधार कार्ड जमा कर जरूरतमंद को रक्त देने की व्यवस्था होनी चाहिए। - डॉ. सौरभ मौर्या ई-रक्तकोष एप अपडेट न होने से लोगों को रक्त उपलब्धता की सही जानकारी नहीं मिल पाती है। - अमित कुमार गुजराती ब्लड बैंकों का सीयूजी नंबर सार्वजनिक होना चाहिए। कर्मचारियों की शिफ्ट बदलने से सूचना लेने में परेशानी होती है। -प्रदीप इसरानी बैंकों में रक्त ट्रांसफर करने की व्यवस्था हो। किसी ब्लड बैंक में अधिकता है तो उसे दूसरे में ट्रांसफर किया जाए। - रोहित कुमार साहनी कई बार ब्लड बैंक वाले रिफ्रेशमेंट नहीं देते। रक्तदान के बाद जूस न पीने से रक्तदाता को परेशानी हो सकती है। - अबु हासिम स्कूलों में शुरुआत से बच्चों को रक्तदान के प्रति जागरूक किया जाए तो इसे रक्त की कमी नहीं होगी। - कुलदीप कन्नौजिया सभी ब्लड बैंकों का सीयूजी नंबर सार्वजनिक होना चाहिए। ताकि लोग आसानी से जानकारी ले सकें। - अभिनव पाल सुझाव 1- ई-रक्तकोष एप हर दिन अपडेट होना चाहिए। किस बैंक में कितनी और किस ग्रुप के ब्लड की उपलब्धता है, इसकी जानकारी मिलनी चाहिए। उसकी मॉनिटरिंग भी हो। 2- ब्लड बैंकों के सीयूजी नंबर सार्वजनिक चाहिए। चौराहों पर इसकी होर्डिंग भी लगनी चाहिए ताकि इमरजेंसी में लोग जानकारी प्राप्त कर सकें। 3- कैंप में रक्तदान से पहले रक्तदाता की जांच अनिवार्य होनी चाहिए। बिना जांच के रक्तदान नहीं कराना चाहिए। कैंप में जांच मशीनें होनी चाहिए। 4- वन डोनर कार्ड पॉलिसी लागू की जाए। कोई कही रक्तदान करे तो उसे जरूरत के अनुसार दूसरे अस्पताल में रक्त मिल जाए। इससे जरूरतमंद की मदद आसान होगी। 5-रक्तदान के बाद रिफ्रेशमेंट में किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए। रक्तदाताओं को रिफ्रेशमेंट मिलना चाहिए ताकि उन्हें कोई समस्या न हो। शिकायतें 1- ई-रक्तकोष एप पर ब्लड बैंकों की जानकारियां अपडेट नहीं हो रही हैं। इससे लोगों के रक्त उपलब्धता की सही जानकारी नहीं मिल पाती। 2- ब्लड बैंकों का सीयूजी नंबर नहीं होता। वहां अलग-अलग शिफ्ट में काम होता है। ऐसे में सूचनाएं आदान-प्रदान करने में समस्या होती है। 3- अक्सर रक्तदान के समय ब्लड बैंक की टीम हीमोग्लोबिन, बीपी, वजन आदि की जांच नहीं करती। कई ब्लड बैंक की मशीनें खराब रहती हैं। 4- वन डोनर कार्ड की व्यवस्था नहीं लागू हो रही है। अस्पतालों और ब्लड बैंकों में इसकी मान्यता नहीं होने से ब्लड मिलने में दिक्कत होती है। 5- कई बार ब्लड बैंक रक्तदान के बाद डोनर को रिफ्रेशमेंट नहीं देते हैं। ऐसे में डोनर को सेहत संबधी परेशानी हो सकती है। बोले जिम्मेदार पूरी जांच के बाद लेते हैं ब्लड आईएमएस में बीपी, हिमोग्लोबिन, वजन जांच के बाद ही रक्त लिया जाता है। रक्तदाताओं और जिस मरीज को रक्त चढ़े, उसे समस्या न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है। - डॉ. आशुतोष सिंह ब्लड सेंटर, आईएमएस बीएचयू ब्लड बैंक,
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