महाकुंभ में वायरल IIT बाबा ने बदला रूप, दाढ़ी के साथ मूंछें भी उड़ाईं, बताया- क्यों फैसला? VIDEO देखें
महाकुंभ में सबसे ज्यादा चर्चा में आए और सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे आईआईटी बाबा उर्फ अभय सिंह ने गुरुवार को अपना रूप ही बदल दिया। उन्होंने अपनी दाढ़ी के साथ मूंछें भी उड़ा दीं और क्लीन सेव हो गए। दाढ़ी-मूंछें उन्होंने खुद अपने ही हाथों से साफ कर दीं।

महाकुंभ में सबसे ज्यादा चर्चा में आए और सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे आईआईटी बाबा उर्फ अभय सिंह ने गुरुवार को अपना रूप ही बदल दिया। उन्होंने अपनी दाढ़ी के साथ मूंछें भी उड़ा दीं और क्लीन सेव हो गए। दाढ़ी-मूंछें उन्होंने खुद अपने ही हाथों से साफ कर दीं। इस दौरान कुछ यूट्यूबर भी मौजूद रहे और उनका वीडियो बनाया। बाबा ने किसी को वीडियो बनाने से मना भी नहीं किया। एक यूट्यूबर ने तो पूछा भी कि वीडियो बनाएं या बंद कर दें। लेकिन बाबा ने कहा बनाते रहो। क्लीन सेव होने का फैसला अचानक क्यों लिया? इस सवाल का जवाब भी बिल्कुल साफगोई से दिया।
अभय सिंह ने कहा कि यहां सब चलता रहता है। जब मैं इस यात्रा पर निकला था तो महादेव ने दो ही चीजें बोली थीं। पहली यही थी कि एक जगह पर एक ही रात रहना है। दूसरे लगातार चलते रहना है, आगे बढ़ते रहना है। इसके पीछे कोई कंडीशन भी नहीं थी। चाहे जितना भी चल पाएं, एक किलोमीटर या दो किलोमीटर, बस चलते रहना है।
आज तक से बातचीत में कहा कि उस समय से चलता रहा हूं। इस दौरान सेव करने का समय ही नहीं मिलता था। जब समय मिलता था तब सेव कर लेता था। अब समय मिला तो सेव कर लिया। अभय सिंह ने अपने नए रूप को श्रीकृष्ण से भी जोड़ दिया। कहा कि अभी तक सभी लोग मुझे आईआईटी वाले बाबा बोल रहे हैं। बाबा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि मैंने दाढ़ी रखी हुई थी। श्रीकृष्ण ने तो कभी दाढ़ी नहीं रखी थी। वह भी तो योगेश्वर थे। उनसे बड़ा तो कोई योगी नहीं था। लेकिन उन्हें कोई श्रीकृष्ण बाबा या श्रीकृष्ण योगी नहीं बोलता था। इसी तरह शिव भी बिना दाढ़ी में दिखाई देते हैं। इसी तरह अब आप लोग भी मेरे नए रूप के अनुसार मुझे पुकारेंगे।
अभय सिंह से जब पूछा गया कि क्या आप अब खुद को शिव या कृष्ण के रूप में दिखाना चाहते हैं? इस पर कहा कि भगवान तो सभी के अंदर हैं। स्पिरिचुअलिटी का असली मतलब तो यही है। बात केवल वहीं फंसती है कि भगवान सभी के अंदर हैं तो सभी को पता क्यों नहीं हैं। अगर सभी भगवान हैं तो हमें क्यों नहीं पता कि हम भगवान हैं। मैं उस सच्चाई को बोल रहा हूं। अहम ब्रम्हास्मी तो बोल ही रहा हूं। यही बात तो शंकराचार्य ने भी बोला था। तब किसी ने उनसे नहीं पूछा कि वह खुद को भगवान बता रहे हैं। खुद को ब्रह्मास्मी बता रहे हैं। शिवोहम कह रहे हैं। कोई जब शिवोहम बोलता है तो उसका मतलब यही है न कि मैं शिव हूं।
अगर देखा जाए तो चेतना का वो स्तर होता है जिसे भगवान का टाइटल दिया जाता है। वह शून्य चेतना का स्तर होता है। उस वक्त व्यक्ति प्योर कॉशियसनेस में हो जाता है। उसे महादेव बोला गया है। इसी तरह विष्णु उसे बोला गया है जब चेतना शून्य से नीचे उतरकर ज्ञान के फार्म में आ जाते हैं। जबकि वह हमेशा क्षीरसागर में सोए रहते हैं। वह ड्रीम करते रहते हैं।