बोले काशी- बुनियादी दिक्कतों से बेजार, आढ़तिया और दुकानदार
Varanasi News - वाराणसी के लमही सब्जी मंडी के दुकानदारों और किसानों ने स्थायी मंडी के लिए जमीन की मांग की है। उन्हें पेयजल, सफाई, बिजली और शौचालय की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कई बार अधिकारियों से गुहार...
वाराणसी। वर्षों से स्थायी मंडी के लिए जमीन की मांग हो रही है। हम दूसरी मंडियों के दुकानदारों की तरह सरकारी शुल्क देने को तैयार हैं। मगर स्थायी ठौर दिलाने में न जनप्रतिनिधियों ने रुचि ली, न ही अधिकारियों ने सहानुभूति दिखाई है। दर्जनों बार उन्हें पीड़ा सुना चुके हैं। हम निजी जमीन पर दुकानें लगाने को विवश हैं। यहां पेयजल-सफाई, बिजली और गंदा पानी जैसी समस्याएं मुंह बाए रहती हैं। अब इस माहौल की आदत बन गई है-यह दर्द है लमही सब्जी मंडी के आढ़तियों और दुकानदारों का। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही में सब्जी मंडी 18 वर्ष पहले लगनी शुरू हुई।
उसके पहले यह पड़ोस के मझीठिया गांव में लगती थी। किसान फुटकर सब्जी मंडी समिति आढ़तियों और फुटकर विक्रेताओं का प्रतिनिधित्व करती है। समिति के पदाधिकारियों और सदस्यों ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि रोजी-रोटी का सवाल सबसे बड़ा है। हमारे परिवारों का यही सहारा है। सैकड़ों किसानों के जीविकोपार्जन का माध्यम भी लेकिन स्थायी मंडी नहीं होने से अनिश्चितता है। इस माहौल में व्यापार प्रभावित हो रहा है। किसान फुटकर सब्जी मंडी समिति के अध्यक्ष गिरिजाशंकर सिंह यादव ने कहा कि मंडी निजी जमीन पर है। इससे हमेशा चिंता रहती है कि कब इसे खाली करने को कह दिया जाए। भूमिस्वामी हर साल किराया बढ़ा देता है। हमने कई बार मंत्रियों, विधायकों और उच्चाधिकारियों से स्थायी जगह देने की गुहार लगाई लेकिन आज तक नतीजा सिफर है। वाराणसी-आजमगढ़ मार्ग पर स्थित लमही सब्जी मंडी के पास बेलवा बाबा मंदिर है। मंडी से आगे मुंशी प्रेमचंद का निवास और उनसे जुड़े अन्य भवन हैं। यहां साहित्यकारों, कवियों और पर्यटकों का भी आना-जाना लगा रहता है। मंडी में फुटकर दुकानें ज्यादा हैं, थोक विक्रेता भी खासे हैं। इससे सटे मोहल्ले नवशहरी इलाके में आते हैं। लिहाजा, यहां अधिकारियों-कर्मचारियों, व्यापारियों और दूसरे लोगों ने मकान बनवा लिए हैं। पीने का पानी न ही सफाई सब्जी मंडी में सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है। दुकानदारों ने आपस में सहयोग करके एक हैंडपंप लगवाया था लेकिन जलस्तर नीचे जाने से वह बेकार हो गया है। पेयजल का दूसरा कोई माध्यम नहीं है। बाहर से बोतलबंद पानी मंगाना पड़ता है। नगर निगम की सीमा में आए इस नवशहरी इलाके में सफाई की समस्या भी गंभीर है। बिजली कनेक्शन न होने से बैट्री या चार्जिंग सिस्टम से भोर में लाइटें जलानी पड़ती हैं। चोरी की वारदातें भी यहां होती हैं। मंडी परिसर को रोशन करने के लिए स्ट्रीट लाइटों की दरकार है। बारिश के बाद थम जाती है ‘रफ्तार मंडी समिति के उपाध्यक्ष रामजी पाल ने बताया कि सब्जी मंडी में बारिश का समय कठिनाई भरा होता है। पूरे परिसर में पानी भर जाता है। पानी में होकर दुकानदार, किसान और ग्राहक गुजरते हैं। पानी सूखता है तो कई दिन तक कीचड़ लगा रहता है। यह स्थिति संक्रामक बीमारियों को भी दावत देती है। इसका असर व्यापार पर पड़ता है। दुकानदारों ने कहा कि वर्षों से व्याप्त इस समस्या के प्रति जिम्मेदारों का ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। कहां बैठें किसान, शौचालय की भी दरकार सब्जी बेचने आए किसान गुलाब पटेल, हरिराम, किशन आदि ने कहा कि सब्जी मंडी में आसपास के गांवों समेत सीमावर्ती इलाकों के भी किसान रोज भोर में सब्जी लेकर आते हैं लेकिन यहां बैठने की जगह नहीं है। वहीं, शौचालय नहीं होने से दुकानदारों, किसानों को परेशानी होती है। सब्जी खरीदने आईं महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मंडी के बाहर यूरिनल लगा है लेकिन उसकी नियमित सफाई नहीं होती है। खूब मिला है आश्वासन लमही मंडी में आसपास के तकरीबन दो दर्जन गांवों के लोग व्यापार करते हैं। वे देर रात घर से मंडी के लिए चल देते हैं। उनकी दिनचर्या अलसुबह शुरू हो जाती है। किसानों से सब्जी खरीदने, फिर उसे छोटे दुकानदारों, ग्राहकों को बेचने के बाद हिसाब-किताब करने में दोपहर हो जाती है। बचा समय परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों को देते हैं। सब्जी विक्रेता रामसागर यादव, शूलचंद्र सोनकर, लल्लू पटेल, विश्वनाथ जायसवाल, अनिल पटेल, रामधनी मौर्य, पिंटू पटेल, भोला गुप्ता, ज्वाला सिंह, गुल्ली पटेल, पप्पू यादव, सागर यादव, संतोष पटेल, कल्लू सोनकर, संतोष गुप्ता, अशोक यादव, चन्नर यादव, अनिल कुमार आदि का कहना है कि मंडी में व्याप्त दुर्व्यवस्था दूर करने के लिए हमने कई बार जिम्मेदारों को ज्ञापन सौंपा। उनसे आश्वासन भी मिला लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जनहित के मुद्दों पर इतनी उदासीनता ठीक नहीं है। किसान और हम दुकानदार भी समाज के अंग हैं तो दोहरा व्यवहार क्यों किया जाता है। वाराणसी-जौनपुर से आती हैं ताजी सब्जियां मंडी समिति के महामंत्री रामचंद्र मौर्य के अनुसार लमही सब्जी मंडी में ताजी हरी सब्जियां प्रचुरता से मिलती हैं। यहां पहड़िया, चंदुआ सट्टी, पंचक्रोशी से आलू-प्याज आदि सब्जियां आती हैं। फकीरपुर, प्रेमनगर, बावन बीघा, धरसौना, चोलापुर, दानगंज, मोहांव के अलावा सीमावर्ती जौनपुर जिले के चंदवक, मोढ़ैला समेत अन्य जगहों से भी किसान सब्जी बेचने आते हैं। मंडी से सब्जी खरीदकर छोटे दुकानदार गांव-कस्बों के चट्टी चौराहों पर बेचते हैं। भोर से पूर्वाह्न तक यहां अच्छी-खासी भीड़ रहती है। यह गहमागहमी दोपहर बाद खत्म हो जाती है। 200 दुकानदार, रोज आते हैं 1200 किसान करीब ढाई बीघे जमीन पर अवस्थित सब्जी मंडी में आढ़ती और फड़िया की संख्या लगभग 200 है। यहां सीजन के हिसाब से 600 से 1200 किसान प्रतिदिन सब्जी बेचने आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक मंडी से प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख रुपये का कारोबार होता है। यह मंडी गर्मी के दिनों में भोर में चार बजे खुल जाती है और दोपहर करीब 12 बजे तक चलती है। वहीं, जाड़े के मौसम में भोर में तीन बजे से मंडी शुरू हो जाती है, दोपहर दो बजे तक सब्जियों की खरीद-बिक्री चलती रहती है। मंडी होने से ‘नवशहरियों को राहत लमही के आसपास कई नई कॉलोनियां आबाद हो गई हैं। यह इलाका नवशहरी कहा जाता है। उन कॉलोनियों के लोगों को सब्जी खरीदने पांडेयपुर या अन्य जगहों पर नहीं जाना पड़ता। उन्हें वाजिब कीमतों में लमही मंडी में ताजी सीजनल सब्जियां मिल जाती हैं। गर्मी की गोभी से लेकर अन्य बेमौसमी सब्जियां भी बहुतायत में उपलब्ध हैं। सुबह ग्राहकों की खासी भीड़ होती है। कई बार बड़ी संख्या में गाड़ियां खड़ी होने से वाराणसी-आजमगढ़ से लमही जाने वाले मार्ग पर जाम के हालात बन जाते हैं। सुझाव - अगर जिला प्रशासन, मंडी परिषद या नगर निगम स्थायी जगह दे तो सब्जी मंडी का व्यापार बढ़ेगा। इसका फायदा दुकानदारों के साथ किसानों को भी होगा। - मंडी की बुनियादी दिक्कतें दूर करना समय की मांग है। इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों को गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। - दुकानदारों-किसानों की सहूलियत के लिए कम से कम एक शौचालय और पेयजल के साथ बैठने के लिए जगह की व्यवस्था होनी चाहिए। - सुरक्षा के लिए मंडी के बाहर मार्ग पर सीसी कैमरे लगवाए जाएं तो चोरी की वारदात रूकेंगी। इसकी मांग भी कई बार की गई है। - निजी जमीन पर किसान फुटकर मंडी समिति पंजीकृत है। इसे जरूरी बुनियादी सुविधाएं भी देनी चाहिए। शिकायतें - कई बार मांग के बावजूद मंडी के लिए जमीन नहीं मिली। इसकी चिंता न तो अफसरों को है और न ही जनप्रतिनिधियों को। - निजी जमीन होने से हमेशा मंडी छिनने का डर रहता है कि कब भूमि स्वामी खाली करने को कह दें। ऐसी स्थिति में आढ़तिया और दुकान क्या करेंगे, यह बड़ा सवाल है। - दूरदराज से आए किसानों को बैठने के लिए मंडी परिसर में समुचित जगह नहीं है। पीने के पानी के लिए भी परेशान होना पड़ता है। - न्यूनतम बुनियादी जरूरतों को पूरा न किया जाना संवेदनहीनता को दर्शाता है। पेयजल, शौचालय जैसी दिक्कतें वर्षों से बनी हुई हैं। - यह इलाका नगर निगम की सीमा में आ गया है। फिर भी नियमित सफाई और कूड़ा उठान नहीं होता है। इससे बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। हमारी सुनें सरकार... सब्जी मंडी के लिए जमीन सबसे बड़ी मांग है। इस सम्बंध में कई बार जनप्रतिनिधियों, अफसरों से बात हुई पर नतीजा नहीं निकला। - गिरिजाशंकर सिंह यादव मंडी में पेयजल, सफाई, शौचालय की गंभीर समस्याएं हैं। इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। यह स्थिति ठीक नहीं है। - रामजी पाल सरकार मंडी के लिए जमीन दे तो हम निर्धारित शुल्क देने को तैयार हैं। इस दिशा में ठोस पहल होनी चाहिए ताकि हमें राहत मिले। - रामचंद्र मौर्य मंडी में एक हैंडपंप कई दिनों से खराब पड़ा है। भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या गंभीर है। दुकान से पानी मंगाना पड़ता है। - अमित सोनकर ‘टिंकू करीब 16 वर्ष पहले सब्जी मंडी लमही में शिफ्ट हुई लेकिन मंडी के आसपास बुनियादी सुविधाओं में इजाफा नहीं हुआ। - अनिल गुप्ता बाहर से सब्जी बेचने आए किसानों को बैठने की जगह मिलनी चाहिए। वे जमीन पर बैठकर सुस्ताते हैं। - कल्लू सोनकर नियमित सफाई और उठान न होने से कूड़े से दुर्गन्ध उठती रहती है।कई बार यहां बैठना तक कठिन हो जाता है। - अशोक यादव बारिश के दिनों में गंदे पानी से होकर गुजरना मजबूरी बन जाती है। कीचड़ से उठने वाली दुर्गन्ध से परेशानी होती है। - चन्नर यादव सब्जी मंडी निजी जमीन पर होने से मन में चिंता रहती है कि कब यहां से हट जाएं। इसका समाधान स्थायी जगह से ही होगा। - दिलीप जायसवाल लमही ऐतिहासिक स्थल है। यहां अन्य सुविधाएं बढ़ाने के साथ मंडी के विकास पर भी जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए। - संतोष गुप्ता बरसात में पानी निकासी के प्रबंध हों तो समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। बीमारियां नहीं फैलेंगी। हमें राहत मिलेगी। - विजेन्द्र पाल मंडी में शौचालय बनाने से दुकानदारों, किसानों और ग्राहकों को काफी राहत मिलेगी। इस सम्बंध में जिम्मेदारों का ध्यान अपेक्षित है। - गुड्डू यादव बुनियादी समस्याएं दूर करने की ठोस पहल होनी चाहिए। यह अधिकारी-जनप्रतिनिधि कर सकते हैं। हमारी मांग अनसुनी न की जाए। - प्रदीप सोनकर भोर से दोपहर तक हम भीषण गर्मी में पानी को तरसते हैं। बाहर से पानी न मंगाएं तो गला न तर हो। बाहर के लोगों को पानी नहीं मिलता। - वीरेन्द्र सोनकर सब्जी मंडी में रोशनी का इंतजाम होने चाहिए। भोर में बैट्री आदि के सहारे लाइटें जलानी पड़ती हैं। इससे व्यापार में दिक्कत होती है। - विशाल मंडी के बाहर यूरीनल की नियमित सफाई नहीं होती। उसकी दुर्गंध दुकानदारों-राहगीरों की परेशानी का सबब है। - कैलाश सोनकर
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