यूपी में मिल्क प्रोसेसिंग और डेयरी वालों पर योगी सरकार मेहरबान, मिलेगा 35% अनुदान; जानें डिटेल
सरकार ने उत्तर प्रदेश दुग्ध शाला विकास एवं दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन नीति -2022 में संशोधन कर दिया है। अब तक अनुदान की अधिकतम सीमा तो 5 करोड़ थी, लेकिन अनुदान 10% तक ही मिलता था। नई व्यवस्था में वर्तमान में चल रहे डेयरी प्लांट में तकनीकी उन्नयन और स्टार्टअप के लिए भी 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।

यूपी में मिल्क प्रोसेसिंग और डेयरी का काम करने वालों के लिए खुशखबरी है। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने दूध प्रसंस्करण इकाइयों और डेयरी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ी पहल की है। सरकार अब इन्हें 35 प्रतिशत तक अनुदान देगी। पशु आहार पशु पोषण उत्पाद निर्माण शाला इकाइयों को स्थापित करने के लिए प्लांट मशीनरी तकनीकी सिविल कार्य और स्पेयर पार्ट्स की लागत पर इस 35 फीसद पूंजीगत अनुदान की अधिकतम सीमा पांच करोड़ होगी।
दुग्ध पर संस्करण और दुग्ध उत्पादन निर्माण इकाइयों की स्थापना पर भी इतना ही अनुदान दिया जाएगा। सरकार ने उत्तर प्रदेश दुग्ध शाला विकास एवं दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन नीति -2022 में संशोधन कर दिया है। अब तक मिल रहे अनुदान की अधिकतम सीमा तो पांच करोड़ थी, लेकिन अनुदान 10 प्रतिशत तक ही मिलता था।
नई व्यवस्था में वर्तमान में चल रहे डेयरी प्लांट में तकनीकी उन्नयन और स्टार्टअप के लिए भी मशीनरी प्लांट इत्यादि की लागत का 35 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 2.50 करोड़ ही रहेगी। वही 35 प्रतिशत ही अनुदान डेरी प्लांट के बाहर डाटा प्रोसेसिंग मिल्क कलेक्शन यूनिट, ग्रामीण स्तर पर कलेक्शन सेंटर बनाने और कोल्ड चेन प्रणाली की स्थापना के लिए भी दिया जाएगा। दोनों ही श्रेणियां में अधिकतम सीमा एक करोड रुपए होगी।
पशु आहार निर्माण शाला इकाई में न्यूनतम 25 प्रतिशत तक का विस्तार करने पर अधिकतम दो करोड़ का अनुदान मिलेगा। यह लागत का 35 प्रतिशत तक होगा। वही चीज ,आइसक्रीम इत्यादि की निर्माण इकाई के लिए मशीनरी लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा जो अधिकतम 50 लाख रुपए होगा। औद्योगिक क्षेत्र के बाहर स्थित डेयरी से संबंधित इकाइयों व चिलिंग प्लांट आदि में 75 केवीए तक का सॉरी ऊर्जा संयंत्र लगाने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। संचालक यदि महिला है तो उसे अनुदान 90 प्रतिशत तक दिया जाएगा। संशोधन के तहत पूर्व में इकाइयों की स्थापना, तकनीकी यूनियन आदि के लिए रन पर दी जाने वाली ब्याज प्रतिपूर्ति को खत्म कर दिया गया है।