विदेश में खाई ठोकर, तब समझा भारत की अहमियत, कनाडा बसे शख्स की ऐसे खुली आंखें
- 33 साल का यह शख्स अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ कनाडा में बसा था। उसे लगा था कि वहां जिंदगी ज्यादा आरामदायक होगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली।

कनाडा में बसने का सपना लेकर गए भारतीय अब वापस लौटने का मन बना रहे हैं। एनआरआई लोगों के बीच एक नया ट्रेंड उभरता दिख रहा है, जहां लोग विदेशी सपने को छोड़, अपने वतन की जिंदगी को बेहतर मान रहे हैं। इस ट्रेंड को हवा दी है एक शख्स के सोशल मीडिया पोस्ट ने दी, जिसमें उन्होंने खुलकर बताया कि कैसे कनाडा जाकर एहसास हुआ कि असली सुख-सुविधा तो भारत में ही है।
33 साल का यह शख्स अपनी पत्नी और छोटे बच्चे के साथ कनाडा में बसा था। उसे लगा था कि वहां जिंदगी ज्यादा आरामदायक होगी, लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली। शख्स लिखा, "भारत में हम दोनों 30 लाख रुपये सालाना बचा रहे थे, लेकिन यहां आकर समझ आया कि सब कुछ फ्री मिलने के बावजूद असली बचत तो वहीं थी।"
खुली शख्स की आंख
कनाडा में अच्छी सैलरी और सरकारी सुविधाओं के बावजूद उन्होंने माना कि भारत की लाइफस्टाइल ज्यादा अच्छी है। शख्स ने पोस्ट में लिखा, "यहां की ठंड और अकेलापन, दोनों ही भारी पड़ रहे हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में बसने वालों के पास कोई ठोस वजह नहीं होती, बस एक फिरंगी देश में रहने की चाहत भर होती है।
इस शख्स ने कनाडा और भारत की तुलना करते हुए कुछ दिलचस्प बातें भी लिखीं। उसने कहा कि, "भारत में मौसम अच्छा रहता है, घर का खाना सेहतमंद होता है, और सबसे बड़ी बात परिवार के साथ रहने का सुख मिलता है।" उसने बताया कि भारतीय गांवों में लोग स्वस्थ और खुश रहते हैं, जबकि विदेश में लोग बड़ी गाड़ियों और आलीशान मकानों के बावजूद एक अनजानी दौड़ में भागते रहते हैं।
क्या बोले लोग
उसका कहना था कि भारत में घरवालों की मदद से बच्चों की सही परवरिश होती है, जबकि कनाडा में बच्चों को चुप कराने के लिए स्क्रीन का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही, भारत में बिजनेस करने की आजादी है, जिससे एक आम आदमी भी आर्थिक रूप से मजबूत बन सकता है। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट पर 110 से ज्यादा कमेंट आ चुके हैं, और लोगों ने अपनी-अपनी राय दी। एक यूजर ने लिखा, "गोल्डन चांस वही होता है जहां दिल खुश रहे। कनाडा में हाथ में हॉट कॉफी और दिल में ठंड ही रहती है!" वहीं, किसी और ने चुटकी लेते हुए लिखा, "विदेश में जाकर ही पता चलता है कि दाल-चावल और मम्मी की डांट की कीमत क्या होती है!"
कुछ लोगों ने माना कि विदेश में रहकर भी एक खालीपन बना रहता है। एक यूजर ने लिखा, "यहां दौड़ते तो सब हैं, लेकिन मंजिल किसी को नहीं दिखती।" वहीं, कुछ लोगों ने इसे बहादुरी भरा फैसला बताया, "इतना पैसा और वक्त लगाने के बाद वापस लौटना आसान नहीं होता, लेकिन दिल की सुनना भी जरूरी है।"
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