Ganga Awareness Workshop Initiated at Parmarth Niketan with Over 50 Priests Trained गंगा सिर्फ नदी नहीं, यह जीवनधारा है: स्वामी चिदानंद, Rishikesh Hindi News - Hindustan
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गंगा सिर्फ नदी नहीं, यह जीवनधारा है: स्वामी चिदानंद

परमार्थ निकेतन में गंगा जागरूकता एवं आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस पांच दिवसीय कार्यशाला में 50 से अधिक पुरोहित गंगा आरती का प्रशिक्षण ले रहे हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा...

Newswrap हिन्दुस्तान, रिषिकेषSun, 8 June 2025 07:35 PM
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गंगा सिर्फ नदी नहीं, यह जीवनधारा है: स्वामी चिदानंद

परमार्थ निकेतन में पांच दिवसीय गंगा जागरूकता एवं आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। जिसमें 50 से अधिक पुरोहित गंगा आरती का प्रशिक्षण ले रहे हैं। रविवार को परमार्थ निकेतन में मां गंगा जागरूकता एवं आरती प्रशिक्षण की पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने किया। उन्होंने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मां गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, एक जीवनधारा है। जैसे समुद्र पृथ्वी का हृदय है, वैसे ही गंगा भारत की आत्मा है। आरती का यह प्रशिक्षण केवल मंत्रों और दीपों का अभ्यास नहीं, यह हर व्यक्ति के भीतर जल-जागृति और कर्तव्य-बोध का जागरण कराना है।

भारत की नदियां, विशेषतः मां गंगा, न केवल लाखों लोगों की आस्था की प्रतीक हैं, बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका और स्वास्थ्य का स्रोत भी हैं। दुर्भाग्यवश, आधुनिकता, प्लास्टिक प्रदूषण और असंवेदनशीलता ने इन जीवनदायिनी नदियों को संकट में डाल दिया है। कहा कि पुरोहित केवल कर्मकांड के ज्ञाता नहीं, बल्कि जनजागरूकता के अग्रदूत बनें। पुरोहित आस्था और समाज के बीच की सबसे प्रभावशाली कड़ी है। जब आस्था से जुड़े पुरोहित जल संरक्षण, स्वच्छता और पर्यावरण जैसे विषयों पर बोलते हैं, तो वह केवल संदेश नहीं होता, वह श्रद्धा से जुड़ा हुआ एक दिव्य उपदेश बन जाता है और उनके द्वारा कहा गया हर मंत्र, हर उपदेश समाज के व्यवहार को दिशा दे सकता है और जनमानस में स्थायी परिवर्तन का माध्यम बन सकता है इसलिए समय की मांग है कि पुरोहित केवल पूजा के अधिकारी न बनें, बल्कि जनजागरण के पथप्रदर्शक भी बनें। इस दौरान स्वामी चिदानंद सरस्वती ने सभी पुरोहितों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। मौके पर साध्वी भगवती सरस्वती, योगाचार्य आभा सरस्वती, योगाचार्य गंगा नन्दिनी, वंदना शर्मा, दुर्गा प्रसाद, आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीलिप क्षेत्री, ऋषिकुमार आयुष, राकेश रोशन, योगाचार्य गायत्री गुप्ता, उमा, दिनेश आदि उपस्थित रहे।

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