नरेंद्रनगर को राजस्व अभिलेखों में शामिल किया जाए
भूमि बंदोबस्त संघर्ष समिति ने डीएम से मुलाकात कर नरेंद्रनगर का भूमि बंदोबस्त कराने की मांग की। 1949 में टिहरी रियासत का विलय हुआ, लेकिन आज तक स्थानीय लोगों को स्वामित्व का अधिकार नहीं मिला। समिति ने...
भूमि बंदोबस्त संघर्ष समिति ने नरेंद्रनगर शहर का भूमि बंदोबस्त कराए जाने को लेकर डीएम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। कहा कि 1949 को टिहरी रियासत का विलय भारत सरकार में हो गया था। लेकिन इतने लंबे समय बाद भी नरेंद्रनगर उत्तराखंड सरकार के राजस्व अभिलेखों में नहीं हुआ है। जिसके चलते स्थानीय लोगों को भू-स्वामित्व का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। मंगलवार को संघर्ष समिति के अध्यक्ष सूरत राम आर्य के नेतृत्व में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से डीएम से मुलाकात का समस्याएं बताई। बताया कि नगर, शहर और आसपास के क्षेत्र के गांव में 76 साल बाद भी स्वामित्व का अधिकार नहीं मिल पाया है।
बताया कि नरेंद्रनगर की भूमि उत्तराखंड सरकार के अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाई है। जिसके कारण स्थानीय लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने ज्ञापन में बताया कि भूमि बंदोबस्त न होने के कारण अनुसूचित बाहुल्य क्षेत्र बखरियाणा सड़क से नहीं जुड़ पाया है। साथ ही सरकारी संस्थाओं की स्थापना भी नहीं हो पा रही है। जबकि नरेंद्रनगर में बड़ी संख्या में भूमि खाली पड़ी हुई है। बताया कि वर्तमान में सरकार नरेंद्रनगर समेत पांच शहरों का ड्रोन के माध्यम से सर्वे करवा रही है। ऐसे में सर्वे के साथ ही नरेंद्रनगर का भूमि बंदोबस्त की जाए। जिससे नरेंद्रनगर का भूमि रिकॉर्ड राजस्व विभाग में दर्ज हो सके। ज्ञापन पर संरक्षक धर्म सिंह चौहान, पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष राजेंद्र राणा, दुर्गा राणा, राजेंद्र गुसाईं, रघुवीर सिंह, बिहारी लाल धीमान, प्रमोद उनियाल आदि के हस्ताक्षर शामिल है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।