आईआईटी में अब बीटेक सेकेंड मेजर, माइनर के भी कोर्स
Varanasi News - आईआईटी बीएचयू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत पाठ्यक्रमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसमें बीटेक माइनर और बीटेक सेकेंड मेजर जैसी नई डिग्रियां शामिल हैं। छात्र अब मल्टिपल एग्जिट की सुविधा का...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। आईआईटी बीएचयू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आधार पर पाठ्यक्रमों में जरूरी बदलाव किए हैं। इसके साथ ही दो नई डिग्रियां बीटेक माइनर और बीटेक सेकेंड मेजर भी शुरू की गई है। छात्रों को कोर्स के दौरान मल्टिपल एग्जिट की सुविधा भी दी गई है। इसके साथ ही पहले वर्ष के बाद बीटेक में शाखा परिवर्तन की सुविधा अब बंद कर दी गई है। सभी पाठ्यक्रम इसी सत्र से लागू हो जाएंगे। आईआईटी बीएचयू के छात्रों के पास सत्र 2025-26 से चौथे सेमेस्टर के अंत में पांच शैक्षणिक विकल्प होंगे, जो मेरिट और पसंद के आधार पर तय होंगे।
इनमें अपनी मूल शाखा से सामान्य बीटेक डिग्री, अपने विषय में एक अतिरिक्त स्ट्रीम लेकर बीटेक ऑनर्स डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा छात्र किसी अन्य विषय में माइनर के रूप में पांचवें सेमेस्टर से 4 से 6 विषय की पढ़ाई कर सकते हैं। बीटेक सेकेंड मेजर में छात्र अपनी शाखा के साथ किसी अन्य शाखा में 10 सेमेस्टर में कार्यक्रम पूरा कर सकते हैं। साथ ही आईडीडी के अंतर्गत 10 सेमेस्टर की बीटेक के साथ एमटेक डिग्री भी पूरी कर सकते हैं। शैक्षणिक कार्य के एसोसिएट डीन प्रो. इंद्रजीत सिन्हा ने बताया कि चार वर्ष में बीटेक माइनर पूरा करने वाले छात्र चाहें तो उपलब्ध सीटों और मेरिट के आधार पर अपना ऑप्शन बीटेक सेकेंड मेजर में परिवर्तित भी कर सकते हैं। पांच वर्षीय बीआर्क के छात्र भी माइनर और सेकेंड मेजर विकल्पों के लिए पात्र होंगे। सेकेंड मेजर लेने की स्थिति में कोर्स की अवधि छह वर्ष तक बढ़ सकती है। दूसरी तरफ, शैक्षणिक कार्य अधिष्ठाता प्रो. देवेंद्र सिंह ने बताया कि अब प्रथम वर्ष के बाद शाखा परिवर्तन की व्यवस्था को बंद कर दिया गया है। इसकी जगह छात्र अपनी मूल शाखा के साथ दूसरे विषयों में माइनर या सेकेंड मेजर की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि छात्रों को एक वर्ष के बाद बीटेक छोड़ने पर इंटरिम लीविंग सर्टिफिकेट, दो वर्षों के बाद डिप्लोमा सर्टिफिकेट और तीन वर्ष के बाद कोर्स छोड़ने पर बीएससी इन इंजीनियरिंग डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। नया पाठ्यक्रम समग्र शिक्षा और इंटरडिसिप्लिनरी संवाद को बढ़ावा देता है। यह छात्रों को उनकी रुचि और योग्यता के अनुसार अकादमिक यात्रा तय करने की स्वतंत्रता देता है। साथ ही उनके मूल विषय में मजबूत नींव भी सुनिश्चित करता है। आधुनिक समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए यह नया पाठ्यक्रम न केवल शैक्षिक दृष्टि से सक्षम, बल्कि सामाजिक रूप से जागरूक और उद्योग-उन्मुख स्नातकों को तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रो. अमित पात्रा, निदेशक आईआईटी बीएचयू।
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