इको.ट्रैप्स से मिलेगा फल मक्खियों से छुटकारा, पर्यावरण के लिए भी वरदान
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. पूनम श्रीवास्तव ने फल मक्खियों से फसलों को बचाने के लिए 'इको.ट्रैप्स' तकनीक विकसित की है। यह तकनीक कीट नियंत्रण में प्रभावी है और हरित खेती की दिशा में एक...

पंतनगर। फल मक्खियों से फसलों को हो रहे भारी नुकसान को रोकने के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. पूनम श्रीवास्तव ने एक प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक को "इको.ट्रैप्स" नाम दिया गया है, जो न केवल कीट नियंत्रण में कारगर है, बल्कि हरित खेती की दिशा में एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है। फल मक्खियाँ, विशेष रूप से बैक्ट्रोसेरा प्रजाति की मादा मक्खियाँ, आम, अमरूद, नींबू और चीकू जैसे फलों को भारी नुकसान पहुँचाती हैं। ये कीट फलों के भीतर अंडे देकर उन्हें अंदर से सड़ा देती हैं, जिससे फल बाजार में बिकने योग्य नहीं रह जाते।
इको.ट्रैप्स में एक जैविक आकर्षक यौगिक होता है, जो नर मक्खियों को आकर्षित कर उन्हें फँसाता है, जिससे उनका प्रजनन चक्र टूटता है और धीरे-धीरे मक्खियों की संख्या कम हो जाती है। पारंपरिक मिथाइल यूजीनोल ट्रैप्स के मुकाबले यह सस्ता, अधिक प्रभावी और बारिश में भी कार्यक्षम है।उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में इस तकनीक का प्रयोग अत्यंत सफल रहा है। तीन वर्षों में इसके प्रयोग से नींबू में 42%, अमरूद में 39%, आम में 36% और चीकू में 43% तक फलों की बर्बादी में कमी दर्ज की गई है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में 20 ट्रैप लगाए जाते हैं और कुल लागत मात्र 800 रुपये आती है। बेंगलुरु में इको.ट्रैप्स के निर्माण के लिए एक पायलट प्लांट भी स्थापित किया गया है, जो प्रति बैच एक लाख ट्रैप तैयार कर सकता है। इस तकनीक के उपयोग से किसानों की उपज बढ़ेगी, आय में इज़ाफा होगा और उपभोक्ताओं को सुरक्षित उत्पाद मिलेंगे। इको.ट्रैप्स की सफलता के लिए डॉ. पूनम श्रीवास्तव को फरवरी 2025 में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आयोजित वार्षिक समीक्षा बैठक में आईसीएआर के उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान) द्वारा "सर्वश्रेष्ठ शोध परीक्षण वैज्ञानिक पुरस्कार" से सम्मानित किया गया
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