बोले काशी- पंचक्रोशी मार्ग के हैं पड़ोसी, हालात ने छीनी खुशी और हंसी
Varanasi News - वाराणसी के पांडेयपुर नई बस्ती में नागरिकों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सीवर लाइन जाम, पेयजल की असुरक्षा, और बिजली के खतरनाक तार जैसी समस्याएं आम हैं। नागरिकों ने नगर निगम और...
वाराणसी। नवशहरी इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव दिखे तो एकबारगी कहा जा सकता है कि नगर निगम उन क्षेत्रों की योजनाएं बना रहा है, फंड मिलने पर काम होंगे। लेकिन जो महापालिका के जमाने से शहर का हिस्सा है, उस मोहल्ले में भी जरूरी सुविधाओं की जद्दोजहद कर रहे नागरिकों की खुशी-हंसी गायब दिखे तो सिस्टम और जिम्मेदारों पर सवाल उठना स्वाभाविक है। पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग के किनारे बसी पांडेयपुर नई बस्ती के बाशिंदे भी उन दुश्वारियों से त्रस्त हैं जो स्मार्ट काशी पर गहरे दाग सरीखी लगती हैं। ------------- पांडेयपुर पुलिस चौकी तिराहा से पंचक्रोशी मार्ग पर लगभग तीन सौ मीटर आगे का मोहल्ला नई बस्ती के नाम से जाना जाता है।
इसी नाम से नगर निगम के वार्ड नंबर-7 का भी नामकरण हुआ है। महापालिका से नगर निगम के गठन, दो वर्ष पहले तक हुए परिसीमन में वार्ड की सीमाएं बदलीं, नाम यथावत रहा। दशकों पुरानी रिहाइश तो है ही, हाल के वर्षों में डेढ़ सौ से अधिक मकान बने हैं। इन मकानों में हजार से ऊपर की आबादी रहती है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत शुरू हुई तो लगा कि नागरिकों ने समस्याओं की सूची तैयार कर रखी है। इस शिकायत के साथ कि समाधान के लिए इलाकाई पार्षद के अलावा नगर निगम के जोनल दफ्तर एवं मुख्यालय तक गुहार लगाई, ऑनलाइन भी शिकायत दर्ज कराई गई मगर कहीं नहीं अब तक हुई है सुनवाई। अरुण कुमार, प्रदीप गुप्ता ने बताया कि कई माह से सीवर लाइन जाम है। गली से मेनरोड के सामने दुकानों तक सीवर के ओवरफ्लो होने के प्रमाण दिखाए भी। नईबस्ती मोहल्ले के सामने एक दशक के दौरान बाजार भी विकसित हो गया है। उन दुकानों के संचालक भी परेशान हैं कि सुबह-शाम सीवर ओवरफ्लो करने से ग्राहक बिदकते हैं। नागरिकों में चिंता है कि चंद दिनों बाद बारिश शुरू होने पर पिछले साल की तरह की जलजमाव की समस्या झेलनी पड़ेगी। नईबस्ती की दूसरी प्रमुख समस्या पेयजल की है। वीरेन्द्र, मनोज कश्यप ने कहा कि अगल-बगल के मोहल्लों में पानी की सीमेंटेड पाइप लाइन बिछ गई है मगर यहां मुद्दत से प्लास्टिक की पाइप से जलापूर्ति हो रही है। वह पाइप अक्सर फट जाती है। बर्बाद होने के साथ पानी प्रदूषित भी हो जाता है। बताया कि कई दिनों की दौड़भाग के बाद जलकल के कर्मचारी पाइप को ठीक कर देते हैं। कुछ दिन बाद किसी दूसरी जगह वही समस्या पैदा हो जाती है। मोहल्ले में पानी की नई पाइप लाइन बिछाने की हर किसी को जरूरत महसूस हो रही है। लोगों में इस बात का भी रंज है कि स्मार्ट काशी या किसी एप पर शिकायत करने का भी लाभ नहीं मिलता। प्रदीप गुप्ता का सवाल गंभीर लगा-‘बीच शहर पानी की यह समस्या देख आपको लगता है कि हम स्मार्ट सिटी या काशी के नागरिक हैं? 11 वर्ष से गली मरम्मत नहीं नईबस्ती की गलियों में कुछ वर्ष पहले पत्थर चौका बिछे मगर उनकी सही ढंग से सेटिंग नहीं हुई। वे उखड़ गए हैं। कुछ में खड़ंजा उखड़ चुका है। इसके चलते गलियों में ठोकर और झटके लगना आम बात है। संजय गुप्ता ने बताया कि 11 साल पहले गली बनी थी। इस दौरान खराब हुई तो मरम्मत नहीं कराई गई। अक्सर कोई न कोई गिरकर घायल होता है। बारिश के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। पूरी गली में जलजमाव तो कहीं कीचड़ हो जाता है। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल होता है। वाहन चलाने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। संजय के मुताबिक यह गली पंचक्रोशी रोड से पहड़िया रोड जाने के लिए शार्टकट रास्ते के रूप में भी इस्तेमाल होती है। रोज सैकड़ों लोगों का आवागमन होता है। बिजली के तारों से खतरा विनोद और मीरा ने दिखाया कि बिजली के तार किस कदर खतरनाक बन गए हैं। कहीं घरों से एकदम सटकर तो कई घरों की छतों से गुजरे हैं। ढीले तारों में अक्सर स्पार्किंग या शार्ट सर्किट होने से बिजली आपूर्ति बाधित होती रहती है। लाइनमैन भी आपूर्ति बहाल करते वक्त मौके की स्थिति पर नाराजगी जताते हैं मगर विभाग इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं करा सका है। अरुण कुमार ने बताया कि मेन रोड पर लगे एक खंभे से ही ज्यादातर घरों के कनेक्शन दिए गए हैं। वह पोल भी जर्जर हो गया है। मोहल्ले की किसी गली में आपको बिजली का खंभा नहीं दिखेगा। सविता गुप्ता, बाला गुप्ता, रेखा देवी, मीरा ने बताया कि छोटे बच्चों को छत पर जाने से रोका जाता है। बारिश के दिनों में करंट उतरने का खतरा मंडराता है। मनोज कश्यप ने इस इलाके में एक भी सीसीटीवी कैमरा न होने की ओर ध्यान दिलाया। बोले, सुरक्षा की दृष्टि से बाजार और गलियों के मोड़ पर कैमरे लगने चाहिए। अक्सर फटता है प्लास्टिक पाइप नई बस्ती क्षेत्र में प्लास्टिक की पाइप के जरिए घरों में जलापूर्ति होती है। इतने सालों बाद सीमेंट की पाइपलाइन नहीं बिछाई गई है। दीपक गुप्ता, हनुमान प्रसाद, राजेश सोनकर ने बताया कि आए दिन किसी न किसी घर के सामने पाइप फट जाती है। तब पेयजल की कई दिनों तक परेशानी हो जाती है। बोले, पुराने शहरी क्षेत्र में ही बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं तो नवशहरी क्षेत्रों की क्या दशा होगी। बताया कि हर साल वाटर टैक्स देते हैं। तब भी यह हाल है। पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें नहीं नई बस्ती मोहल्ला और बाजार में पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। बाजार में देर रात तक लोगों का आवागमन होता है। जो लाइटें लगी भी हैं, उनमें काफी दूरी है। इससे उनका पूरा लाभ मेनरोड पर चलने वालों को नहीं मिल पाता। मोहल्ले के भी कुछ हिस्सों में अंधेरा रहता है। मीरा देवी, बबिता देवी, सविता गुप्ता ने कहा कि अंधेरे से अनहोनी का डर रहता है। बताया कि कई बार लाइटें खराब होने की शिकायत की जाती है तो महीनों बाद बनती है। राशन के साथ सेहत की भी चिंता अरुण कुमार आदि के मुताबिक राशनकार्ड पर नाम चढ़वाने के लिए विभाग का चक्कर लगाना पड़ता है। अरुण ने बताया कि चार साल पहले शादी हुई थी। पत्नी का नाम चढ़वाने के लिए कई बार विभाग गया लेकिन आज तक राशन कार्ड में उनका नाम नहीं दर्ज हो सका है। मीरा देवी, बबिता देवी, सविता गुप्ता, बाला गुप्ता ने बताया कि विभाग से संपर्क करने पर हर बार अलग-अलग कागजात की मांग होती है। रेखा देवी, मीरा ने बच्चों का नाम चढ़वाने के लिए कई माह से दौड़भाग की बात कही। इन सभी ने मोहल्ले में कैंप के जरिए राशन कार्ड बनवाने पर जोर दिया। वहीं मंगल प्रसाद, वीरेंद्र ने बताया कि आयुष्मान कार्ड बनवाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने परिवार में छह सदस्य होने पर ही कार्ड बनवाने का नियम बना दिया है। इस नियम के चलते कई जरूरतमंद भी आयुष्मान कार्ड नहीं बनवा पा रहे हैं। तीन थानों की सीमा से परेशानी जेश सोनकर, मंगल प्रसाद, वीरेंद्र, विनोद, मनोज कश्यप ने कहा कि वार्डों की तरह थानाक्षेत्रों का भी नए सिरे से परिसीमन होना चाहिए। बताया कि नई बस्ती के साथ आसपास का क्षेत्र पांडेयपुर-लालपुर, जैतपुरा और सारथान थाना से सटा हुआ है। जब कोई घटना दुर्घटना होती है तो तीनों थाने की पुलिस सीमाक्षेत्र को लेकर उलझ जाती है। कई बार बड़ी घटनाओं में कार्रवाई प्रभावित होती है। हमें भी सुनें कई माह से सीवर लाइन की सफाई नहीं हुई है। सड़कों पर सीवेज बह रहा है। ग्राहक दुकानों पर आने से कतराते हैं। - रामजनम विश्वकर्मा नगर निगम के ऑनलाइन पोर्टल का लाभ नहीं मिल रहा है। वहां की गई शिकायत पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। - प्रदीप गुप्ता नई बस्ती पुराना शहरी क्षेत्र हैं। यहां आज तक पेयजल की पाइपलाइन नहीं बिछी है। प्लास्टिक की पाइप से जलापूर्ति होती है। - संजय गुप्ता बिजली के तारों के चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। वे नीचे लटक रहे हैं। वाहन से आने जाने में परेशानी होती है। - रेखा देवी गली 11 साल पहले बनी थी। फिर उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। उबड़-खाबड़ रास्ते पर बरसात में समस्या बढ़ जाती है। - बबिता देवी कई लोगों के घरों की छतों से तार जा रहा है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बारिश के दिनों में करंट का खतरा रहता है। - सविता गुप्ता नई बस्ती में पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। देर रात तक लोगों का आवागमन होता है। जो लाइटें हैं भी, वे काफी दूरी पर हैं। - विनोद कुमार राशनकार्ड पर नाम चढ़वाने के लिए विभाग का चक्कर लगाना पड़ रहा है। शादी के चार साल भी पत्नी का नाम दर्ज नहीं करा सका हूं। -अरुण कुमार नई बस्ती के साथ आसपास का क्षेत्र तीन थानों से लगा हुआ है। कोई घटना दुर्घटना होने पर पुलिस सीमा विवाद में उलझ जाती है। -प्रदीप गुप्ता पेयजल के लिए भूमिगत पाइप की व्यवस्था होनी चाहिए। प्लास्टिक की पाइप आए दिन फट जाती है। इससे बहुत दिक्कत होती है। - मीरा देवी ........................ सुझाव-शिकायतें सुझाव 1- क्षेत्र में पेयजल की भूमिगत पाइपलाइन बिछाई जाए। तभी समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है। सीमेंट की पाइप लाइन बिछने से लोगों को सहूलियत होगी। 2- नई बस्ती में बिजली के पर्याप्त पोल लगाए जाएं। पुराने तारों को बदला जाए। गली और घरों से तार हटाए जाएं। तभी हादसे का डर दूर होगा। 3- सीवर लाइन की सफाई कराई जाए। इससे सड़कों पर सीवेज नहीं बहेगा। क्षेत्र के लोगों को सहूलियत होगी। आवागमन आसान होगा। 4- राशनकार्ड बनवाने के लिए मोहल्ले में कैंप लगवाया जाए। उसमें कार्ड बनाने के साथ ही नाम भी चढ़ाया जाए ताकि लोगों को विभाग का चक्कर न लगाना पड़े। 5- नगर निगम के वार्डों की तरह थानाक्षेत्रों का भी नये सिरे से सीमा निर्धारण होना चाहिए। इससे सीमा विवाद की स्थिति नहीं आएगी। कार्रवाई में तेजी आएगी। शिकायतें 1- पेयजल की पाइपलाइन नहीं बिछी है। प्लास्टिक की पाइप के सहारे घरों में पानी आ रहा है। कई बार पाइप फट जाने से परेशानी का समाना करना पड़ता है। 2- गलियों से लेकर घरों तक तारों का जाल है। पोल न होने से लोगों के घरों से तार गुजर रहे हैं। बारिश के दिनों में करंट फैलने का डर रहता है। 3- सीवर की सफाई न होने से सड़कों पर सीवेज बह रहा है। लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। दुकान के सामने सीवर बहने से ग्राहक कतराते हैं। 4- राशनकार्ड बनवाने और उस पर नाम चढ़वाने के लिए विभाग का चक्कर लगाना पड़ता है। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी नाम नहीं चढ़ पाता। 5- नई बस्ती क्षेत्र तीन थानों से लगा हुआ है। कोई हादसा होता है तो तीनों थाने की पुलिस आपस में लड़ती है। इससे कार्रवाई में देरी होती है। लोग परेशान होते हैं।
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