Holika Dahan Today Time: आज होलिका दहन का कितने से प्रारंभ होगा शुभ मुहूर्त? जानें पूजन सामग्री, पूजा विधि व मंत्र
- Holika Dahan Time Today 2025: आज होलिका दहन भद्रा के पूर्ण रूप से समाप्त होने के बाद प्रारंभ होगा। जानें होलिका पूजन व दहन का शुभ समय-

Holika dahan ka samay: हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च 2025, गुरुवार यानी आज है। कई जगहों पर होलिका की पूजा सुबह के साथ की जाती है और कई स्थानों पर शाम के समय होती है। होलिका पूजन का विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ हो चुका है। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन व पूजन के समय को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है। जानें ज्योतिषाचार्य से आज रात को कितने बजे से होलिका दहन का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होगा और कब समाप्त होगा।
होलिका दहन कितने बजे से कितने बजे तक कर सकते हैं:
ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया विक्रमीय संवत 2081 को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 13 मार्च को सूर्योदय से लेकर 10:35 तक रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। भद्रा करण, सुबह 10:35 से रात्रि 11:26 तक रहेगा। होलिका दहन 13 मार्च रात्रि 11:26 के बाद होगा। दहन का मुहूर्त रात्रि 11: 26 से रात 12:18 तक रहेगा।
होलिका पूजन के शुभ मुहूर्त:
अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:07 से 12:55 बजे तक
विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 से 3:18 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 6:26 से 6:50 बजे तक
निशिता मुहूर्त रात 12:06 से 12:54 बजे तक
14 मार्च को होगी रंग वाली होली: 14 मार्च 2025 को स्नान दान की पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी फाल्गुनी पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक रहेगी। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली रहेगी। 15 मार्च को प्रतिपदा सूर्योदय के समय व्याप्त रहेगी,14 मार्च शुक्रवार को अंझा रहेगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि, 15 मार्च शनिवार को सूर्योदय से दोपहर 02: 33 मिनट तक रहेगी।
होलिका दहन पूजा सामग्री: कच्चा सूती धागा, नारियल, गुलाल, अक्षत, रोली, फूल, गाय के गोबर के उपले, बताशा, गन्ना, हवन समाग्री, काले तिल, धूप आदि।
होलिका दहन पूजा विधि-होलिका दहन से पहले विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। सबसे पहले होलिका को जल, फूल,अक्षत, माला, सिंदूर आदि अर्पित किया जाता है। इसके बाद देसी घी के अठावरी का भोग लगाते हैं। फिर कच्चा सूतक लेकर तीन या फिर सात बार परिक्रमा करके बांध दिया जाता है। अब होलिका दहन के समय गोबर के उपले, गुलाल, नारियल, गेहूं की बाली व अन्य पूजन सामग्री अर्पित की जाती है। गेंहू की बाली के साथ गन्ने को सेकर कर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसके बाद अगले दिन होलिका दहन की राख को घर लेकर आते हैं। इसे पूजा स्थल या धन रखने के स्थान पर रखना शुभ माना जाता है।
होलिका दहन के समय करें इस मंत्र का जाप-
"अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।"