बोले हल्द्वानी : जल संस्थान में कार्यरत श्रमिकों को वेतन नहीं मिलता पूरा, सुविधाएं भी अधूरी
हल्द्वानी में जल संस्थान के संविदा श्रमिक वर्षों से उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। उन्हें उचित वेतन, अवकाश, पहचान पत्र और अन्य आवश्यक सुविधाएं नहीं मिल रहीं। श्रमिकों ने श्रम कानूनों के तहत अपने...
हल्द्वानी। जल संस्थान की लालकुआं डिविजन में आउटसोर्स पर कार्यरत संविदा श्रमिक लगातार उपेक्षा और असमानता का सामना कर रहे हैं। इन श्रमिकों ने वर्षों से न केवल संस्थान की विभिन्न योजनाओं और कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, बल्कि सीमित संसाधनों में भी निरंतर सेवाएं दी हैं। इसके बावजूद उन्हें श्रम कानूनों के अनुसार न तो उचित वेतन मिल रहा है और न ही अवकाश, बोनस, पहचान पत्र या कार्यस्थल पर प्राथमिक चिकित्सा जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन सभी समस्याओं को लेकर संविदा श्रमिक संगठन के माध्यम से कई बार मांग उठा चुके हैं, इसके बाद भी समाधान नहीं निकल पा रहा है।
बोले हल्द्वानी की टीम जब इन श्रमिकों के बीच पहुंची तो उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं बताने के साथ उनके समाधान के लिए सुझाव भी दिए। नलकूपों का संचालन कर रहे इन 62 श्रमिकों को पांच साल से कार्य करने पर भी कुशल श्रेणी का वेतन नहीं मिल पा रहा है। श्रमिकों के अनुसार लालकुआं डिविजन में 45 अकुशल श्रमिक और 17 श्रमिक स्वैप से भर्ती होकर आए हैं। श्रमिकों का कहना है कि उन्हें पांच साल पूरे करने के बाद कुशल की श्रेणी में लिया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं होने से उनके वेतन में वृद्धि भी नहीं हुई है। संविदा श्रमिकों के अनुसार उन्हें महीने में अवकाश भी नहीं दिया जाता। माह भर में चार दिन के अवकाश का विभाग ठेकेदार को भुगतान करता है लेकिन ठेकेदार श्रमिकों को भुगतान नहीं करता है।
उन्होंने बताया कि स्वैप से भर्ती हुए श्रमिक एक जनवरी 2018 से सेवा में हैं, जिन्हें शुरुआत में पांच हजार प्रतिमाह मिलते थे और एक अप्रैल 2024 से 6,220 प्रतिमाह वेतन मिल रहा है। वहीं अन्य श्रमिकों को 10,811 वेतन मिलता है, जबकि कुशल श्रेणी में आने पर उन्हें 12,073 वेतन मिलना चाहिए था। पांच साल से कार्य कर रहे श्रमिकों को मिले कुशल श्रेणी का वेतन: जल संस्थान में वर्षों से सेवा दे रहे संविदा श्रमिकों ने मांग उठाई है कि उन्हें श्रम कानूनों के तहत कुशल श्रेणी का वेतन प्रदान किया जाए। श्रमिकों का कहना है कि वे पिछले पांच साल से अधिक समय से जल आपूर्ति, लाइन मरम्मत और पंप संचालन जैसे तकनीकी और जोखिम भरे कार्यों में पूरी निष्ठा से लगे हुए हैं, लेकिन आज भी उन्हें अकुशल श्रेणी का वेतन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि स्वैप योजना के तहत कार्यरत 17 श्रमिकों को जनवरी 2018 से सेवा करते हुए अब छह वर्ष पूरे हो चुके हैं, इसके बावजूद वेतनमान में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय अवकाशों का भी नहीं होता भुगतान :
संविदा श्रमिकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें न तो नियमित अवकाश मिलते हैं और न ही राष्ट्रीय अवकाशों पर भुगतान किया जाता है। विभाग द्वारा ठेकेदारों को चार दिन के अवकाश और राष्ट्रीय छुट्टियों का भुगतान किया जाता है, लेकिन वह राशि श्रमिकों तक कभी नहीं पहुंचती। पंप ऑपरेटर, लाइनमैन और अन्य फील्ड स्टाफ का कहना है कि उन्हें लगातार कार्य पर बुलाया जाता है चाहे त्योहार हो या छुट्टी लेकिन विभाग या ठेकेदार से कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाता। यहां तक कि बीमार होने या आकस्मिक परिस्थितियों में छुट्टी लेने पर वेतन भी काट लिया जाता है। श्रमिकों ने इसे साफ़ तौर पर श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है और कहा कि यदि स्थायी कर्मचारी छुट्टी का हकदार है, तो समान कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों को भी यह अधिकार मिलना चाहिए। उनका कहना है कि यह दोहरा मापदंड अब असहनीय हो चला है।
पहचान पत्र नहीं होने से परेशानी:
श्रमिकों को पहचान पत्र नहीं मिलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। श्रमिक पहचान पत्र न होने के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा फील्ड में भी लोग उन्हें पहचानने से इंकार कर देते हैं। श्रमिकों का कहना है कि श्रमिक पहचान पत्र नहीं होने से उन्हें फील्ड में परेशानी होती है। उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है और न ही वे अपने हकों के लिए लड़ पाते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उन्हें स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं नही मिल पा रही हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो रही है। श्रमिकों ने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द पहचान पत्र जारी किए जाएं। इससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगा।
संविदा श्रमिकों की पांच प्रमुख समस्याएं
1. पांच साल से कार्य कर रहे श्रमिकों को मिले कुशल श्रेणी का वेतन।
2. कम वेतन की वजह से आर्थिक संकटों से जूझ रहे।
3. अवकाश नहीं मिलता और राष्ट्रीय अवकाशों का भुगतान नहीं होता।
4. श्रमिक पहचान पत्र नहीं होने से फील्ड में होती है परेशानी।
5. बोनस, ट्रैकसूट और सुरक्षा सामग्री नहीं मिलने से परेशानी।
संविदा श्रमिकों के पांच सुझाव
1. श्रम विभाग के नियमों के अनुसार दिया कुशल श्रेणी का वेतन।
2. अवकाश देने के साथ ही राष्ट्रीय अवकाशों पर काम का भुगतान किया जाए।
3. श्रमिकों को पहचान पत्र उपलब्ध कराए जाएं।
4. बोनस और ट्रैकसूट के साथ सुरक्षा के लिए किट की हो व्यवस्था।
5. इलाज के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
इनकी सुनिए
हम वर्षों से जल संस्थान की रीढ़ बनकर काम कर रहे हैं। हर मौसम, हर हालात में सेवाएं दी हैं। फिर भी संविदा का नाम लेकर हमें हाशिए पर रखा गया है। अब अधिकारों की नहीं, सम्मान की लड़ाई है। संजय कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, जल संस्थान संविदा श्रमिक संघ
मैंने पंप ऑपरेटर के रूप में हर परिस्थिति में ड्यूटी निभाई है। स्थायित्व की कोई गारंटी नहीं, सिर्फ जिम्मेदारियां हैं। कभी अवकाश नहीं, कभी समय पर वेतन नहीं। क्या संविदा कर्मी इंसान नहीं होते। घनश्याम सिंह बर्गली, पंप ऑपरेटर
कार्यालय में कार्य करने के बावजूद हमारी स्थिति उपेक्षित है। बोनस, अवकाश और पहचान पत्र कुछ नहीं मिला। हर आदेश पर काम करते हैं, फिर भी श्रमिकों की यह अनदेखी अब बंद करनी चाहिए। केवल द्विवेदी, कार्यालय कर्मचारी
स्वैप योजना में हमें कार्य करते हुए पांच साल से ज्यादा हो गए। शुरुआत में 5000 रुपये, अब मामूली बढ़त के बाद 6220 रुपये मिलते हैं। न श्रेणी बदली न सम्मान मिला। यह भेदभाव आखिर कब तक होगा। अब्दुल गनी, पंप ऑपरेटर
बिजली, पानी, बरसात में भी लाइन सुधारने हम ही जाते हैं, लेकिन विभाग हमें स्थायी दर्जा नहीं देना चाहता। बिना सुरक्षा उपकरण काम कराना अमानवीय है। हम सम्मान के साथ जीना चाहते हैं। सुरेश पनेरू, लाइनमैन
छुट्टियों का भुगतान ठेकेदार खा जाता है। हमारी शिकायतें भी अनसुनी रह जाती हैं। कुशल श्रमिक का काम करने के बावजूद अकुशल का वेतन मिलता है। हम सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं। लक्ष्मीदत्त बचखेती, पंप ऑपरेटर
लाइनमैन फीटर के रूप में पूरी जिम्मेदारी निभाई है, लेकिन सुविधाओं में हमेशा हम पीछे रखे गए। न यूनिफॉर्म, न चिकित्सा व्यवस्था, न पहचान पत्र कुछ भी नहीं मिलता। इससे परेशानी होती है। किरन चन्द्र, लाइनमैन फीटर
हर बार फॉर्म भरते हैं, दस्तावेज़ जमा करते हैं। इसके बाद भी हमें कुशल श्रमिक का दर्जा नहीं दिया जाता। काम हम रोज कुशलता से करते हैं, लेकिन वेतन में न्याय नहीं मिलता। नवीन चंद्र पलडिया, लाइनमैन
पानी पहुंचाने की ड्यूटी 24 घंटे निभाता हूं। कभी-कभी तो नलकूप संचालन के दौरान ग्रामीण ही सवाल कर देते हैं। हमारा पहचान पत्र भी नहीं बना है। अवकाश, बीमा, सुरक्षा कुछ नहीं मिलता। चंद्र प्रकाश, पंप ऑपरेटर
स्वैप योजना के तहत हम समान काम करते हैं, लेकिन वेतन और सुविधा में भारी भेदभाव होता है। हम भी कर्मचारी हैं, हमारा सम्मान भी जरूरी है। समान काम, समान वेतन हमारा हक है। सुभाष चंद्र, लाइनमैन (स्वैप)
जल व्यवस्था बनाए रखने में हमारी अहम भूमिका है। लेकिन विभाग हमें स्थायी मानने को तैयार नहीं। कई बार आवेदन दिए, सुनवाई नहीं हुई। अब सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। नंदन सिंह बोरा, लाइनमैन पंप
ऑपरेटर और लाइनमैन दोनों जिम्मेदारी निभाता हूं, लेकिन वेतन एक पद का भी नहीं मिलता। हर दिन विभाग के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। लेकिन हमारी सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। प्रेम राम, लाइनमैन/पंप ऑपरेटर
विभाग की ओर से रात में भी कॉल आने पर हम दौड़ते हैं। तब कोई नहीं पूछता कि संविदा हैं या स्थायी। जब काम में बराबरी है, तो सुविधाओं में भेदभाव क्यों किया जा रहा है? हम अब चुप नहीं रहेंगे। नरेश सिंह, पंप ऑपरेटर
हम विभाग की ओर से मिले हर आदेश का पालन करते हैं। इसके बाद भी हमें पहचान और अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। हमारी कई साल की सेवा का कोई मूल्य नहीं?या संविदा होना ही अपराध है? उमाशंकर, लाइनमैन
छुट्टियों का पैसा विभाग ठेकेदार को देता है, पर यह पैसा हमें नहीं मिलता। यह दोहरी मार है मेहनत भी हमारी, शोषण भी। ठेकेदारों की मनमानी पर रोक लगनी चाहिए। स्थाई रोजगार दिया जाना चाहिए। दलीप कुमार, पंप ऑपरेटर
लाइन सुधारते समय कई बार चोटें आई हैं, पर प्राथमिक इलाज तक की व्यवस्था नहीं मिलती। हम हमेशा जोखिम में काम करते हैं। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी आंखें मूंद लेते हैं। घनश्याम सिंह बोरा, लाइनमैन
हम जल आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, लेकिन अपने ही घर में पानी की किल्लत झेलते हैं। हमारी आय न्यूनतम से भी कम है। यह असमानता का ढांचा कब सुधरेगा, पता नहीं। हम तो समस्याओं से जूझ रहे हैं। सुरेंद्र सिंह रैकवाल, पंप ऑपरेटर
विभाग में हम दूसरों के बराबर काम करते हैं। इसके बाद भी हमारे लिए संसाधन नहीं हैं। सुरक्षा उपकरण भी नहीं मिलते। हमारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं होता। सरकार और विभाग को हमारी सुध लेनी चाहिए। गोविंद सिंह मेहरा, पंप ऑपरेटर/लाइनमैन
ड्यूटी के दौरान सतर्क रहना पड़ता है। बिना बीमा, बिना चिकित्सा, बस भगतवान भरोसे पर ड्यूटी करते हैं। इतनी असुरक्षा में भी हम खामोश नहीं रहेंगे। हमें सुरक्षित काम का माहौल चाहिए। शिवराम आर्य, लाइनमैन
हम विभाग का हर काम निष्ठा से करते हैं, इसके बाद भी हमें पहचान तक नहीं दी गई। हमसे हर समय ड्यूटी की उम्मीद की जाती है, लेकिन हमारे अधिकारों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता। प्रकाश पनेरू, ऑपरेटर/ वॉल ड्यूटी
संविदा पर कई वर्षों से लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक वेतन, अवकाश और सुरक्षा व्यवस्थाएं अधूरी है। सरकार को हमारी तरफ देखना होगा। हम सेवा नहीं, सम्मान मांग रहे हैं। सुखपाल, लाइनमैन
बोले जिम्मेदार
संविदा श्रमिकों को वेतन ठेकेदार की ओर से दिया जाता है। विभाग से इनका वेतन आदि समय से निर्गत कर दिया जाता है। इनका जो भी विवाद है उसके लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है। श्रमिकों को आश्वस्त किया गया है कि अगर ठेकेदार द्वारा कोई भी शोषण आदि किया जाता है तो विभाग पूरी तरह उनके साथ है। छह वर्ष से अधिक कार्य कर चुके श्रमिकों के मामले में उच्चाधिकारियों को भी पत्र दिए गए हैं। नई निविदा भी अगले 15 दिनों में आमंत्रित करा दी जाएगी। -अजय कुमार, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान ग्रामीण
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