दिल्ली-हावड़ा रूट पर बिना गड़गड़ाहट के तेज रफ्तार में दौड़ेंगी ट्रेनें
Prayagraj News - प्रयागराज, पीयूष श्रीवास्तव। उत्तर मध्य रेलवे की ओर से दिल्ली-हावड़ा रेलखंड पर ट्रेनों के 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने की दिशा में एक
प्रयागराज, पीयूष श्रीवास्तव उत्तर मध्य रेलवे की ओर से दिल्ली-हावड़ा रेलखंड पर ट्रेनों के 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इस उद्देश्य से रेलवे ट्रैक के अपग्रेडेशन(उच्चीकरण) का काम तेजी से किया जा रहा है। खासतौर पर जहां-जहां अब तक एलडब्ल्यूआर(लांग वेल्डेड रेल) सिस्टम था, वहां अब सीडब्ल्यूआर(कांटीन्यूअस वेल्डेड रेल) को लगाया जा रहा है। इससे तेज रफ्तार में ट्रेनें दौड़ेंगी तो यात्रियों को कंपन और गड़गड़ाहट महसूस नहीं होगी। रेलवे इंजीनियरों के अनुसार सीडब्ल्यूआर ट्रैक उच्च गति की ट्रेनों के संचालन के लिए अधिक सुरक्षित और स्थिर माने जाते हैं।
इसीलिए उन हिस्सों में जहां तकनीकी रूप से संभव है, एलडब्लूआर की जगह अब सीडब्लूआर लगाए जा रहे हैं। क्या होता है एलडब्ल्यूआर और सीडब्ल्यूआर सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि एलडब्ल्यूआर में रेल पटरियों को एक निश्चित लंबाई (जैसे 250 से 300 मीटर) तक वेल्ड किया जाता है, लेकिन कुछ दूरी पर एक्सपेंशन ज्वाइंट्स (विस्तार जोड़)रहते हैं जिससे थर्मल एक्सपेंशन यानि तापमान अधिक होने पर पटरियों के फैलाव को नियंत्रित किया जा सके। वहीं सीडब्ल्यूआर में रेल लाइन की लंबाई एक हजार मीटर होती है जिससे ट्रैक में कंपन और गड़गड़ाहट कम होती है। यह हाई स्पीड ट्रेनों के लिए आदर्श है। इसका सबसे बड़ा फायदा रफ्तार में वृद्धि है। इस ट्रैक पर आसानी से 160 किमी/घंटा की गति से ट्रेनों का संचालन संभव होगा। रफ्तार बढ़ने से नई दिल्ली की यात्रा कम समय में पूरी हो जाएगी। वहीं सीडब्ल्यूआर ट्रैक पर ट्रेन अधिक स्थिरता से दौड़ती है, जिससे यात्री अनुभव बेहतर होता है और दुर्घटनाओं की संभावना भी कम होती है। सीडब्ल्यूआर ट्रैक पर मरम्मत की जरूरत कम होती है, जिससे लागत में भी कमी आती है।
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