बोले काशी : बरसात में भी अमृत नहीं हो पाता तालाब का पानी
Varanasi News - वाराणसी के मंडुवाडीह वार्ड में तालाबों की उपेक्षा और गंदगी से जल संकट बढ़ रहा है। स्थानीय निवासी सीवर लाइन और पेयजल की कमी से परेशान हैं। बारिश में जलजमाव और गंदा पानी घरों में आ जाता है। विधायक और...
वाराणसी। ईमानदारी होती तो अमृत सरोवर योजना शुरू के बाद से कई तालाब-पोखरों का कलेवर बदल गया होता, वे जलसंरक्षण के सबसे उपयोगी अस्त्र बन गए होते। शहरी क्षेत्र में भी कई जलाशय उस योजना से दूर, जिम्मेदारों की नजरों से उपेक्षित हैं। इसका लाभ जाने-अनजाने भूमाफिया उठा रहे हैं। मंडुवाडीह वार्ड में भी एक तालाब वर्षों से उपेक्षित है। झाड़-झंखाड़ से घिरे तालाब में आसपास के दर्जनों घरों का सीवेज जा रहा है। स्थानीय लोगों को उम्मीद नहीं है कि इस बरसात में भी तालाब का पानी अमृत बन पाएगा। पौराणिक मांडवी तालाब को सहेजे वार्ड में दूसरे कई बड़े तालाब-पोखरे हैं जिनके संरक्षण की उतनी ही शिद्दत से दरकार है।
साल-दर-साल भूगर्भ जल के बढ़ते संकट को रोकने में इन जलाशयों की महत्वपूर्ण भूमिका से किसी जिम्मेदार को इनकार नहीं मगर उनके स्तर से कोशिशें नहीं हो रही हैं। वार्ड की श्रीराम नगर एवं पड़ोसी त्रिलोकीनगर के बाशिंदों की संवेदनशीलता गौरतलब है जो बुनियादी सुविधाओं के अभाव से उतने ही परेशान हैं जितनी दूसरी किसी नवशहरी कॉलोनी के लोग मगर उन्हें पास के पुराने और विशाल तालाब की उपेक्षा अधिक कचोटती है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में डॉ. शीतलाप्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि उक्त तालाब में और उसके चारो ओर झाड़-झंखाड़ उग आए हैं। उनमें जहरीले जंतुओं ने डेरा बना रखा है। वे अक्सर घरों तक पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि तालाब के पास दो पुराने कुंओं की भी वही स्थिति है। बोले, चार दशक पहले तक तालाब गर्मी के दिनों में भी पानी से भरा रहता था। पशु-पक्षियों का बड़ा सहारा था। घर-मकान बनने के साथ तालाब उपेक्षित होता गया। बारिश के दिनों में तालाब में जमा गंदगी बैकफ्लो करती हुए घरों की ओर आ जाताी है। इस बार भी वह समस्या झेलनी पड़ सकती है। उन्होंने आश्चर्य प्रकट किया कि इतने बड़े तालाब के संरक्षण के लिए न तो क्षेत्रीय पार्षद और न ही नगर निगम के अफसर संजीदा दिखते हैं। छठीदयाल सिंह ने कहा कि तालाब में लोग कूड़ा-कचरा भी फेकते हैं। यदि इस तालाब का जीर्णोद्धार हो जाए तो भूगर्भ जल संरक्षण की दृष्टि से बड़ा काम हो जाएगा। उसमें घरों की गंदगी जाने से रोकने की जरूरत है। राकेश राजभर ने ध्यान दिलाया कि श्रीरामनगर और त्रिलोकीनगर में सीवर लाइन नहीं बिछी है। तालाब के अलावा घरों का गंदा पानी रास्ते पर भी बहता है। कभी कभी त्रिलोकीबाबा मंदिर में पहुंच जाता है। सीवर-पानी की पाइप लाइनों का इंतजार श्रीरामनगर और त्रिलोकीनगर में 100 से अधिक मकान बने हैं जिनमें लगभग एक हजार लोगों की रिहाइश है। राजेश जायसवाल, शीतला प्रसाद ने बताया कि इन कॉलोनियों को बसे 35 वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है मगर यहां न तो सीवर की लाइन बिछी न पानी की। सोख्ता टैंक और सबमर्सिबल के सहारे हैं लोग। राजबहादुर सिंह ने कहा कि तेज बारिश के दौरान शौचालयों के टैंक ओवरफ्लो करने लगते हैं। बरसात की अवधि बाशिंदों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाती है। राजेश कुमार शर्मा ने कुछ नाराजगी जताई कि सीवर लाइन के लिए जिन 17-18 वार्डों की प्राथमिकता के आधार पर लिस्ट बनी है, उनमें मंडुवाडीह वार्ड तो है लेकिन यह कॉलोनी नहीं है। सुनीता पटेल, संजू के अलावा सीमा भारद्वाज आदि ने भी कहा कि सीवर लाइन हम लोगों की सबसे बड़ी जरूरत है। पूनम सिंह, रामधनी ने कहा कि हर घर नल से जल योजना के तहत इस कॉलोनी की पेयजल समस्या दूर की जा सकती है। तब तक इन कॉलोनियों के बीच दो हैंडपंप ही लगवा दिए जाएं तो बिजली कटौती के दौरान पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। सड़क पर खड़ंजा ही बिछ जाए फतेहबहादुर सिंह, राजेन्द्र सेठ, संतोष सेठ ने दिखाया कि मुड़ैला या एफसीआई गोदाम की ओर से कॉलोनी में आने पर किस तरह की दिक्कत होती है। तीन दशक पहले बनी सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। संतोष ने कहा कि छोटे-बड़े गड्ढे समय-समय पर मिट्टी से समतल किए जाते हैं मगर वाहनों के आवागमन से मिट्टी उड़ जाती है, गड्ढे उभर आते हैं। बोले, बारिश के दिनों में आप आवागमन में परेशानियों का अनुमान लगा सकते हैं। बबिता ने कहा कि कई जगह हाल के महीनों में खड़ंजे की सड़क बनी है। वैसी ही इस कॉलोनी के लिए भी बन जाए तो बहुत राहत होगी। यहां भी बांस-बल्लियों पर तार शहर की दूसरी नवशहरी कॉलोनियों की तरह श्रीरामनगर और त्रिलोकी नगर में भी बिजली के तार बांस-बल्लियों के सहारे घरों तक ले जाए गए हैं। रिंकू भारद्वाज, साजन बिंद ने कहा कि बिजली के कनेक्शन मिले गए लेकिन विभाग ने खंभे नहीं लगवाए हैं। जबकि ज्यादातर लोगों ने खंभों का भी शुल्क दिया था। बताया कि इस बाबत कई बार विभाग का ध्यान दिलाया जा चुका है। हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है। वर्षों पहले तार जर्जर और ढीले हो गए हैं। वे अक्सर टूटते रहते हैं। कई मवेशी उन तारों की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। कूड़ा कंटेनर की दरकार छठीदयाल सिंह ने बताया कि कॉलोनी बसने कुछ वर्ष तक कूड़ा-कचरा की समस्या नहीं थी। खाली प्लाटों में फेंक दिए जाते थे तो कोर्ट टोकता नहीं था। अब मकान बन गए हैं। कुछ खाली प्लाटों के मालिक कूड़ा फेंकने पर एतराज जता चुके हैं। इस नाते कूड़ा निस्तारण बड़ी समस्या बन गया है। कहा कि कॉलोनी में दो बड़े कंटेनर रखवा दिए जाएं, रोज उनके निस्तारण का इंतजाम हो जाए तो गंदगी में कमी आएगी। बबिता ने जोर दिया कि इस इलाके लिए सफाईकर्मियों की नियुक्ति होनी चाहिए ताकि रोज कम से कम झाड़ू तो लगे। जलजमाव से मिले छुटकारा श्रीराम नगर-त्रिलोकी नगर में जलनिकासी का नाला है ही नहीं। डॉ. शीतला प्रसाद ने ध्यान दिलाया कि सड़क भी सही नहीं है। इस नाते बरसात के दिनों में दोनों कॉलोनियों के बाशिंदों को आवागमन के दौरान जलजमाव झेलना पड़ता है। बाइक से या पैदल आवागमन बहुत कठिन हो जाता है। फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि रात में लोगबाग बाहर निकलने से बचते हैं क्योंकि मेन रोड से कॉलोनी के बीच स्ट्रीट लाइट नहीं है। अंधेरे में किस गड्ढे में फंसकर चोटिल हो जाएं, बता पाना मुश्किल है। कई लोग चोटिल हुए भी हैं। उन्होंने जलजमाव से छुटकारा दिलाने के साथ स्ट्रीट लाइट के भी इंतजाम पर जोर दिया। जोन कार्यालय से कोई लाभ नहीं पूनम सिंह, संतोष सेठ, राजेश शर्मा, जमुना प्रसाद आदि ने एक स्वर से मंडुवाडीह बाजार में स्थित नगर निगम के जोनल कार्यालय की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि वहां सिर्फ समस्याएं नोट की जाती हैं, किसी समस्या का समाधान नहीं मिलता। राजेश जायसवाल ने जोनल अधिकारी, सफाई निरीक्षकों की निष्क्रियता पर तंज कसा कि वे कभी भी क्षेत्र में न मौका मुआयना करते हैं और न ही समस्याओं पर किसी से फीडबैक लेते हैं। बताए जाने पर समस्या नजरंदाज करना मानों उनकी कार्यशैली का हिस्सा है। सुनीता पटेल ने कहा कि जोन कार्यालय पर जन्म-मृत्यु समेत दूसरे प्रमाणपत्रों को बनवाने में भी कोई मदद नहीं मिलती। कर्मचारी सिगरा स्थित मुख्यालय जाने की सलाह देते हैं। सुझाव और शिकायतें 1. एफसीआई गोदाम-मुड़ैला मार्ग पर स्थित डेढ़ बीघा के तालाब की विधिवत सफाई के साथ उसका जीर्णोद्धार कराया जाए। पास के दो कुओं का भी जीर्णोद्धार हो। 2. श्रीरामनगर-त्रिलोकीनगर में सीवर लाइन प्राथमिकता के आधार पर बिछवाई जाए। इससे बारिश के दिनों की दिक्कतों से राहत मिलेगी। 3. कॉलोनी में हर घर नल से जल योजना के तहत पानी की पाइप लाइन बिछवाई जाए। तत्काल राहत के लिए दो हैंडपंप लगवाए जाएं ताकि जलसंकट न झेलना पड़े। 4. मेन रोड से कॉलोनी तक की सड़क का नए सिरे से निर्माण कराया जाए। तब तक खड़ंजे की सड़क बने ताकि मिट्टी के चकरोड का एहसास न हो। 5. मेन रोड से कॉलोनी तक बिजली के खंभे लगें, उन पर स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं। साथ ही, कॉलोनी में कूड़े के दो कंटेनर रखवाए जाएं। सफाईकर्मियों की तैनाती के साथ रोज कूड़ा लगने की व्यवस्था हो। शिकायतें 1. श्रीरामनगर और त्रिलोकनगर कॉलोनी के पास डेढ़ बीघे का तालाब वर्षों से उपेक्षित है। उसमें सीवर की गंदगी बहाई जा रही है। इससे भूगर्भ जल संकट भी बढ़ रहा है। 2. सीवर लाइन न होने से घरों के सोख्ता टैंक अधिक बारिश होने की स्थिति में बैकफ्लो करने लगते हैं। घरों का गंदा पानी सड़क पर भी बहता है। कभी कभी त्रिलोक मंदिर तक पहुंच जाता है। 3. बसने के 35 वर्षों के बाद भी कॉलोनी में पेयजल की पाइप लाइन नहीं बिछ़ी है। इस बाबत जिम्मेदारों से गुहार अनसुनी हो जाती है। 4. मेन रोड से आना वाला रास्ता गांव की चकरोड से भी बदतर हालत में है। गड्डेदार रास्ते पर बारिश के दिनों में आवागमन मुश्किल हो जाता है क्योंकि कहीं स्ट्रीट लाइटें भी नहीं लगी हैं कहीं। 5. कॉलोनी में बांस-बल्लियों के सहारे बिजली आपूर्ति अक्सर खतरे का कारण बन जाती है। ढीले व जर्जर तारों की चपेट में आने से कई मवेशियों की जान जा चुकी है। इनकी भी सुनें कॉलोनी के पास पुराने तालाब का संरक्षण न सिर्फ भूगर्भ जलस्तर के लिए जरूरी है बल्कि पशु-पक्षियों का भी बहुत बड़ा सहारा बन जाएगा। -डॉ. शीतला प्रसाद त्रिपाठी तालाब के पास दो पुराने कुंओं का भी जीर्णोद्धार आवश्यक है। ये जल संकट के समाधान में बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं। -छठीदयाल सिंह कॉलोनी में सीवर लाइन सबसे बड़ी जरूरत है। इसके लिए जिम्मेदारों से लगातार आग्रह किया जा रहा है। सुनवाई नहीं हो रही है। -पूनम सिंह मेनरोड से कॉलोनियों तक आने वाले रास्ते का पक्का निर्माण कराया जाए। इससे हमें नगर निगम सीमा में होने का आभास होगा। -राजेश जायसवाल नगर निगम के जोनल कार्यालय और वहां बैठने वाले अधिकारियों की सक्रियता बढ़नी चाहिए। उन्हें क्षेत्र की समस्याएं जानने बाहर निकलना चाहिए। -सुनीता पटेल अक्सर सीवर घरों के बाहर जमा हो जाता है। गन्दे पानी से होकर आवागमन करना हम लोगों की वर्षों से मजबूरी बनी हुई है। -राजेश कुमार शर्मा कूड़ा कहां फेंका जाए, यह समस्या बढ़ती जा रही है। नगर निगम को यहां कम से कम दो कंटेनर का इंतजाम करना चाहिए। -राकेश राजभर कॉलोनी बसे 35 वर्ष से अधिक समय बीत गया मगर अब तक यहां पानी की पाइप लाइन नहीं बिछी है। सभी के काम सबमर्सिबल से नहीं चल पाते। -सीमा भारद्वाज कॉलोनी में बांस-बल्ली के सहारे बिजली आपूर्ति व्यवस्था बदली जाए। सुरक्षा के लिहाज से खंभे लगाए जाएं। पुराने तार दुरुस्त हों। -राजबहादुर सिंह नगर निगम के अधिकारी इस इलाके का हाल जानने कभी नहीं आते। जोन कार्यालय पर सिर्फ समस्याएं दर्ज की जाती हैं, समाधान नहीं होता। -संतोष सेठ स्ट्रीट लाइट न होने से रात के वक्त आवागमन में बहुत दिक्कत होती है। खराब सड़क के नाते लोग बाहर निकलने से बचते हैं। -फतेहबहादुर सिंह जानकारी नहीं हो पा रही है कि सीवर लाइन की दृष्टि से प्राथमिकता वाली कॉलोनियों में हमारी कॉलोनी है या नहीं। यह बड़ी जरूरत है। -राजेश कुमार शर्मा -------------------------- बोले विधायक आज हम लखनऊ में हैं। लौटते ही श्रीराम कॉलोनी और त्रिलोकीनगर को देखने जाएंगे। लोगों से मिलेंगे। वहां के पोखरे के सुंदरीकरण के लिए मैं पहले से चिंतित हूं। इस संबंध में नगर आयुक्त से बात हुई है। तालाब के सुंदरीकरण के साथ दूसरी समस्याएं भी दूर कराएंगे। -डॉ सुनील पटेल, विधायक, रोहनिया विधानसभा बोले पार्षद पार्षद कोट- मडुवाडीह वार्ड के पार्षद राजेश कन्नौजिया ने कहा कि श्रीराम कॉलोनी- त्रिलोकी नगर की समस्याओं की जानकारी है। इनका समाधान विधायक निधि का साथ मिले बिना संभव नहीं है। फिर भी समस्या समाधान के लिए जो बन पड़ेगा, हम करेंगे। -राजेश कन्नौजिया, पार्षद, मंडुवाडीह वार्ड
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